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    Home » जयशंकर ने मॉरीशस की प्रगति की दिशा में भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की
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    जयशंकर ने मॉरीशस की प्रगति की दिशा में भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की

    News DeskBy News DeskJuly 16, 2024Updated:July 16, 2024No Comments3 Mins Read
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    जयशंकर ने मॉरीशस की प्रगति की दिशा में भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की

    पोर्ट लुईस (मॉरीशस), 16 जुलाई (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को मॉरीशस की प्रगति और समृद्धि की दिशा में भारत के निरंतर और सतत समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए देश के नेतृत्व के साथ व्यापक वार्ता की।

    जयशंकर विशेष द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के मकसद से मॉरीशस के नेतृत्व के साथ “सार्थक बातचीत” के लिए दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं।

    हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश की यह यात्रा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में पुनः नियुक्ति के बाद जयशंकर द्वारा की गई पहली द्विपक्षीय बैठकों में से एक है।

    जयशंकर ने कहा कि मॉरीशस – जिसे उन्होंने ‘यह खूबसूरत देश’ कहा – की उनकी यात्रा द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती और गहराई को रेखांकित करती है।

    जयशंकर ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “यह मॉरीशस के साथ भारत की विशेष और स्थायी साझेदारी के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करने का भी अवसर है।”

    उन्होंने कहा, “मॉरीशस के साथ भारत के संबंध मजबूत और बहुआयामी साझेदारी में तब्दील हो गए हैं। मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय संबंध विदेशों में भारत के सफल विकास सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है।”

    क्षेत्र में चीन की नौसेना की बढ़ती गतिविधियों के बीच विदेश मंत्री ने कहा, “भारत इस महत्वपूर्ण साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है जो हिंद महासागर क्षेत्र के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”

    बैठक के दौरान जयशंकर और प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने विकास साझेदारी, रक्षा और समुद्री सहयोग, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों तथा लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

    उन्होंने कहा, “मैं मॉरीशस की प्रगति और समृद्धि की खोज में भारत के निरंतर और सतत समर्थन को दोहराता हूं।”

    विदेश मंत्री ने यह कहते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि भारत मॉरीशस के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है जो “हिंद महासागर क्षेत्र के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”

    इस कार्यक्रम में भारत द्वारा वित्तपोषित 12 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिक्षा, संस्कृति, आव्रजन अभिलेखागार के डिजिटलीकरण पर समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा मॉरीशस अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (एमआरआईसी) के बीच परियोजना दस्तावेजों का आदान-प्रदान हुआ।

    भारत ने करीब दो दशक पुरानी भारत-मॉरीशस संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सेवा द्वारा निर्मित मॉरीशस समुद्री चार्ट की बिक्री से अर्जित राजस्व के लिए 13 लाख एमयूआर (मॉरीशस रुपये) की रॉयल्टी के भुगतान का चेक भी दिया।।

    जयशंकर और जगन्नाथ ने मॉरीशस में सातवीं पीढ़ी के भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड भी सौंपे।

    इससे पहले, जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से जगन्नाथ को “व्यक्तिगत शुभकामनाएं ” दीं और उन्हें यह भी बताया कि भारत के लोगों ने पिछले महीने मोदी सरकार के तीसरी बार शपथ लेने के अवसर पर उनकी उपस्थिति की बहुत सराहना की।

    यह यात्रा भारत एवं मॉरीशस के संबंधों के महत्व को रेखांकित करती है और यह भारत की ‘पड़ोस प्रथम की नीति’, ‘विजन सागर’ और ‘ग्लोबल साउथ’ (अल्प विकसित देशों) के प्रति प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करती है।

    मॉरीशस स्थित भारतीय उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार, ऐतिहासिक, जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक कारणों से भारत के पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र मॉरीशस के साथ घनिष्ठ एवं दीर्घकालिक संबंध हैं।

    उसने कहा कि विशेष संबंधों का एक प्रमुख कारण यह तथ्य है कि द्वीप की 12 लाख की आबादी में लगभग 70 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं।

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