मोहरदा विजया गार्डन बारीडीह में 22 को अहोरात्रि जयराधा गोविंद नाम संकीर्तन : जम्मूवाले बाबा
जम्मूवाले बाबा का चातुर्मास व्रत आज समाप्त हुआ
चतुर्मास को चौमासा को चतुर्मास्य के नाम से भी जाना जाता है। पूज्य वैष्णव संत जम्मू वाले बाबा कई वर्षों से चतुर्मास व्रत को करते हुए आ रहे हैं ।इस दौरान भूमि पर शयन सूर्योदय से पहले उठना नदी जलाशय इत्यादि में स्नान करना व्रत पूर्वक पूजा मंत्र ,जप,पाठ ,प्रवचन मौन धारण दिन में एक बार भोजन नियम पालन करते हुए आए हैं।आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष हरिशयनी एकादशी से चतुर्मास्य व्रत प्रारम्भ होता है। इस प्रकार यह इस वर्ष 1जुलाई 2020 से प्रारम्भ है। धर्मशास्त्रों में आषाढ़ मास और चतुर्मास दोनों को ही बहुत शुभ माना गया है। इस समयावधि में विशेष रुप से व्रत, देव दर्शन और ध्यान आदि क्रियाएं की जाती है। धार्मिक प्रवचनों में भाग लिया जाता है। सरल शब्दों में यह जुलाई से लेकर नवम्बर/ अक्तूबर माह के मध्य की अवधि होती है। जिसे चातुर्मास कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ चार माह है। पूज्य वैष्णव संत जम्मू वाले बाबा वाले चातुर्मास के अंतर्गत उपवास, शास्त्र स्मरण रामायण पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, ध्यान और धार्मिक दर्शन ,यज्ञ कार्य व भंडारा का आयोजन करते हैं। यह समय विशेष रुप से साधु संतों, भक्तों और साधकों के लिए एक खास समय होता है। ऐसा माना जाता है कि इन चार माह में भगवान विष्णु चातुर्मास के दौरान गहरी ध्यान निद्रा में होते है।माता लक्ष्मी जी के साथ क्षीर सागर में प्रभु श्री हरि विश्राम करते हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार इन चार माहों को चातुर्मास्य के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष कोविड-19को ध्यान रखते हुए तृणवर्त कुटिया का निर्माण कर बाबा मोहरदा विजया गार्डन बारीडीह में यह आयोजन कर रहे हैं 22 को अहोरात्रि जयराधा गोविंद नाम संकीर्तन मोहरदा मंदिर में 23 को अक्षय नवमी के दिन भंडारा का आयोजन है।26 नवंबर को हरि प्रबोधिनी एकादशी को विशेष पूजन व 30 नवंबर पूर्णिमा को देव दीपावली के साथ व्रत का पारण किया जाएगा। यज्ञ का आयोजन भविष्य में किया जाएगा।