नदियों का अविरल बहते रहना जरूरी: सरयू राय
बोकारो में विश्व जल दिवस के मौके पर बोले सरयू
ग्लेशियरों का संरक्षण बेहद जरूरी: अंशुल शरण
बोकारो स्टील प्लांट के सहयोग से प्रदूषण रोकने का प्रयास जारी: आर आर सिन्हा
राष्ट्र संवाद संवाददाता
बोकारो। विश्व जल दिवस के अवसर पर युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन, जल जागरूकता अभियान और दामोदर बचाओ आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में बोकारो जिला के आशा लता केंद्र, सेक्टर पाँच में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सरयू राय थे।
सरयू राय ने कहा कि स्वयंसेवी संस्था युगांतर भारती के तीन स्थायी कार्यक्रमों में से यह एक है।
जल की शुद्धता, निर्मलता और अविरलता को बनाये रखने के लिए जियोलॉजी और इकोलॉजी दोनों की अत्यंत आवश्यकता है। सरकारों और आम जनता को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना थीम ग्लेशियर का संरक्षण रखा है।
झारखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यहाँ ग्लेशियर नहीं है, जिससे हमे पीने योग्य पानी प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त हो सके।
धरती में व्याप्त सम्पूर्ण जल में से मात्र तीन प्रतिशत ही पीने योग्य है। तीन प्रतिशत में से एक प्रतिशत पानी छोटे छोटे जल स्रोतों, कुँओं, भूगर्भ जल को मिलाकर है। बाकी दो प्रतिशत ग्लेशियर के बर्फ के रूप में विद्यमान है।
इसलिए हमे मुख्य रूप से उस एक प्रतिशत पानी की चिंता करनी है।
श्री राय ने कहा कि छोटे छोटे जलस्रोत जो पठारों, पर्वतों से निकलती है, हमें उसके प्रवाह को बनाये रखना है ताकि बड़ी नदियों में सालों भर पानी अविरल बहता रहे जिससे भूगर्भ जल स्तर बरकरार रह सके और पर्यावरण संतुलन बना रहे।
श्री राय ने कहा: जैसा की बीएसएल के नवीन श्रीवास्तव ने कहा है कि दिसंबर 2027 तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट इनका बन जाएगा और ये लोग जब अपने प्लांट से जीरो डिस्चार्ज करेंगे तो हमलोग भी उस दिन से दामोदर को औद्योगिक प्रदूषण से सौ प्रतिशत मुक्त घोषित कर देंगे।
सामाजिक संस्था युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा है कि विश्व का 70 प्रतिशत ताजा जल का श्रोत ग्लेशियर ही हैं. पर्यावरण में स्थिरता बनाने में, आर्थिक स्थिरता और संस्कृतियों की सुरक्षा के लिए ग्लेशियर संरक्षण की सख्त जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2025 में जल दिवस का थीम ग्लेशियर प्रिजर्वेशन (संरक्षण) ही रखा है. जाहिर है, आने वाले दिनों में हमें ग्लेशियरों का संरक्षण करना ही होगा.
यहां जलदिवस पर आयोजित सेमिनार में अंशुल शरण ने कहा कि अगर आज सारा ग्लेशियर पिघल जाए तो समुद्र का जलस्तर 60 मीटर बढ़ जाएगा. इसका नतीजा क्या होगा? इसका नतीजा होगा भीषण बाढ़ और उससे होने वाली तबाही. अनेक इलाकों में ऐतिहासिक सूखा भी पड़ेगा और कृषि क्षेत्र को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक पाएगा। इतना ही नहीं, पोलर बियर जैसे वन्य जीव का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. श्री शरण ने यह भी बताया कि लद्दाख जैसे ठंडे रेगिस्तान में कृत्रिम ग्लेशियर बनता है और गर्मी में उसका जल खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसलिए ग्लेशियर का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है।
अंशुल शरण ने दामोदर बचाओ आंदोलन के सभी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि 5 जून को पर्यावरण दिवस है। यह सुखद संयोग है कि उसी दिन गंगा दशहरा भी है। इसलिए इस वर्ष दामोदर नद के किनारे नदी पूजन के अलावा वृक्षारोपण, संगोष्ठी और अन्य जन चेतना से जुड़े कार्यक्रम भी वृहद रूप में आयोजित किये जाएंगे।
आईआईटी-आईएसएम धनबाद के विभागाध्यक्ष (पर्यावरण) प्रो. अंशुमाली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक प्रतिवेदन तैयार किया है जिसमे पर्वत और ग्लेशियर को मुख्य रूप से शामिल किया गया है। दामोदर नदी का विस्तार 25000 वर्ग किलोमीटर में है और इसके सहायक नदियों के किनारे ही अधिकांश उद्योगों का विकास हुआ है। दामोदर में करीब 60 से ज़्यादा सहायक नदियाँ इसे झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण नदी बनाती है। इसलिए हमे गंगा और दामोदर से ज़्यादा गर्गा जैसी छोटी सहायक नदियों को बचाने की जरूरत है।
अंशुमली ने बताया कि किसी भी ज़िला के लिए न्यूनतम
आठ से दस प्रतिशत का जल क्षेत्र ज़रूरी है ताकि भूगर्भ जल स्तर बना रहे परंतु आज जागरूकता के अभाव और लोगों की नासमझी के कारण ये केवल एक से दो प्रतिशत के बीच सिमट कर रह गया है। यह अत्यंत चिंता का विषय है।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि बीपीएससीएल के महा प्रबंधक आर आर सिन्हा ने कहा कि हमलोग बोकारो स्टील प्लांट के सहयोग से अपने प्लांट से प्रदूषण रोकने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। जल और इसे स्रोतों को प्रदूषण से बचाने और संरक्षित रखने के लिए पूरे मानव समाज को आगे आना होगा तभी हमलोग जल संकट जैसे वैश्विक समस्या से उबर पाएंगे।
सेमिनार में दामोदर बचाओ आंदोलन के जिला संयोजक सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने बोकारो जिला का वार्षिक लेखा-जोखा रखा। स्वागत भाषण डा. रतन केजरीवाल ने दिया जबकि धन्यवाद ज्ञापन शंकर स्वर्णकार ने किया. मंच संचालन श्रवण कुमार सिंह ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. अशोक, ललित सिन्हा, विश्वनाथ यादव, टीनू सिंह, मधुसूदन कुमार, अशोक जगनानी, विक्रम महतो, भैरव महतो, विक्की साव, कौशल किशोर, हरे राम यादव सहित अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका थी.