झारखंड में एक तरफ सियासी ड्रामा जारी है तो दूसरी तरफ
कुड़मी आंदोलन से कई ट्रेनें रद्द बैठकों का दौर जारी
अमन कुमार
झारखंड में एक तरफ सियासी ड्रामा जारी है तो दूसरी तरफ आंदोलनकारियों ने सरकार को सकते में डाल रखा है ट्रेनें रद्द है व्यापार प्रभावित हो रही है कुड़मी आंदोलन पूरे शबाब पर है सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी अपनी विधायकी बचाने के चक्कर में है 1932 के खतियान की बात होते ही महा गठबंधन में भी दरार हो गया है उहापोह की स्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोरोनाकाल के बाद पहली बार पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक की है और बैठक में वर्दी के सम्मान बढ़ाने की बात कह कर पुलिस पदाधिकारियों का मनोबल भी बढ़ाया वही गठबंधन दल के नेताओं के साथ भी बैठक की
एक तरफ बैठकों का दौर जारी था तो दूसरी तरफ झारखंड में कुड़मी आंदोलन से कई ट्रेनें रद्द, व्यापार प्रभावित, मांगों पर अड़े आंदोलनकारी
कुड़मी को अनुसूचित जाति (एसटी) में शामिल करने समेत अन्य मांगों को लेकर कुड़मी समाज का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी रहा. झारखंड के बहरागोड़ा, बरसोल, चाकुलिया और घाटशिला अनुमंडल इस आंदोलन से काफी प्रभावित है. रेलवे ट्रैक और हाईवे जाम रहने से व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है.
कुड़मी को अनुसूचित जाति (एसटी) में शामिल करने समेत अन्य मांगों को लेकर कुड़मी समाज का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी रहा. पश्चिम बंगाल से सटे झारखंड के बहरागोड़ा, बरसोल, चाकुलिया और घाटशिला अनुमंडल इस आंदोलन से काफी प्रभावित है. पश्चिम बंगाल के खेमासोली में रेलवे ट्रैक और लोधासोली में हाईवे जाम से व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है. इससे सैकड़ों ट्रकों में मछलियां, सब्जियां, फूल, दूध 3 दिन से जाम में फंसे होने के कारण बर्बाद हो गए हैं. झाड़ग्राम जिला बंधक बना हुआ है. इस जिले में घुसने का हर मार्ग अवरुद्ध है.
रेलवे के साथ-साथ हाईवे को भी आंदोलनकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया है. झाड़ग्राम के पास लोधासोली हाईवे 3 दिनों से जाम है. इस अनिश्चितकालीन जाम के कारण झाड़ग्राम घुसने का कोई मार्ग नहीं बचा. इससे यहां का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो गया है. कुड़मी समाज की मुख्य मांगें कुड़मी को एसटी का दर्जा देने, कुड़माली भाषा को मान्यता देने और सरना धर्म कोड को लागू करना हैं
झाड़ग्राम में प्रतिदिन मछलियां, दूध, सब्जी समेत अन्य सामान आते हैं, जो 3 दिनों से नहीं आ रहे हैं. इससे व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ा है. दुर्गा पूजा में झारखंड-बंगाल सीमावर्ती इलाकों में अच्छा व्यवसाय होता है. जाम से व्यापारी त्रस्त हैं. कुड़मी समाज अपनी मांगों से समझौता करने के मूड में नहीं है. पुलिस बल प्रयोग से पीछे हट रही है. हर दिन जाम में लोग परेशान हैं.
जाम के कारण तीसरे दिन खड़गपुर टाटा मेन रूट की सभी ट्रेनें रद्द रहीं. हजारों लोग प्रभावित हैं. सबसे अधिक प्रभाव सब्जी, फूल, दूध, छेना के व्यापारियों पर पड़ा है.
दुर्गा पूजा के पूर्व इस तरह के बड़े आंदोलन से झारखंड-बंगाल सीमावर्ती इलाकों में अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है. कपड़े और जूते के व्यापारी कोलकाता से व्यापार नहीं कर पा रहे हैं.
बहरहाल देखना है कि बैठकों के दौर के दौरान किस तरह सरकार आंदोलन से निपटने की तैयारी करती है किस तरह आम जनता को राहत दिलाने के लिए कदम उठाती है