राज्य के सरकारी चिकित्सक ड्यूटी के बाद भी कर सकेंगे निजी प्रैक्टिस
राज्य के सरकारी चिकित्सकों के मामले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अहम कदम उठाते हुए ड्यूटी के बाद निजी अस्पयतालों, नर्सिंग होम एवं डायनोस्टिक सेंटरों में उनकी निजी प्रैक्टिस की छूट बरकरार रखी है, हालांकि जिन्हें नन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) नहीं मिलता है, उन्हें ही यह छूट मिलेगी।
दरअसल, शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के साथ डोरंडा स्थित योजना भवन के सभागार में आईएमए, झारखंड तथा झासा के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इसी बैठक में यह सहमति बनी। बैठक में निजी प्रैक्टिस में छूट से संबंधित अधिसूचना के उस प्रस्ताव पर भी पुनर्विचार करने का आश्वाधसन भी मिला, जिसमें कहा गया है कि सरकारी चिकित्सक निजी अस्पतालों में केवल आउटडोर प्रैक्टिस कर सकते हैं इनडोर नहीं। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
उधर, आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी चिकित्सक कुछ शर्तों के साथ अधिकतम चार अस्पतालों में ईलाज कर सकेंगे। इसमें विभाग सुनिश्चित करेगा कि संबंधित चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी के बाद ही निजी अस्पताल में आयुष्मान भारत के तहत इलाज करता हो तथा वह सरकारी अस्पतालों में पूरी ईमानदारी के साथ सेवा देता हो। झारखंड आरोग्य सोसाइटी द्वारा प्रैक्टिस करने से संबंधित जो पत्र है, उसे और ठीक किया जाएगा।
बता दें कि निजी अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस की रोक हटाने को लेकर आइएमए और झासा ने राज्य सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया था। रोक नहीं हटाने पर सामूहिक हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी गई थी।
उधर, राज्य सरकार ने 21 नेत्र चिकित्सकों को विभिन्न आरोपों में शो-काज जारी किया है। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि जांच में जो दोषी पाए जाएंगे, उनके विरूद्ध ही कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री
बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करेगी, इससे संबंधित प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने विमर्श के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि जनहित को ध्यान में रखकर ही कानून लागू किया जाएगा।
बैठक में क्लिनिकल इंस्टैब्लिशमेंट एक्ट के कुछ प्रावधानों में संशोधन पर भी चर्चा हुई। इसमें कहा गया कि आईएमए और झासा दूसरे राज्यों में लागू कानून का अध्ययन कर आवश्यक सुझाव दे। राज्य सरकार उस पर विचार करेगी। यह भी कहा गया कि हरियाणा की तर्ज पर 50 बेड से कम बेड वाले अस्पतालों को इससे छूट देने पर विचार किया जाएगा। बैठक में आयुष्मान भारत के तहत अस्पतालों के बकाया का मामला भी उठा, इसमें अस्पततालों की सूची देने का कहा गया ताकि उनका शीघ्र भुगतान हो। बैठक में आईएमए के अध्यक्ष डा. एके सिंह, सचिव डा. प्रदीप कुमार, झासा के डा. विमलेश सिंह व अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।