सुखबीर बब्बू
कोरोना महामारी की इस जंग में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और स्वास्थ्य सचिव के साथ साथ सभी सरकारी डॉक्टर टीम भावना से काम कर रहे हैं| ताकि कोरोना महामारी की इस जंग में अपेक्षाकृत सफलता मिल सके, परंतु कुछ अधिकारियों और निजी अस्पताल के प्रबंधकों द्वारा सरकार के साथ ना चलने के कारण इस मुहिम में कहीं ना कहीं रुकावट आ रही है!
कोरोना महामारी के इस जंग में कोल्हान के सबसे बड़े हॉस्पिटल एमजीएम के साथ अगर कोई निजी हॉस्पिटल कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है तो मात्र टाटा मुख्य हॉस्पिटल ही जान पड़ता है ! लगातार बढ़ती कोरोना मरीजों की संख्या के बाद शहर के कई निजी अस्पतालों में हाथ खड़े कर दिए हैं, दरअसल शहर में स्थित कुछ निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों के डॉक्टर भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए! लिहाजा संक्रमण का बहाना बनाकर निजी अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए अब सरकारी मशीनरी के साथ केवल टीएमएच ही सहयोगी की भूमिका में दिख रहा है: जानकारों का मानना है कि कई ऐसे निजी हॉस्पिटल जो क्षमता वान है जिनके पास जगह है और संसाधन भी है उन लोगों ने संक्रमण के इलाज में मानसिक संकीर्णता का परिचय दिया है! कुछ नर्सिंग होम और अस्पतालों की बात करें तो उन लोगों ने सीमित बेड उपलब्ध कराने की बात कही है, जिला प्रशासन के दबाव के बावजूद भी इन नर्सिंग होम के पास बहुत सारे बहाने हैं जिसे सामने लाकर वह अपने को बचने और बचाने की कोशिश में है ! वैसे तो टीएमएच के बाद प्रमुख इकाई टाटा मोटर्स हॉस्पिटल ने भी अपनी भूमिका को सीमित किया है, टाटा मोटर्स हॉस्पिटल में भी गिने-चुने बेड मुहैया कराए गए हैं |जिसमें बड़े-बड़े वीआईपी लोगों की चिकित्सा हो पा रही है , इसके अलावा टीनप्लेट हॉस्पिटल ने वैसे तो आश्वासन दिया है कि ओपीडी को छोड़कर उसके यहां पुराना संक्रमित मरीजों के इलाज की ही व्यवस्था की जाएगी, लेकिन वह अभी भविष्य के गर्त में है प्रबंधन का कहना है कि इसकी व्यवस्था युद्ध स्तर पर चल रही है दूसरी ओर ट्रस्ट के रूप में काम करने वाला मर्सी हॉस्पिटल भी अपने कर्मचारियों और डॉक्टरों के संक्रमित होने की वजह से कभी बंद और कभी खुल रहा है ।कुछ विभागों को छोड़ दिया जाए तो हॉस्पिटल में आम दिनों की तरह ओपीडी व्यवस्था प्रभावित है। इसके अलावा बिष्टुपुर स्थित स्टील सिटी नर्सिंग होम साकची का लाइफ लाइन नर्सिंग होम, कदमा का गंगोत्री नर्सिंग होम भी सहयोगी की भूमिका में नहीं दिख रहे हैं। ऐसा लोगों का कहना है सबसे अहम बात यह होती है कि टीएमएच के बाद अगर कोई निजी हॉस्पिटल इस क्षेत्र में है तो वह है तामोलिया स्थित ब्रह्मानंद हॉस्पिटल जिसकी भूमिका पूरी तरह से संक्रमण के नियंत्रण में नगण्य दिख पड़ती है। प्रशासनिक व्यवस्था हो अथवा आम समाजिक संगठन तमाम लोगों का ऐसा कहना है कि ब्रह्मानंद हॉस्पिटल में मरीजों की चिकित्सा से साफ तौर पर इंकार किया जा रहा है ,शिकायत पर भी कोई किसी की सुनने वाला नहीं है। दरअसल यह एरिया सरायकेला क्षेत्र में पड़ता है इसलिए सरायकेला जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत महसूस की जा रही है ,कई लोगों ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और दबंग नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके बन्ना गुप्ता से भी इसकी शिकायत की है ,और स्वास्थ्य मंत्री ने इस पर कड़ा निर्णय लेने का फैसला भी किया है ,हालांकि औपचारिक रूप से इस पर कोई घोषणा नहीं की गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दिनों अपने एक प्रेस वार्ता में स्पष्ट तौर पर कहा था कि जैसे ही मेडिका हॉस्पिटल जमशेदपुर यूनिट बंद करता है उसके बाद इस बिल्डिंग को टाटा स्टील के सहयोग से नियंत्रण में लेकर कोरोना सेंटर बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ मंत्री के इस निर्णय से शहर को काफी लाभ मिलेगा और लोग राहत की सांस लेंगे, वही टाटा स्टील ने भी स्वास्थ्य मंत्री के प्रभाव में आकर एक बड़ी सहयोगी भूमिका निभाई है। टाटा स्टील ने टीएमएच के अलावे जीटी हॉस्पिटल को भी क्वारंटाइन सेंटर और मरीजों के इलाज के लिए डिवलप किया है ,अलग से वहां करीब डेढ़ सौ बेड की व्यवस्था की गई है जो स्वास्थ्य मंत्री के प्रभाव से ही हुआ है। इसके अलावा भी टीएमएच प्रबंधन ने स्वास्थ्य मंत्री को आश्वासन दिया है कि और जगह की व्यवस्था की जा रही है जहां कोरोना पीड़ित मरीजों की चिकित्सा हो सकेगी। वही बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाडगी ने भी गजब की तत्परता दिखाई है उन्होंने कई लोगों का अपने प्रयास से चिकित्सीय खर्च में कमी कराई है, कई लोगों का चिकित्सा खर्च तो उसने माफी करवाया है जो टीएमएच तक ही सीमित है
कुछ लोगों ने तो नाम लेकर ऐसे नर्सिंग होम की बात कही है जो पूरी तरह से सामाजिकता से दूर हैं सहयोग की भावना भी उनमें शून्य के स्तर पर है। इनमें मुख्य रूप से बारीडीह स्थित वरदान नर्सिंग होम का नाम लिया जा सकता है नर्सिंग होम की संचालिका डॉ इंदु चौहान है।
लोगों की तो बहुत सारी शिकायतें हैं जिसे शायद लिखा नहीं जा सकता है हां लोगों का इतना जरूर कहना है कि ऐसे नर्सिंग होम के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत कर इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जा सकती है ।इसके अलावे मानगो स्थित गंगा नर्सिंग होम और गुरु नानक हॉस्पिटल का नाम भी लोगों की जुबान पर है ।इन नर्सिंग होम के खिलाफ भी लोग और सहयोग की शिकायत कर रहे हैं, खासकर इस कोरोना सकमन में ऐसे नर्सिंग होम का कोई सहयोगात्मक भूमिका नहीं सामने आ रही है।
एक अहम बात जो सामने आ रही है वह है बारीडीह का आरोग्यं हॉस्पिटल इस हॉस्पिटल का बंद होना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है ।दरअसल बारीडीह क्षेत्र का आरोग्यं हॉस्पिटल एक महत्वपूर्ण इलाज का केंद्र माना जाता है जानकारी के मुताबिक बैंक से कर्ज की अदायगी को लेकर मतभेद के बाद इसे आंशिक रूप से खोला गया है। इस हॉस्पिटल में आज की आधुनिकतम चिकित्सा पद्धति की व्यवस्था है लेकिन इस हॉस्पिटल के अधिकांश विभागों के बंद होने की वजह से क्षेत्र के लोगों पर बुरा असर पड़ रहा है, खासकर इस कोरोना महामारी के सकट के समय मे इस तरह के हॉस्पिटल को फिर से चालू किया जाना निहायत जरूरी है। लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री से राष्ट्र संवाद के माध्यम से अपील की है कि इस पर हस्तक्षेप कर इसे फिर से चालू किया जाए क्योंकि यहां इलाज की हर तरह की सुविधा उपलब्ध है, इसे भी क्वारंटाइन सेंटर के रूप में विकसित किया जा सकता है। करोना मरीजो के लिए बेड की भी व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन जरूरत है मंत्री स्तरीय हस्तक्षेप की आखिर जांच का विषय है कि हॉस्पिटल को बंद क्यों किया गया है मानगो के डिमना पारडीह रोड में स्थित एलाइट हॉस्पिटल भी बेहतर स्थिति में माना जाता है ।मानगो क्षेत्र के लोगों के लिए आज इसकी जरूरत है लोगों का कहना है कि यह एलाइट हॉस्पिटल भी कोरोना संक्रमण के समय में सहयोगात्मक भूमिका में नहीं दिख रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इस क्षेत्र से विधायक भी हैं ,और स्वयं स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार में भी एलाइट हॉस्पिटल को दुरुस्त करना और उसे कोरोना संक्रमण के लिए तैयार करना आज की जरूरत है ।शहर में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है ,संभव है कि आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो मौत का सिलसिला भी जारी है महज एमजीएम हॉस्पिटल और टीएमएच में कोरोना संक्रमितओं की चिकित्सा व्यवस्था बेहतर की गई है ।ऐसे में मानगो के इस एलाइट हॉस्पिटल को भी दुरुस्त करने और कोरोना संक्रमितओं के इलाज के लिए तैयार करने की जरूरत है ।स्थानीय समाज सेवी संगठनों ने भी इस की जोरदार मांग की है। एलाइट हॉस्पिटल प्रबंधन लगभग सुसुप्त स्थिति में दिख रहा है!
बहरहाल सिविल सर्जन जमशेदपुर राजनीति छोड़ निजी अस्पतालों के प्रबंधन के साथ सकारात्मक बातचीत की पहल करते हैं तो जमशेदपुर के लिए अच्छी खबर हो सकती है