माफिया नेता अफसर गठजोड़ को ध्वस्त करना जरुरी,रिश्वतखोरी के मकड़जाल में ब्यूरोक्रेसी!
देवानंद सिंह
सिविल सेवा देश की सबसे बड़ी प्रतिष्ठित सेवा होती है। हर साल लाखों युवा सिविल सेवा में आने के लिए परीक्षा देते हैं, लेकिन चंद युवा ही ऐसे होते हैं, जिनका देश की इस प्रतिष्ठित सेवा में चयन होता है। समाज में बदलाव लाने की चाहत रखने वाले युवा इस सर्विस को चूज करते हैं, क्योंकि प्रशासनिक, पुलिस और इससे संबंधित अन्य सेवाओं में जाने के बाद ऐसे युवाओं को सीधे तौर पर समाज के लिए काम करने का मौका मिलता है, लेकिन समय-समय ब्यूरोक्रेट्स का घोटालों और भ्रष्टाचार में नाम आने के बाद देश की इस प्रतिष्ठित सेवा में जाने वाले चेहरों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
जिन अधिकारियों पर आम जनता का विश्वास होता है, अगर, वही इस तरह से भ्रष्टाचार और घोटालों में लिप्त हो जाए तो कैसे समाज में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।
झारखंड में सीनियर आईएएस अफसर पूजा सिंघल वाले प्रकरण के बाद लग रहा था कि इससे दूसरे अफसर सबक लेंगे, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है, क्योंकि जिस तरह से सेना की करोड़ों के जमीन घोटाले में ईडी ने आईएएस अफसर छवि रंजन को गिरफतार किया है, उससे नहीं लगता कि ब्यूरोक्रेसी से भ्रष्टाचार खत्म होने वाला है। ईडी द्वारा जिस तरह उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है,
उससे इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि अभी कई चेहरे और सामने आएंगे। जिस तरह से पूजा सिंघल प्रकरण में कई चेहरे बेनकाब हुए थे, ठीक उसी प्रकार छवि रंजन के प्रकरण में भी कई ऐसे चेहरों से पर्दा उठेगा, जो भ्रष्टाचार के इस खेल में संलिप्त हैं।
छवि रंजन झारखंड के ही रहने वाले हैं। वह अपने समय के होनहार छात्रों की सूची में शामिल थे। सेंट स्टीफेंस से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने देश की प्रतिष्ठित सेवा में जाने का फैसला किया और उनका चयन भी हो गया। कई जिलों के वह डीसी भी रह चुके हैं। कोडरमा में अवैध पेड़ कटाई के प्रकरण में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था, इससे उन्हें सबक ले लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और करोड़ों के जमीन घोटाले में लिप्त हो गए, जिससे आम लोगों में ब्यूरोक्रेसी से भी भरोसा उठने लगा है। यह सर्विस काफी इज्जत की मानी जाती है, लेकिन जिस तरह से देश सेवा में आने की बात कहकर ये लोग सिविल सेवा में आते हैं और देश की सेवा छोड़ खुद अपनी सेवा में जुट जाते हैं, उससे भरोसे की लकीर टूटती नजर आ रही है।
सिविल सर्विस में आने के बाद जिस तरह अफसर बेइमानी पर उतर आए हैं, उससे तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। इन जैसे लालची लोगों के भरोसे देश का भला हो सकता है, इसकी कल्पना से भी डर लगता है, क्योंकि जिस तरह करोड़ों के घोटाले कर ये अपने व्यारे-न्यारे कर रहे हैं, उससे ये तो अपना जीवन सफल कर दे रहे हैं, लेकिन आमजनता का हाल जस का तस है।
दरअसल, छवि रंजन की गिरफतारी जिन सबूतों के आधार पर हुई है, वे तथ्य चौंकाने वाले हैं। यह खुलासा हुआ है कि उन्होंने जालसाजी कर खरीदी गई जमीन के म्यूटेशन के लिए एक करोड़ की रिश्वत ली थी। बताया यह भी जा रहा है कि रांची के न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन के गोवा टूर और प्रवास का खर्च उठाया था। छवि रंजन से हुई पूछताछ में ईडी ने इन सबूतों के आधार पर उनसे सवाल पूछे तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए।
छवि रंजन ने अपने चहेते जमीन कारोबारियों और पारिवारिक संबंधियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था, इसमें उन्होंने राजधानी रांची के बजरा मौजा के खाता 140 की 7.16 एकड़ जमीन की रसीद एक ही दिन में 80 साल पुरानी तारीख में कटवा दी, यहीं नहीं, पुलिस बल तैनात कर इस जमीन पर जबरन तारबंदी भी करा दी थी, इसके अलावा उन्होंने तो रांची के बरियातू रोड स्थित सेना की 4.55 एकड़ जमीन को भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर बड़े जमीन कारोबारियों के हाथ बेचवा दिया था। इसके बदले में उन्हें करोड़ों रुपये की रिश्वत मिली थी,
जिसे उन्होंने देश की विभिन्न जगहों पर परिवार के साथ सैर सपाटे में खर्च किया था। यह सारे राज रांची के एक बड़े जमीन कारोबारी और व्यवसाई विष्णु अग्रवाल के विभिन्न ठिकानों पर बीते वर्ष मार्च के महीने में हुई छापेमारी के दौरान ईडी द्वारा जब्त मोबाइल की फॉरेंसिक जांच में सामने आए हैं। इसमें पता चला है कि रांची के चेशायर होम रोड स्थित एक जमीन की फर्जी दस्तावेज के आधार पर की गई रजिस्ट्री को लेकर आईएएस अधिकारी छवि रंजन को करोड़ों रुपए रिश्वत के रूप में दी गई थी।2011 बैच के आईएएस अधिकारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। वर्ष 2015 में कोडरमा जिला में बतौर उपायुक्त की पोस्टिंग के दौरान उन पर अवैध रूप से कीमती पेड़ सागवान और शीशम की लकड़ियों को कटवाने का आरोप लगा था।
इसी प्रकार वर्ष 2020 में जब रांची के उपायुक्त बने तो यहां भी उन्होंने गड़बड़ी की थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बेहद करीबी माने जाने वाले छवि रंजन को जब जेल भेजा गया तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उनके काले कारनामों पर मीडिया ने बात करने की कोशिश की तो वह मुंह छुपाते हुए नजर आए। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस रांची में उनकी हनक थी, उनके एक इशारे पर बड़े-बड़े जमीन कारोबारी, व्यवसायी और अधिकारी आदेशपाल की तरह उनके सामने खड़े रहते थे, उसी रांची में हाथ बांध कर एक झटके में जेल भेज दिया जाएगा।
बहरहाल झारखंड के 2 आईएएस अफसर की गिरफ्तारी से ब्यूरोक्रेसी पर दाग तो लगा ही है झारखंड की छवि भी धूमिल हुई है परंतु इन सब के पीछे माफिया नेता अफसर का जो गठजोड़ है उसको ध्वस्त करना जरुरी है,नहीं तो अब आम जनमानस में यह संदेश जायगा कि रिश्वतखोरी के मकड़जाल में झारखंड की ब्यूरोक्रेसी है