…., हम कितने तैयार हैं!
…., हमसब इस बात को मानकर चल ही रहे हैं कि संकट(कोरोना) अभी टला नहीं है। हां, संशय थोड़ा इस बात को लेकर जरूर है कि हमारी जीवनयात्रा मौजूदा संकट के किस दौर के बीच जारी है। यानी, दूसरा और तीसरे के बीच या, तीसरे और चौथे के बीच! पर, माना तो यही जाता है कि कोई भी संकट कभी बताकर नहीं आता, कभी भी आ सकता है। और, उससे पार पाना इस बात पर निर्भर करता है कि उससे निपटने की तैयारियां हमने कितनी दुरुस्त कर रखी हैं। अगर दुरुस्त हैं, तो तय मानिये, भले ही इस दुनिया में कदम रखते वक्त हम रोये हों, या रुला दिए गए हों, मगर अंतिम यात्रा जरूर हंसते हुए तय की जा सकती है। और, अगर दुरुस्त ही नहीं, तो यह भी तय है, रोते हुए ही आए थे, और रोते हुए ही जाएंगे..!
यहां तैयारी दुरुस्त कर रखने का तात्पर्य यह है कि आसन्न संकट(कोरोना) से निपटने के लिए जिन-जिन चीजों की जरूरत होती हैं( बेड, वेंटिलेटर, आईसीयू, आक्सीजन, दवाएं, डॉक्टर आदि), की पहले के मुकाबले व्यवस्था पूरी की गईं हैं कि नहीं। क्योंकि, पिछले दो दौर में हम भरतवंसियों ने जो देखा, और जो झेला, को यहां उकेरना समय की बरबादी से ज्यादा कुछ भी नहीं। पर हां, पिछले दो दौरों/लहरों ने, हमें इस बात का एहसास जरूर करा गया कि हमारी मतों से निर्वाचित होने वाली सरकारों को हमारी जान और हमारे जहान की कितनी चिंता होती हैं…! अब, जब इस बीच, हमारी चिंताओं के मद्देनजर सरकारें रह-रहकर जो दावे कर दिया करतीं हैं, तो बड़ा आश्चर्य होता है! क्योंकि, कोई एक सप्ताह पहले, हमें पटना(बिहार) के पीएमसीएच में जो कुछ देखने को मिला, वो किसी भी सरकारी दावे के ठीक व्युत्क्रमानुपाती नजर आया।…
ऐसी स्थितियों में हमारे हाथ दो सवाल लगते हैं। एक तो यह कि, या तो हम अपनी निर्वाचित सरकारों के दावे पर विश्वास कर चुपचाप घर में बैठे रहें। या फिर, अपनी निर्वाचित सरकारों/ प्रतिनिधियों से, आसन्न किसी भी लहर से निपटने से संबंधित तैयारी से जुड़े सवालात करें। क्योंकि, हर मुमकिन तैयारी/ सेवाएं तो निर्वाचित सरकारों के नीतिगत फैसलों और उन नीतियों पर प्रशासनिक मशीनरी के संजीदा अमल पर ही निर्भर करती हैं। इतना ही नहीं, हर परिस्थिति में किसी भी बेहतर सेवाएं/ सुविधाएं मुहैया कराने का उत्तरदायित्व भी उन्हीं की हैं। इसलिए, अब चुपचाप बैठे रहने का समय नहीं, बल्कि, अपनी सरकारों/ प्रतिनिधियों से सवाल करने का वक्त है।…
अजीत राय।
अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, पटना।