फिल्म पाताललोक के एक सीन की तरह दिया घटना को अंजाम
देवानंद सिंह
जज हत्याकांड : फिल्म पाताललोक के एक सीन की तरह दिया घटना को अंजाम धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या ने जितना चौंकाया है, उतना ही यह सोचने पर भी मजबूर किया है कि क्या जब हमारे देश और समाज में एक जज सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी की सुरक्षा कैसे होगी। क्यों अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो जाते हैं कि वे खुली सड़क पर एक जज तक की हत्या कर देते हैं। वह भी फिल्मी अंदाज में। वास्तव में, यह पुलिस, कानून और सिस्टम के लिए अपराधियों का बड़ा चैलेंज है। जजों की हत्या के पहले भी मामले सामने आए हैं, लेकिन इस तरह से फिल्मी अंदाज में खुली सड़क पर शायद एक जज की हत्या का यह पहला मामला होगा। इस घटना को देखकर फिल्म पाताललोक का एक सीन याद आ जाता है, जिसमें बाइक सवार दो लोगों में से पीछे बैठे शख्स ने सामने से आ रहे शख्स की हथौड़े से वार कर हत्या कर दी थी। इस घटना को भी अंजाम देने का लगभग वही तरीका था, पर अंतर यह था, कि उस सीन में बाइक सवारों में से एक ने हथौड़े से विपरीत दिशा में जाते हुए हत्या की घटना को अंजाम दिया, जबकि जज वाले मामले में समान दिशा में जाते हुए ऑटो से टक्कर मारकर घटना को अंजाम दिया गया। भले ही, अपराधियों ने बड़ी चालाकी से ऑटो से टक्कर मारकर इस घटना को अंजाम दिया हो, जिससे यह हत्या का नहीं बल्कि हिट एंड रन का केस बन जाए। शुरू में तो ऐसी ही आशंका दिख रही थी, लेकिन पॉश एरिया होने की वजह से वहां लगे सीसीटीवी कैमरों ने अपराधियों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया। और जो घटनाक्रम है, उससे साफ जाहिर होता है कि यह हिट एंड रन का केस नहीं बल्कि सोची समझी रणनीति के तहत की गई हत्या का मामला है। फिलहाल, पुलिस ने भी जांच में तेजी दिखाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और सबसे बड़ी बात यह है कि खुद घटना को अंजाम देने वाला ऑटो ड्राइवर भी पकड़ में आ गया है, जिससे घटना के पीछे का सच सामने आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर पर गंभीर चोट के निशान मिले हैं। इसीलिए इस घटना को पेशेवर तरीके से अंजाम दिया गया है। अपराधियों का हाथ इसीलिए भी हो सकता है, क्योंकि न्यायाधीश उत्तम आनंद धनबाद के चर्चित रंजयझरिया विधायक संजीव सिंह के करीबी रंजय हत्याकांड की सुनवाई कर रहे थे। तीन दिन पूर्व ही उन्होंने यूपी के इनामी शूटर अभिनव सिंह और उसके गुर्गे रवि ठाकुर व आनंद वर्मा की जमानत खरीज की थी। वह हजारीबाग के रहने वाले थे और एक संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता व भाई हजारीबाग कोर्ट में अधिवक्ता हैं, जबकि उनके दो साले आईएएस अधिकारी हैं। वह छह महीने पहले ही बोकारो से धनबाद आए थे। इसके पूर्व व तेनुघाट में जिला एवम सत्र न्यायाधीश थे। उनको क्या पता था कि धनबाद आकर उनका जीवन का सफर समाप्त हो जाएगा। रोज की तरह वह मॉर्निंग वॉक करने अपने आवास से गल्फ ग्राउंड जा रहे थे। तभी रणधीर वर्मा चौक के आगे न्यू जेजेज कॉलोनी के पास समान दिशा से आ रहे ऑटो ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। वह मौके पर ही तड़पते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। तभी रास्ते पर चल रहे पीएचडी के कर्मचारी पवन पांडे की नजर उन पर पड़ी तो वह टेंपू पर उन्हें एसएनएमसीएच ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह घटना सीधे तौर पर कानून व्यवस्था पर सवाल इसीलिए खड़ी करती है, क्योंकि दो दिन पूर्व ही रांची के तमाड़ में अधिवक्ता मनोज झा की भी अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। फिलहाल, जज की हत्या के मामले की जांच करने के लिए एडीजी अभियान लाटकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी है, वहीं, आज राज्यभार के वकील घटना के विरोध में हड़ताल भी करेंगे। झारखंड के पुलिस प्रवक्ता अमोल बी होमकर ने बताया कि जो दो लोग लखन वर्मा और राहुल वर्मा नाम के आरोपी पुलिस गिरफ्त में आएं हैं, उन्होंने जज को ऑटो से टक्कर मारने की बात स्वीकार कर ली है। उधर, पूरे प्रकरण को लेकर जिस तरह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री तक गंभीर हैं, उससे लगता है कि जल्द ही पुलिस असली गुनहगारों के गिरेबान तक पहुंच जाएगी।