जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय सरकार से खफा हैं ! ऐसे हम नहीं बल्कि खुद सरयू राय कह रहे हैं. जमशेदपुर में अपने दो साल के कार्यकाल का लेखा- जोखा देते हुए विधायक सरयू राय ने सरकार पर तीखे हमले किए हैं. अपने 2 साल के लेखा-जोखा पेश करते हुए सरयू राय ने बताया, कि 2 साल के दौरान अपने विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने विधायक निधि और नगर विकास फंड से 26 करोड़ 89 लाख 28 हजार 332 रुपए की विकास योजनाओं की सौगात दी है. साथ ही 3. 40 करोड़ की योजना अभी प्रस्तावित है. वही नगर पालिका चुनाव नहीं होने के कारण 15 वें वित्त आयोग से अभी 16 करोड़ की योजना और खर्च होने बाकी है. वैसे सरयू राय ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, कि झारखंड के साढ़े 23 जिलों में राज्य की सरकार काम कर रही है. आधा जिला, यानी जमशेदपुर पूर्वी में सरकारी तंत्र और सरकार निष्क्रिय है. उन्होंने सरकार से जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं पर भी गंभीरता से विचार करने की मांग की है. सरयू राय ने जमशेदपुर की सात समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा, यहां की मुख्य समस्या मालिकाना हक, निकाय, मोहरदा जलापूर्ति योजना, इंकैब, प्लीज समझौते के तहत नागरिक सुविधाएं, बेतरतीब और अनियमित शहरीकरण. जमशेदपुर और आसपास के क्षेत्रों के अनियमित विस्तार को देखते हुए एक मेट्रोपॉलिटन कमेटी का गठन करने की मांग की. विधायक सरयू राय ने बताया, कि इन सभी मुद्दों को लेकर विधानसभा के पटल पर उन्होंने 32 सवाल सरकार से किए, मगर आज तक सरकार ने उनके सवालों का सही और सटीक जवाब नहीं दिया. सरयू राय ने सभी मुद्दों पर विस्तार से बताते हुए उनके समाधान के रास्ते भी बताए. उन्होंने सभी मुद्दों पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की नसीहत दी है. उन्होंने बताया, कि पूर्व की सरकारों की गलतियों के कारण 103 साल पूर्व बसे शहर की जनता त्राहिमाम कर रही है. क्षेत्र की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार को ऐसे मामलों पर गंभीरता दिखाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त इस क्षेत्रों कतिपय समस्यायें विरासत में मिली हैं. जनहित में इनके समाधान का प्रयास जारी है. कतिपय समस्यायें निम्नवत हैंः-
1. मालिकाना
2. म्युनिसिपैलिटी
3. मोहरदा पेयजल आपूर्ति
4. इंकैब यानी केबुल कंपनी.
5. लीज समझौता और जनसुविधाएँ
6. अनियमित एवं बेतरतीब शहरीकरण
7. बेहतर एवं वृहतर जमशेदपुर
1. मालिकाना के बारे मैंने गत वर्षों में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, राजस्व सचिव, के साथ एक साथ और अलग अलग बैठकें की है. पिछली सरकार में निर्णय हो गया कि बाशिंदा को अधिकतम 10 डिसमिल जमीन लीज पर दी जा सकती है. जमशेदपुर के लिये यह अवधारणा अव्यवहारिक है. मेरा प्रयास है कि जो परिवार जिस भूखंड पर काबिज है उसे सरकार उचित शुल्क लेकर उसके नाम बंदोबस्त करे. इसके लिये वर्तमान कानून में बदलाव करना पड़े तो करे.
2. म्युनिसिपैलिटी – जमशेदपुर देश का एकमात्र शहर है जहां म्युनिसिपैलिटी के नाम पर असंवैधानिक जमशेदपुर अक्षेस चल रहा है. जमशेदपुर नगर निगम बने या औद्योगिक नगर इस समस्या के समाधान की प्रक्रिया शिथिल है. झारखंड बनने के बाद वर्ष 2005 में राज्य सरकार ने इसे नगर निगम बनाने के लिए अधिनियम बनाया. पर यह लागू नहीं हुआ. टाटा स्टील ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दिया. कंपनी मुकदमा हार गई और सर्वोच्च न्यायालय में अपील किया. लंबे समय बाद पिछली सरकार के दौरान कंपनी ने वहाँ से मुकदमा वापस लिया. मामला अब भी खटाई में है. नतीजा है कि नगरीय प्रशासन अप्रभावित है. शहर दोहरे प्रशासन का शिकार है. ऐसा लगता है कि झारखंड के 23.50 जिलों में झारखंड सरकार काम कर रही है और आधा जिला में दोहरा शासन चल रहा है जहां पूरी तरह राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं है. विधान सभा के भीतर और बाहर सरकार मेरे सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है.
3. मोहरदा पेयजल आपूर्ति परियोजना विकास कार्यो में राजनीतिक हस्तक्षेप का नमूना है. व्यक्तिगत अहंकार और निजी स्वार्थ किस भाँति जनहित का बंटाधार कर सकता है उसका नित नया उदाहरण इस परियोजना के परिचालन में मिल रहा है. 2005 में विश्व बैंक की सहायता से इन बस्तियों में पेयजल आपूर्ति करने की योजना जुस्को बनाना चाह रही थी. उस समय की सरकार ने इसके लिये अनुमति नहीं दिया. इसकी जगह नई 2006 में नई परियोजना पर काम शुरू किया जो 2009 में मोहरदा पेयजल परियोजना के नाम से पूरा हुई. परियोजना नहीं चल सकी तो 2017 में समझौता कर इसे चलाने के लिये जुस्को को दे दिया. जुस्को तबसे चला रहा है पर उपभोक्ताओं के समय पर पर्याप्त और शुद्ध जल नहीं मिल रहा है. इसके निर्माण और परिचालन प्रक्रिया का अध्ययन करने के उपरांत मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हू्ं कि मोहरदा पेयजल परियोजना फेज -2 तैयार करना होगा. जुस्को और जमशेदपुर अक्षेस देने इससे सहमत हैं. नया डीपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी.
4. इंकैब यानी केबुल कंपनी का मामला एनसीएलटी में है. कंपनी के प्लांट मशीनरी का सारा माल असबाब चोरी चला गया है. इंकैब प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की आँख के सामने यह हुआ है और हो रहा है. मैंने स्वयं दो एफआईआर गोलमुरी थाना में दर्ज किया है. पुलिस ने मेरे एक एफआईआर को सनहा में बदल दिया है. दूसरे पर भी कारवाई नहीं हुई है. सरकार और पुलिस प्रशासन कंपनी क़ानून का हवाला दे रहे हैं. मैं इस मत का हूँ और कोशिश कर रहा हूँ कि सरकार ये मामले सीआईडी के आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दे. मेरी कोशिश है कि कंपनी की 177 एकड़ जमीन सरकार अपने कब्जा में लेकर इसका उपयोग औद्योगिक एवं विनिर्माण गतिविधियों के लिये करे. फिलहाल यहाँ की ज्वलंत समस्या नागरिक सुविधाओं की है. पानी, बिजली की आपूर्ति सुधारने की है. इसमें जुस्को हीला-हवाला कर रहा है, वादाखिलाफी पर उतारू है. मैंने लोगों के घरों तक पानी और बिजली का व्यक्तिगत कनेक्शन देने पर जोर दिया है. लोग तैयार रहें तो इसके लिये किसी भी हद तक जाने के लिये तैयार हूँ.
5. टाटा लीज समझौता के तहत जनसुविधाओं से जमशेदपुर का बड़ा इलाका बंचित है. छायानगर से लेकर बाबूडीह-लाल भट्टा तक भुइयांडीह तथा लीज क्षेत्र की बस्तियों का एक बड़ा इलाका पेयजलएवं, बिजली, जल निकासी की सुविधा से बंचित है. ब्राह्मण टोला में तो नारकीय स्थिति हो गई है. गत दो वर्ष में जुस्को ने इसे पूरा करने के लिए बार बार नई समय सीमा देकर मुकर जा रहा है. लीज समझौता के तहत उन्हें देना है और देना होगा.
6. बेतरतीब शहरीकरण की अनियमितताएँ जमशेदपुर में दिन पर दिन गंभीर होती जा रही हैं. यह शहर एक उद्योग चलाने के लिये बसा था. अब शहर का व्यापक विस्तार हो गया है. शहर के विकास के लिये समाज के प्रभावशाली तबका को गैरकानूनी मानसिकता से और शासन-प्रशासन को एक कदम आगे दो कदम पीछे की असमंजस वाली कार्यशैली से उपर उठना होगा. शहर सुधार के काम को समाज सुधार की तर्ज पर आगे बढ़ाना होगा. इंदौर, नागपुर सहित देश के कई बड़े शहर उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं. जमशेदपुर के चारों ओर शहर का तेज विस्तार हो रहा है . ऐसी स्थिति में संविधान के अनुच्छेद – यङ र्;म्द्ध के अनुरूप विकास एवं जन सुविधा प्रदत्त करने की समन्वित एवं व्यापक योजना बनानी होगी.
नदियों को स्वच्छ करना, नदी तट प्रबंधन करना, शहर को प्रदूषण मुक्त करना, समाज को नशामुक्त करना, अल्प आय वर्ग एवं असंगठित समूहों का जीवन बेहतर बनाना, बिरसा नगर सहित अन्य बस्तियों को उन्नत बनाना, प्रशासन और कंपनी की नागरिक सुविधाओं में समन्वय बिठाना, औद्योगिक समूहों की सामाजिक एवं पर्यावरणीय दायित्वों को जनोपयोगी बनाना, शहरी जीवन की महँगाई नियंत्रित करना, जमशेदपुर में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार- स्वरोजगार, समाज कल्याण को प्राथमिकता देना, जन समस्याएँ दूर करना, नागरिक सुविधाएँ बेहतर बनाना अगले एक साल की प्राथमिकता है. यह वर्ष युवा एवं नारी शक्ति के सहयोग से संपर्क, समस्या, समाधान और समाज के असंगठित, अल्प वेतन भोगी एवं कमजोर वर्गों के उत्थान के लिये समर्पित रहेगा.
विगत दो वर्ष के दरम्यान मैंने कई गंभीर मसले विधान सभा के भीतर और बाहर उठाया है. इनमें से 32 प्रश्न जमशेदपुर की विभिन्न समस्याओं से संबंधित हैं. विधान सभा पटल पर जो प्रश्न उतरिए हुए उनके आधार पर जाँच चल रही है. कुछ मामले जाँच के लिये भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपे गये हैं. कुछ की जाँच विधान सभा की अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति और कुछ की जाँच निवेदन समिति कर रही है. अनागत प्रश्न समिति ने तो इनपर दो प्रतिवेदन भी विधान सभा में सौंप दिया है. मेरे प्रश्न में उठाई गई बातें सही साबित हुई हैं. सरकार ने भी सरकारी संसाधन से हुए निर्माण कार्यों से अवैध कब्जा हटाने का निर्देश दिया है.
मेरे द्वारा उठाये गये राज्यहित और जनहित के आधा दर्जन से अधिक मामलों में या तो जाँच चल रही है या जाँच की आदेश हो गया है या कारवाई प्रक्रियाधीन है. मैं महसूस कर रहा हूँ कि जाँच की गति धीमी है जिस कारण आरोपियों का मनोबल बढ़ रहा है और वे उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं. मैं इन मामलों में जाँच और कारवाई तेज करने करने के लिये नियमानुसार दबाव बनाऊँगा और भ्रष्टाचार के विरूद्ध संघर्ष तेज करूँगा. भ्रष्टाचार, प्रदूषण के विरूद्ध संघर्ष और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और समाज कल्याण के मुद्दे मेरी प्राथमिकता के मुद्दे होंगे.
सरकार की रचनात्मक आलोचना के माध्यम से विषयों को सामने लाने और सरकारी विभाग के गलत कार्यों का विरोध करने का कार्य करूँगा. सरकार ने जो काम अच्छा करेगी उसका समर्थन भी करूँगा. विरोध केवल विरोध के लिये नहीं बल्कि सही जन मुद्दों पर आधारित रहेगा. मेरा प्रयास होगा कि जिन मुद्दों को मैंने उठाया है उन्हें अंजाम तक ले जाने का भरपूर प्रयास करूँगा.