क्या रघुवर दास को जल्द ही संगठन में मिलने वाली है बड़ी जिम्मेदारी !
– *उनके सहारे ओबीसी वोट बैंक संभालना चाहती है भाजपा*
– *राज्यपाल का पद छोड़ने के बाद पार्टी कार्यकर्ता के रूप में वापसी करने वाले पहले राजनेता*
अमन शांडिल्य
झारखंड की राजनीति में हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ, जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर भाजपा में वापसी की। रघुवर दास झारखंड के पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने राज्यपाल का पद छोड़ने के बाद पार्टी कार्यकर्ता के रूप में वापसी की। यह कदम राज्य के राजनीतिक गलियारों में गहरी चर्चा का विषय बना हुआ है और इन कयासों को भी बल मिल रहा है कि संगठन में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जाने वाली है। उनके सहारे भाजपा ओबीसी वोट बैंक को संभालना चाहती है। अब नागपुर से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वे बड़े संकेत की ओर इशारा कर रहे हैं
विश्लेषकों का मानना है कि रघुवर दास की वापसी भाजपा के प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की ओर इशारा करती है और वह इस रूप में होगी कि पार्टी की कमान रघुवर दास को दी जा सकती है, क्योंकि बाबूलाल मरांडी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन इस पद पर उनका प्रभावी होना संदेहास्पद है। दरअसल, रघुवर दास भाजपा के मजबूत प्रशासक हैं और पिछड़ी राजनीति को सही दिशा में ले जाने के लिए पार्टी को उनकी जरूरत है।
*ओबीसी वोट बैंक को संभालने में होगी खास भूमिका*
रघुवर दास की वापसी को भाजपा के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा को राज्य में ओबीसी वोट बैंक को संभालने के लिए उनकी जरूरत है, खासकर, जब हेमंत सोरेन ने आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई वोट बैंक को मजबूत कर लिया है। रघुवर दास की वापसी भाजपा के लिए निश्चित रूप से अपनी राजनीतिक ताकत को फिर से खड़ा करने का एक सुनहरा मौका हो सकता है।
*राज्यपाल के पद से इस्तीफे के बाद भाजपा में आने की थीं चर्चाएं*
रघुवर दास ने 18 अक्टूबर 2023 को ओडिशा के राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी, और 31 अक्टूबर 2023 को उन्होंने राज्यपाल पद की जिम्मेदारी संभाली थी। राज्यपाल बनने से पहले उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जो 26 अक्टूबर 2023 को हुआ। 24 दिसंबर 2024 को राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसी दिन से उनकी भाजपा में वापसी की चर्चाएं तेज हो गईं। 10 जनवरी 2025 को रघुवर दास ने भाजपा की सदस्यता फिर से ग्रहण की और कहा, “हम वापस आएंगे, हम जल्द ही लौटेंगे।”
*काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है राजनीतिक करियर*
रघुवर दास का राजनीतिक करियर काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। वे 1995 से 2014 तक लगातार पांच बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से विधायक रहे। 2019 विधानसभा चुनाव में, मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने सरयू राय से चुनाव हारने के बाद अपना पद छोड़ा। हालांकि, 2024 में जब वे सक्रिय राजनीति से दूर थे, तब भी उनकी बहू पूर्णिमा दास साहू ने जमशेदपुर पूर्वी सीट पर जीत हासिल की, जो उनके क्षेत्र में मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
*दो बार रहे हैं झारखंड भाजपा के अध्यक्ष*
रघुवर दास 2004 और 2009 में दो बार झारखंड भाजपा के अध्यक्ष रहे। 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 30 सीटें जीतीं, जबकि 2009 में पार्टी को केवल 18 सीटें मिलीं। 2019 में, रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी को केवल 25 सीटें ही मिल सकीं, जो कि एक बड़ा झटका था। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि हार के पीछे कई कारण थे, जैसे सीएनटी एक्ट में संशोधन और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनके रिश्तों में तनाव। फिर भी, भाजपा के पास रघुवर दास जैसा नेता ही है, जो सड़कों पर भीड़ जुटाकर सरकार को घेरने की क्षमता रखता है।
*14 अंक का एक दिलचस्प संयोग*
बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास की पार्टी में दोबारा वापसी के बीच 14 अंक का एक दिलचस्प संयोग है। बाबूलाल मरांडी को भाजपा में लौटने में 14 साल का वक्त लगा, जबकि रघुवर दास ने महज 14 महीने में वापसी की। बाबूलाल मरांडी ने 2006 में भाजपा छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा (JVM) की स्थापना की थी, लेकिन 2020 में अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर लिया। उनकी वापसी में अमित शाह ने रांची आकर बड़ा कार्यक्रम किया था। वहीं, रघुवर दास की वापसी बिना किसी बड़े समारोह के हुई और वे भाजपा कार्यालय में सवा घंटा देर से सदस्यता ग्रहण करने पहुंचे थे।