हेमंत सोरेन की केन्द्र को चुनौती के मायने
देवानंद सिंह
ईडी द्वारा भेजे गए दूसरे समन के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नहीं पहुंचे और उन्होंने सीएमओ के एक कर्मी के माध्यम से ईडी को पत्र भेजकर जानकारी दी कि उन्होंने ईडी के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सोरेन ने जिस तरह सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर केन्द्र पर राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया है, इसके बाद पूरे देश में सियासी संग्राम तेज हो गया।
शायद, केन्द्र ने भी यह नहीं सोचा होगा कि हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई होगी तो निश्चित तौर पर हर पहलुओं पर बहस होगी और केन्द्र और ईडी को भी जवाब देना होगा। मुख्यमंत्री के मुताबिक, ईडी जानबूझकर उन्हें समन कर रही है, ताकि न सिर्फ उनकी, बल्कि झारखंड राज्य व यहां के लोगों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकें। उन्हें पिछले एक साल से निशाना बनाया जा रहा है।
वह भी सिर्फ इसलिए, क्योंकि वे उस दल से आते हैं, जो केंद्र की सत्ता में नहीं है। मुख्यमंत्री ने ईडी पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले ईडी ने उन्हें अवैध खनन मामले से जोड़ने की कोशिश की और अब जमीन घोटाला से जोड़ना चाहती है। वे ईडी को अपनी सभी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भी दे चुके हैं। यहां बता दें कि जमीन घोटाला मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी अब तक 13 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इनमें रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, कारोबारी विष्णु अग्रवाल, प्रदीप बागची, अफसर अली उर्फ अफ्सू खान, सद्दाम हुसैन, इम्तियाज अहमद, तल्हा खान, फैयाज खान, भानु प्रताप प्रसाद, दिलीप कुमार घोष, अमित अग्रवाल, भरत प्रसाद व राजेश राय शामिल हैं।
बता दें कि ईडी दस्तावेज में जालसाजी कर जमीन की खरीद-बिक्री मामले में जांच के दौरान आठ अगस्त को मुख्यमंत्री को समन भेजा था, इसमें उन्हें पूछताछ के लिए 14 अगस्त को रांची के हिनू स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में हाजिर होने का निर्देश दिया था, समन जारी होने के बाद मुख्यमंत्री की ओर से समय मांगे जाने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट जाकर कानूनी लड़ाई लड़ने का रास्ता अपनाने की सूचना देकर झारखंड के साथ ही पूरे देश की सियासत को गरम कर दिया, क्योंकि अमुमन ये देखने को मिला है कि जब भी किसी के खिलाफ ईडी का समन जाता है तो वह निश्चित ही ईडी के दरबार में हाजिरी जरूरी लगाता है, लेकिन हेमंत सोरेने ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर एक तरह से केन्द्र सरकार के साथ-साथ जांच एजेंसी ईडी को खुली चुनौती दी है। मुख्यमंत्री के इस कदम से विरोधी दलों की तरफ से उनकी खूब तारीफ हो रही है।
केन्द्र पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वह जांच एजेसियों का दुप्रयोग कर रही है, जिसके केन्द्र के खिलाफ बोलने की कोशिश की या फिर जो केन्द्र के समर्थन में नहीं है, उसके खिलाफ केन्द्र सरकार ईडी और सीबीआई के माध्यम से मोर्चा खोल लेती है, जो केन्द्र का अनैतिक कदम है। आगामी 2024 चुनाव को लेकर जहां सियासत पूरी तरह से गरम है, उसको लेकर पक्ष और विपक्ष पूरी तरह कमर कसे हुए है। विपक्ष का आरोप है कि जहां केन्द्र सरकार गलत आरोप लगाकर उन्हें फंसा रही है, उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है, वहीं सत्ता पक्ष का आरोप है कि विपक्ष के लोग भ्रष्टाचारी हैं, इसीलिए केन्द्र सरकार उनकी काली परतें खोलने का काम कर रही है।
लिहाजा, यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में जनता पक्ष और विपक्ष में से किसकी दलील पर अधिक भरोसा जताती है और दूसरा हेमंत सोरेन की शिकायत के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत का क्या रुख रहता है। लेकिन हेमंत सोरेन के इस कदम के बाद अन्य लोगों को ईडी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की ताकत मिलेगी, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है।