कहा जाता है कि सोशल मीडिया समाज के मूड का प्रतिविम्ब है, और लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी स्पष्ट तौर पर देखा गया कि भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो ने पहले सोशल मीडिया पर बढ़त बनाई, और बाद में, वे रेकार्ड वोटों से चुनाव जितने में सफल रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेता सोशल मीडिया को प्रचार का, और जनता से जुड़ने का एक बड़ा माध्यम मानते हैं। इसकी ताकत को पहचानते हुये, पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज, और रेलवे ने सोशल मीडिया को, जनता से जुड़ने, व उन्हें बेहतर सुविधाएं देने के लिये इसका इस्तेमाल करने की शुरुआत की।
और, अगर सोशल मीडिया की मानें, तो बहरागोड़ा विधायक कुणाल षड़ंगी, अपने प्रतिद्वंदियों से बहुत आगे चल रहे हैं। इस क्षेत्र से वे शायद अकेले प्रत्याशी हैं, जिनकी हर पोस्ट को हजारों लोगों (स्क्रीन शॉट देखें) द्वारा देखा, और सराहा जा रहा है।
इस क्षेत्र से फेसबुक और ट्वीटर द्वारा “वेरिफाइड प्रोफाइल” चला रहे, अकेले प्रत्याशी कुणाल षड़ंगी, सोशल मीडिया को लेकर खासे सजग भी हैं – “सोशल मीडिया मेरे लिये जनता से सीधे जुड़ने का एक सशक्त माध्यम है। यहाँ हम अपनी योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में जनता को बताते हैं, और यहीं से मुझे जनता के मूड, और उनकी अपेक्षाओं का पता चलता है।”
वैसे भी, बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं, जब सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर, कुणाल ने त्वरित कार्यवाही की है। सोशल मीडिया पर हजारों लाइक्स और कमेंट बटोर रहे कुणाल षड़ंगी छात्रों, युवाओं, और महिलाओं में भी खासे लोकप्रिय हैं, जो इन्हें विधायक नहीं, बल्कि “भैया” कहकर बुलाते हैं।