झारखंड, असम और गुजरात में भी इन्सेफेलाइटिस का कहर, सैकड़ों बालक समा चुके हैं काल के गाल में
दर्जनों बार खून से खत लिख चुके हैं डॉ. सिंह
राष्ट्र संवाद
गोरखपुर। पूर्वांचल के नामचीन बाल रोग विशेषज्ञ और इन्सेफेलाइटिस उन्मूलन अभियान के चीफ कैंपेनर डॉ. आर.एन. सिंह ने एक बार फिर केंद्र सरकार से इन्सेफेलाइटिस के उन्मूलन के लिए नीप (नेशनल प्रोग्राम फार प्रिवे़शन एंड कंट्रोल आफ इन्सेफेलाइटिस) लागू करने की मांग की है।
डॉ. सिंह पूर्वांचल में इन्सेफेलाइटिस उन्मूलन के लिए दस से ज्यादा वर्षों से लगातार लगे रहे हैं। उन्होंने जन-जागरुकता फैलाने के लिए अनेक बार खून से खत भी लिखे। ये उनके प्रयासों का ही सुफल रहा कि गोरखपुर समेत पूर्वांचल में अब इस जानलेवा बीमारी का खतरा लगभग टल गया है। अब इन्सेफेलाइटिस का कहर पूर्वांचल के नौनिहालों पर बेहद कम हो गया है।
डॉ. सिंह कहते हैः यह ठीक है कि पूर्वांचल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सक्रिय भागीदारी से इन्सेफेलाइटिस का कहर काफी कम हुआ है लेकिन आपको याद रखना होगा कि असम, झारखंड और गुजरात में इस बीमारी ने सैकड़ों जानें ली हैं। नीप को अभी तक पूरे देश में सक्रिय रूप से लागू नहीं किया गया है। नेशनल प्रोग्राम (नीप) के जरिये इन्सेफेलाइटिस का देश के हर प्रदेश से अंत हो, हम यही चाहते हैं। इस संबंध में ठीक उसी तरह अभियान चलाने की जरूरत है, जैसा हम लोगों ने पोलियो और स्माल पाक्स के लिए चलाय़ा था। एक बार जब नेशनल प्रोग्राम बन गया तो इन बीमारियों से देश पूरी तरह मुक्त हो सका। यही इन्सेफेलाइटिस के लिए भी करने की जरूरत है।
निरामया क्लिनिक के फाउंडर डॉ. आर. एन. सिंह मानते हैं कि उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वांचल के जिलों से विगत वषों में इन्सेफेलाइटिस पर यकीनन नियंत्रण पाया गया है लेकिन आप राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो चौबीस प्रदेशों व यूनियन टेरीटरीज़ में अभी भी यह महामारी मासूमों को लगातार हताहत कर रही है। हमारे अभियान का लक्ष्य इन्सेफेलाइटिस का पूरे देश से खात्मा करना है, ना कि सिर्फ यूपी के पूर्वांचल से।
डॉ. सिंह बताते हैः ऐसी सूचनाएं हैं कि गत 2024 में ही इन्सेफेलाइटिस व एईएस से गुजरात व मध्यप्रदेश में सैकड़ों मासूमों ने दम तोड़ दिया। असम, बिहार और झारखंड की भी स्थिति ठीक नहीं है। इस बीमारी को रोकने का एक ही रास्ता हैः राष्ट्रीय स्तर पर नीप को लागू किया जाए।