जय शिव स्वयंभो पशुपते ” प्रभात संगीत ने सबके मन को मोह लिया ब्रजकठोर कुसुमकोरक पिनाक पांरये नमो नमस्ते” प्रभात संगीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई
*”दुनिया वालो ताकते रहो हम नजरों को नजराना दिए गए” प्रभात संगीत के साथ संपन्न हुआ प्रभात संगीत दिवस*
*”आमाय छोटू एक्टि मन दिएछो अनेक आशा रेखे” प्रभात संगीत सुन श्रोता गण सभी भावुक हो गए*
जमशेदपुर 16 सितंबर 2023
आनन्दमार्ग प्रचारक संघ की सांस्कृतिक संस्था ‘ *रावा* ” रीनासा आर्टिस्ट एंड रायटर्स एसोसिएशन ” की ओर से गदरा आनंद मार्ग जागृति में एक दिवसीय प्रभात संगीत दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में प्रभात संगीत के साथ-साथ प्रभात संगीत आधारित नृत्य का भी आयोजन किया गया था बच्चों ने प्रभात संगीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी साथ-साथ इस कार्यक्रम के मुख्य संगीतकार अर्जित मित्रा ने संस्कृत के प्रभात संगीत
“ब्रजकठोर कुसुमकोरक पिनाक पांरये नमो नमस्ते ”
गा कर कार्यक्रम की शुरुआत किए
मंच का संचालन राजेन्द्र रंजन ने किया
मानस भट्टाचार्य के कलाकारों ने प्रभात संगीत प्रस्तुत कर उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया प्रभात संगीत के बोल के बोल इस प्रकार थे *”आमाय छोटू एक्टि मन दिएछो अनेक आशा रेखे”,*
*”दुनिया वालो ताकते रहो हम नजरों को नजराना दिए गए*”,
*”आमार कृष्ण कोथाएं बोल रे तोरा बोल रे तोरा बोल रे*’। प्रभात संगीत से संपन्न हुआ प्रभात संगीत दिवस इस अवसर पर जमशेदपुर के लगभग सभी संगीत कला के स्कूलों से बच्चों ने भाग लिया लगभग 100 पार्टिसिपेंट बच्चे भाग लिया जिन्हें कला के प्रदर्शन के बाद पारितोषिक के रूप में मेडल के साथ एक पौधा पर्यावरण की भावना को ध्यान में रखते हुए बच्चों को दिया गया
जमशेदपुर “रावा ” सचिव शहर के चर्चित संगीतकार मानस भट्टाचार्य नहीं कहा कि
प्रभात संगीत के छ: स्तर हैं:
1.विरह
2. मिलन
3. आवेदन
4. निवेदन
5.स्तुति
6.विसर्जन
संगीत में भाव, भाषा, छंद और सुर की प्रधानता होती है।
संगीत नंदन विज्ञान(Esthetic Science) है तथा प्रभात संगीत इसी के अंतर्गत आता है। नंदन विज्ञान का अर्थ है दूसरों को आनंद देना एवं दूसरों से आनंद लेना।
कीर्तन मोहन विज्ञान(Supra Esthetic Science) में आता है।मोहन विज्ञान अर्थात जो दूसरों को मोहता है या आकर्षित करता है।
मनुष्य माया के अंधकार में सोया है।प्रभात संगीत से यह अंधकार हटता है तथा स्वर्णिम बिहान आता है।कठोर से कठोर व्यक्ति भी यदि सही ढंग से प्रभात संगीत गाये तो उससे भी उनमें भी अध्यात्मिक जागरण आ जाता है।
नंदन विज्ञान से हम स्थूलता से सूक्ष्मता की ओर बढ़ते हैं।इसका उपयोग समाज की प्रगति के लिए होना चाहिये।