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    Home » किसानों की मौत, बेरोजगारी, महंगाई के साथ जनता के दर्द की भी जासूसी करे सत्ता पक्ष और विपक्ष
    राष्ट्रीय संपादकीय संवाद विशेष

    किसानों की मौत, बेरोजगारी, महंगाई के साथ जनता के दर्द की भी जासूसी करे सत्ता पक्ष और विपक्ष

    Devanand SinghBy Devanand SinghJuly 21, 2021No Comments4 Mins Read
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    देवानंद सिंह

    पेगासस जासूसी मामले में केंद्र सरकार पूरी तरह घिरती हुई नजर आ रही है। वहीं, विपक्ष भी इस मुद्दे को भुनाने में बिल्कुल भी पीछे नहीं है, जिस तरह इस मामले की परतें खुल रही हैं और पक्ष व विपक्ष के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं, उससे ऐसा लगता है कि संसद का यह सत्र भी इसी विरोध की भेंट चढ़ने वाला है। यानि, इस घटनाक्रम के बाद एक बात तो तय हो गई है कि किसानों की मौत, बेरोजगारी और महंगाई की बात होने वाली नहीं है। यहां राजनीति के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। अगर, देश की इतनी ही चिंता है तो क्यों किसानों की मौत, बेरोजगारी व महंगाई के साथ ही जनता के दर्द की जासूसी भी की जाए। सत्तारूढ़ पार्टी को जहां इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, वहीं विपक्ष को इन्हीं मुद्दों का बेबाकी से उठाना चाहिए, जिससे जनता के बीच यह मैसेज जाए कि राजनीतिक मंच पर कोई उनकी चिंता करने वाला है।

    पर आज के दौर में केवल महत्व दिया जा रहा है तो चुनावी मुद्दों को। सरकार ने किसानों और रोजगार के मामले में जैसा काम किया है, उस पर तो वह बिल्कुल भी चर्चा नहीं करना चाहेगी, पर विपक्ष को तो ये चीजें नहीं भूलनी चाहिए। एक मजबूत विपक्ष के रूप में उसे इन मुद्दों को उठाना चाहिए, जिससे सरकार अपनी मनमानी करने से बाज आए और देश में इन नेताओं की तरह किसान, मजदूर भी चैन की जिंद्गी जी सके। पर ऐसा कैसे संभव होगा, जब तक जनप्रतिनिधि ही इस तरफ ध्यान नहीं देंगे।

    आज देश के हालात बद से बदत्तर हो गए हैं। लोग प्राथमिक चीजों के लिए कराह रहे हैं। महंगाई इतनी बढ़ा दी गई है कि लोगों के लिए जीवन चलाना मुश्किल हो गया है। एक तरफ, बेरोजगारी का आलम है और दूसरी आसमान छूती महंगाई। या तो आप रोजगार दो, या फिर महंगाई कम करो। पर सरकार न तो रोजगार दे रही है और न ही महंगाई कम कर रही है, इसमें लोगों के जीवन की बेहतरी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। सच यह है कि लोगों को समझ ही नहीं आ रहा है कि इस खराब परिस्थिति का सामना कैसे किया जाए ? 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कहकर बीजेपी सत्ता में आई थी, लेकिन रोजगार की बात तो छोड़िए, कोरोना काल में करोड़ों लोगों ने अपने रोजगार खोए हैं, लेकिन सरकार इस पर कुछ भी बोलने तक को तैयार नहीं है। आलम यह है कि बेरोजगारी दर 40 सालों के सबसे निचले स्तर पर आ गई है, उसके बाद भी न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही उनके मंत्री जमुलेबाजी से बाज आ रहे हैं।

    किसानों के मुद्दों पर भी सरकार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। किसानों के विकास के लिए किए गए अपने वादे से ही सरकार भटक गई है। किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई थी, लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा यह तो बताए कि आखिर किसानों की आय कहां दोगुनी हुई है ? अगर, किसानों की आय दोगुनी होती तो क्या वे आंदोलन करते ? क्या देश का किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होता। किसानों द्बारा लगातार आत्महत्या किए जाने के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने तक को राजी नहीं है। ऐसे में, सवाल उठता है कि मोदी सरकार आखिर कैसे भारत की कल्पना कर रही है।

    क्या ऐसे भारत की, जहां का युवा बेरोजगार हो और किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो। अगर, ऐसे भारत की कल्पना नहीं कर रही है तो फिर क्यों देश के अंदर बेरोजगारी बढ़ रही है ? क्यों देश का युवा बेरोजगार है ? और क्यों देश का किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर है ? अगर, मोदी सरकार को देश की चिंता ही है तो क्यों देश में लगातार महंगाई बढ़ रही है। पेट्रोल, डीजल से लेकर आम इस्तेमाल की चीजें इतनी महंगी क्यों हो रही हैं ? इन सवालों का निश्चित ही सरकार को जबाब खोजना चाहिए और विपक्ष को सरकार के समक्ष ये सवाल रखने चाहिए, तभी यह माना जाएगा कि देश में आज आमजनता के बारे में कोई चिंता करने वाला है।

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