मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज में ग्रीन इनिशिएटिव का शुभारंभ और “मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज बीकन” का विमोचन
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर : मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर ने पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ग्रीन इनिशिएटिव का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के पहले आउटरीच और कम्युनिटी स्मारिका “मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज बीकन” का विमोचन भी किया । इसके साथ ही, कॉलेज को हरित कैंपस प्रमाणन से सम्मानित किया गया।
इस विशेष आयोजन में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक उपस्थित रहीं।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना, समाज के वंचित वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना और छात्रों को सामुदायिक सेवा के प्रति प्रेरित करना था। मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज ने ग्रीन कैंपस सर्टिफिकेशन प्राप्त कर यह दिखाया है कि वह केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अग्रणी है।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति ने अपने संबोधन में कहा, “पर्यावरण संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमें यह समझना होगा कि प्रकृति और मानव का संबंध अटूट है। मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज ने इस दिशा में जो पहल की है, वह प्रेरणादायक है। ‘मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज बीकन’ के माध्यम से कॉलेज न केवल सामुदायिक सेवा की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी फैला रहा है।”
इस मौके पर कॉलेज की पहली स्मारिका “मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज बीकन” का विमोचन किया गया। यह स्मारिका कॉलेज की सामुदायिक सेवाओं, आउटरीच कार्यक्रमों और पर्यावरण संरक्षण में योगदान को दर्शाती है। “मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज बीकन” न केवल कॉलेज की उपलब्धियों को सामने लाएगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सामाजिक सेवा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित करेगी।
कार्यक्रम में कॉलेज के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कॉलेज के प्रबंध निदेशक ने बताया कि आने वाले वर्षों में मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज और भी व्यापक स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करेगा।
यह कार्यक्रम मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज की प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। पर्यावरण और सामुदायिक सेवा की दिशा में किए गए ये प्रयास न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक हैं।