जमशेदपुर के बोड़ाम प्रखंड का आंधारझोर गांव का अब अंधेरा छटने लगा है । यह गांव मे लगभग 200 से अधिक परिवार रहते है और सभी वाद्ययंत्र बनाते है । पहले ग्रामीणों को अपने वाद्ययंत्र बेचने के लिये दर दर भटकना पड़ता था , लेकिन जब से जिला के उपायुक्त की मदद से जमशेदपुर शहर के बीच जगह मिलने पर अब इनकी रोजगार चल पड़ा है । दूर दूर से खरीददार विभिन्न वाद्ययंत्र खरीदने पहुंच रहे है ।
जमशेदपुर से करीबन 45 किलोमीटर दूर अंघारझोर गांव से ग्रामीण अपने हाथों से बनाये हुए ढोलक , तबला , नगाड़ा समेत अन्य वाद्ययंत्र बेचने के लिये प्रतिदिन आना जाना करते है । इन दिनों ठंठ का समय है । वाद्ययंत्र बेचने वाले ग्रामीण बताते है कि सरकार ने उन्हे अपने समानों को बेचने के लिये खुली जगह तो दी है , अगर सर के उपर कोई छत मिल जाता को और सुविधा मिल जाती । अभी फिलहाल वे प्रतिदिन आना जाना करते है । प्रतिदिन वाद्ययंत्र को लाना , ले जाना काफी परेशानी है । ठंठ के साथ अगर बारिश हो जाये तो चमड़े से बने वाद्ययंत्र खराब हो जाते है ।
फिलहाल जमशेदपुर शहर मे वाद्ययंत्र बेचने के लिये जगह मिलने पर उनकी रोजगार चल रही है , 1500 से लेकर 5000 हजार तक के वाद्ययंत्र बेचे जाते है । गांव के लोग काफी खुश है