■ *यक्ष्मा बीमारी होने पर ले नियमित दवा – जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सी के शाही*
■ *दो सप्ताह से ज्यादा खासी, बुखार, खांसी के साथ खून आना , वजन घटना आदि लक्षण होने पर स्वास्थ जांच अवश्य कराएं*
आज दिनांक- 12.03.2021 को सदर अस्पताल, जामताड़ा में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सी के शाही के अध्यक्षता में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया कर्मी उपस्थित थे।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने कहा कि विश्व में प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ लोग यक्ष्मा से पीड़ित होते हैं। जिसमें आज हमारे देश में यक्ष्मा से पीड़ित मरीज लगभग 27 लाख से ज्यादा है । इसकी रोकथाम के लिए राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। लोगों को यक्ष्मा के प्रति जागरूक करने और जन जन तक यक्ष्मा बीमारी की जानकारी पहुंचाने के लिए प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सहयोग महत्वपूर्ण है।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि यक्ष्मा बीमारी अति गंभीर रोग है । यह एक जानलेवा संक्रमण बीमारी है, जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होती है। अन्य संक्रमण रोगों की तुलना में टीबी से मरने वाले लोगों की संख्या देश में सबसे अधिक है। माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस मानव शरीर में प्रायः सांस के माध्यम से फेफड़ों में पहुंचता है। समानता शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली लोगों में इस जीवाणु को अपनी संख्या बढ़ाने से रोकने में सक्षम होती है, परंतु यह जीवाणु वर्षों तक निष्क्रिय एवं गुप्त अवस्था में जीवित रह सकता है। संक्रमण की इस दिशा में पीड़ित व्यक्ति में कोई लक्षण अथवा संकेत नहीं दिखाई पड़ता है। इसीलिए Latent TB (गुप्ता/ अप्रकट) इंफेक्शन के नाम से जाना जाता है। ऑक्सीजन की प्रचुरता के कारण फेफड़े जवाणुओं की संख्या में वृद्धि होने के लिए सबसे अनुकूल एवं सामान्य स्थल है, परंतु मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने पर रक्त के द्वारा जीवाणु मानव शरीर के अन्य अभी अंगों में यक्ष्मा हो सकता है। सिर्फ नाखून में नहीं होते।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया टीबी इनफेक्शन अधिक लोगों को होता है। जिसमें सूक्ष्म लक्षण दिखते है या दिखते ही नहीं है , पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली दुरुस्त होने के कारण जल्द ठीक हो जाते है। यक्ष्मा रोग में कई बार Latent रुप में होता है और प्रतिरोधक क्षमता जब कमजोर हो जाता है तब वह सक्रिय हो जाते है और व्यक्ति यक्ष्मा रोग की चपेट में आ जाता है। समुदाय में सबसे ज्यादा फैलने वाला पलमोनरी टीबी है, इससे फेफड़े का टीबी कहते हैं। यह रोगी के द्वारा खांसने एवं छींकने से समुदाय में फैल जाता है। अगर कोई व्यक्ति को यक्ष्मा की बीमारी हो और उपचार नहीं करा रहा हूं, तो मरीज कमजोरी हो जाने की वजह से मौत हो सकती है ।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि दो सप्ताह से ज्यादा खासी, बुखार , खांसी के साथ खून आना , वजन कम होना आदि लक्षण होते है। कहा फेफड़ों का टीबी हवा के जरिए दूसरे इंसानों में फैलती है। टीबी के मरीज के खासने या छिकने के दौरान मुंह एवं नाक से निकलने वाली बूंदों की वजह से फैलती है । बताया गया कि जिले में टीबी से ग्रसित मरीज को सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज सुविधा उपलब्ध है।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि जामताड़ा जिले में वित्तीय वर्ष 2020-2021 तक बलगम जांच मरीज की संख्या 2256, यक्ष्मा ग्रसित मरीज – 352, सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों द्वारा उपचार किए जा रहे मरीजों की संख्या- 551, टीबीसे मुक्त मरीज की संख्या- 590 है। साथ ही बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से मरीजों का नियमित अंतराल पर फोलो अप किया जाता है।
इस मौके पर डीपीसी गौरव कुमार अकेला, आशीष कुमार चौबे संजीत कुमार पाल ,तरुण कुमार नंदी , डॉ अजीत दुबे एवं संबंधित कर्मी उपस्थित थे।