*शासन का उद्देश्य अन्त्योदय की परिकल्पना के अनुरूप होना चाहिए।*
*”समपर्ण दिवस”*
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*आज भाजपा कुंडहित मंडल की ओर से कुंडहित डाक बंगला परिसर में एकात्मवाद के प्रेणता पखर वक्ता ,महान राष्ट्रभक्त पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि को भाजपाइयों ने “समर्पण दिवस” के रूप में मनाया और सभी उपस्थित कार्यकर्त्ताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चित्र पे पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनको श्रद्धांजलि दिए।*
*समर्पण दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित पूर्व मंत्री सह नाला विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेता श्री सत्यानन्द झा”बाटुल” ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पंडित जी एक महापुरुष थे जिन्होंने अपने स्वर्णिम जीवन की आहुति राष्ट्रहित में समर्पण कर खुद को अपने एकात्मवाद ,अंत्योदय जैसे विचार से प्रकाशित किया और साथ ही साथ बाटुल झा ने कहा कि पंडित जी देश के महानतम प्रतीकों में से एक हैं ,दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिनके बोए गए विचारों और सिद्धांतों के बीज ने देश को एक वैकल्पिक* *विचारधारा देने का काम किया. उनकी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए थी*।
*पंडित दीनदयाल कार्यकर्ताओं को सादा जीवन और उच्च विचार के लिए प्रेरित करते थे।खुद को लेकर अक्सर कहते थे कि दो धोती, दो कुरते और दो वक्त का भोजन ही मेरी संपूर्ण आवश्यकता है। इससे अधिक मुझे और क्या चाहिए।*
*दीन दयाल उपाध्याय का बचपन संघर्षों में बीता. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में 25 सितंबर 1916 को ज्योतिष पं. हरीराम उपाध्याय के पौत्र भगवती प्रसाद और राम प्यारी के घर उनका जन्म हुआ. बचपन में ही माता-पिता की छत्र-छाया से वंचित हो गए. तीन साल में पिता और सात साल की उम्र में माता का निधन हो गया था. लिहाजा, गंगापुर और कोटा (राजस्थान) में नाना चुन्नीलाल और मामा राधारमण के यहां उनका पालन-पोषण हुआ और रहस्यमय रूप से मुग़लसराय स्टेशन के यार्ड में लाइन से करीब 150 गज दूर एक बिजली के खंबे संख्या 1267 से करीब तीन फुट की दूरी पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का पार्थिव देह 11 फरवरी 1968 को मिला।मिला।
*उपस्थिति:-पूर्व मंत्री सत्यानन्द झा”बाटुल”, मंडल अध्यक्ष सजल दास, जिला उपाध्यक्ष अनूप यादव, जिला मीडिया सह प्रभारी कुन्दन गोस्वामी, प्रदीप पैतन्डी,प्रणव नायक, हरिसाधन मंडल, बाबन नायक, परिमल मंडल,कुमारिश मंडल, मनःशांति बादयकर, सुशील सोरेन, बिश्वजीत सिंह, गौर कर्मकार, सुखेन मंडल, कार्तिक मंडल, गौतम चक्रबर्ती आदि।