प्रोफेसर केपी शर्मा
मेरा भारत महान,एक इतिहास है वर्तमान नहीं ।
यह एक नारा है जो हमें इतिहास बोध करवाता है तथा कहता है कि अपने इतिहास को जानो एवं प्रेरणा लेकर उस स्थिति में भारत को पहुंचाने के लिए कार्य किया जाय।
भारत एक देश है ऐसा विशाल खंड है, जो प्राचीनतम सभ्यता का देश है, जिसने ज्ञान के क्षेत्र में प्रथम पुस्तक वेदों की रचना किया।
इतिहासकारों और साहित्यकारों ने भारत को चार सांस्कृतिक काल में बांटकर अपने उपलब्धियों को रेखांकित किया है।
भारत के दो सांस्कृतिक काल ऐसे रहे कि वास्तव में मेरा भारत महान था।
अध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, व्यवसायिक उन्नति के साथ एक मजबूत शासकीय व्यवस्था का देश बन गया था। हमने अपने देश में बहुतों को आश्रय दिया जो हमारे नस्ल और संस्कृति के नहीं थे वे सभी भारत में पचरस गये।
भारत की सभ्यता और संस्कृति,ने प्रकृति और पर्यावरण, सभी जीव जंतु सबों को सम्मान आदर और जीने के अधिकार दिया।
हम ने प्रकृति का दोहन एवं प्राकृतिक असंतुलन नहीं होने दिया।
हमारे संस्कृति में विद्वान ऋषि, मुनि जंगलों में रहते थे सबसे कम उपभोग करते थे इसलिए हम आरण्यक संस्कृति वाले देश थे। स्थिति आज के समान नहीं थी कि आज सबसे ज्यादा भोगवादी सबसे पढ़ा लिखा व्यक्ति है।
हमारा समाज जाती आधारित नहीं विषेशज्ञों का वर्ण था।
सभी विशेषज्ञों ने भारत को मिलकर ऐसा गढ़ा था कि मेरा भारत महान था।
भारत की यह महानता एक समान सभी क्षेत्रों में थी शिक्षा, ताकतवर शासन , व्यवसाय या कृषि हो या सेवा का क्षेत्र सभी का सम्यक सम्मानित विकास की भूमि भारत रही है।
भारतीय व्यवस्था सम्यक विकास से देश का विकास मानते थे, सुरक्षा, शासन और उसके उपर नियंत्रण की ऐसी प्रणाली का विकास किया था कि पुरा विश्व भारत की ओर दौड़ लगाने लगे थे।कुछ बर्बर कवि लाई जातियां तथा भ्रष्ट व्यवसायियों का भारत ऐसा शिकार हुआ कि 1200 से अधिक वर्षों में भारत को ऐसा पददलित किया कि मेरा भारत महान नहीं रहा।
1947 में हम ने ऐसी शक्तियों से शक्ति छीन लिया है और आज जनता शासक है।
हमारा अतीत महान था जिसे मेरा भारत महान हमने कहा तथा अपना गोल महान भारत बनाने का रखा है।
मेरा भारत महान बनाने का हमने दुष्कर कार्य वर्तमान पीढ़ी का है, इसके लिए हमें त्याग, तपस्या, कड़ी मेहनत करना होगा।
हमें सबसे पहले अपनी मानसिकता बदलनी पड़ेगी यह विश्वास करना पड़ेगा की हमारे पास ऐसी क्षमता है कि हम भारत को महान बना सकते हैं, मानसिक गुलामी और हिनता की भावना को दूर करने की जरूरत होगी हमें अपने इतिहास पर विश्वास करना होगा।
जो कोई भी महान देश बना है उसने ऐसा किया है यह तो उसका प्रथम जेनरेशन है, हमें गर्व है कि हम महान थे हमारी महानता की पंरपरा रही है।
भारत को महान बनाने केलिए हमें अपने सामाजिक कुरीतियों को दूर करना पड़ेगा।
भारत में सत्ता की लड़ाई केलिए देशहित राष्ट्रहित के विरुद्ध जाकर लड़ते हैं जिसका फायदा शत्रु उठाते हैं।
आज विज्ञान, तकनीकी, आर्थिक तरक्की, सैन्य ताकत की बढ़त बनाने बाले महान माने जाते हैं, हमें इसे हासिल करना पड़ेगा।
आज भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा है कि हमारे पास वैज्ञानिक,तकनिसियन विश्व के सर्वश्रेष्ठ हैं।
हमें शोध के क्षेत्र में और कार्य करने की आवश्यकता है।
हमारे पास मध्य वर्ग की जनसंख्या बहुत बड़ी है,हमारा 140 करोड़ लोगों का बाजार है हमें दूसरे के बाजार की बहुत आवश्यकता नहीं है।
हमें विश्व में मानवीय दृष्टिकोण रखकर दोस्त निर्माण की आवश्यकता है लेकिन दोस्ती लोग ताकतवर से बनाना चाहते हैं इसलिए हमें ताकतवर बनना पड़ेगा।
आज की नीति है अति उपभोक्ता वाद जिसे हमारा देश पुरा नही कर सकता लेकिन इसरो की नीति पर चलकर हम सभी कुछ प्राप्त कर सकते हैं।
ऐक चेतावनी है कि हमें पहले अपने घर को ठीक करना पड़ेगा, आपसी फूट महंगा पड़ रहा है।
पहले हमें लगता था कि बड़ी आर्थिक शक्तियां हमारे ब्रेन ड्रेन कर रही है तथा हमारा ब्रेनवाश कर रही हैं।
प्रारंभ में ऐसा था लेकिन आज पश्चिमी शक्तियों के सेवा क्षेत्र, तकनीकी क्षेत्र बैज्ञानिक क्षेत्र, व्यवसाय के क्षेत्र में हमारे वीना उनका कोलैप्स निश्चित है आज अगर भारतियों का विदेशों से रीभर्स माइग्रेशन हो जाय तो भारत से वे किसी क्षेत्र में मुकाबला नहीं कर पायेंगे।
पश्चिमी शक्तियों को भारत की ताकत मालूम है इसलिए हमें हमारे नासमझ पड़ोसियों के साथ युद्ध और आंतकवाद में फंसाकर रखना चाहते हैं। हमें उनकी योजना असफल करना पड़ेगा इसका एक ही जबाब है कि भारत को आर्थिक और सैनिक रुप इतना ताकतवर बनाना है कि कोई आंख उठाकर देख नहीं सके।
आधा रास्ता हमने तय कर लिया है आधा बाकी है वह हम चाहें तो 2050 तक पुरा कर लेंगे फिर गर्व से कहेंगे मेरा भारत महान।
Previous Articleभीतर के दुश्मनों के खिलाफ सख्ती-चौंकसी बढ़ानी होगी
Next Article हाँ मैं पागल हो गया पापा