प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक : अपने ही जाल में फंस गई कांग्रेस
देवानंद सिंह
पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को जिस तरह एक फ्लाईओवर पर रुकने के लिए मजबूर होना पड़ा, अब यह मुद्दा और गंभीरता की तरफ बढ़ रहा है। पहले पंजाब सरकार और कांग्रेस भले ही इसे प्रधानमंत्री की बेजइती ही मान रहे हों, लेकिन जिस तरह का यह मामला है और पूरे देश ने जिस गंभीरता के साथ इस मामले को लिया है, अब वह कार्रवाई के तौर पर भी और सियासी तौर पर भी कांग्रेस और पंजाब सरकार के लिए गले की फांस बनने वाला है। यह पूरा देश जानता है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने सियासी तौर पर ही प्रधानमंत्री की बेजइती करने के तौर पर एक सोची समझी रणनीति के तहत इस घटनाक्रम को अंजाम दिया। पर यह नहीं सोचा कि देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक को यह देश स्वीकार ही नहीं कर सकता और न ही माफ कर सकता है।
क्योंकि यह एक ऐसा घटनाक्रम है, जो कल्पना से बिलकुल ही परे है। कोई सोच भी नहीं सकता कि भारत जैसे देश के प्रधानमंत्री को खुले आसमान के नीचे मजबूरन रुकना पड़ा और वहीं से वापस लौटना पड़ा हो। जब एक राज्य की पुलिस और सरकार देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षा देने में नाकाम हो सकती है तो फिर आम नागरिकों का क्या होगा, इतना भर सोचना भी बहुत ही कष्टदायक लगता है। निश्चित ही इस घटनाक्रम के बाद पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस कड़े दंड के भागीदार बन जाते हैं। और जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, इसमें ऐसा ही होने वाला है। बीजेपी के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे को बेहद गंभीरता के साथ लिया है, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर इस पूरे घटनाक्रम से उन्हें अवगत कराया है और गृह मंत्रालय ने भी इस मामले में जांच बैठा दी है। जिस तरह मामले को पूरे देश ने गंभीरता से लिया है, ऐसे में घटना के दिन तक मामले को हल्का बताने वाली कांग्रेस भी परेशान नजर आ रही है, क्योंकि कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी ने स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को फोन कर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यानि कुल मिलाकर इस मामले को सियासी जामा पहनाने में लगी कांग्रेस अब आफत में फंस गई है।
पंजाब में कुछ ही समय बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं, इसीलिए ये मुद्दा और भी बड़ा बन जायेगा, शायद ही सियासी तौर पर कांग्रेस इस मुद्दे को मैनेज कर पाए, क्योंकि कोई विरोधी भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में इस तरह की लापरवाही को स्वीकार नहीं कर सकता है। किसी भी राज्य में जाने पर प्रधानमंत्री का जो प्रोटोकाल होता है, उसके बावजूद भी देश के बेहद ही संवेदनशील इलाके में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी चूक करने की हिमाकत कैसे की जा सकती है ? यह बहुत ही बड़ा सवाल है। पंजाब की पुलिस इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है कि प्रधानमंत्री के रूट की जानकारी प्रदर्शनकारियों तक पहुंची कैसे और प्रदर्शनकारी कैसे हमले की फिराक में प्रधानमंत्री के लिए लगे रूट पर एकत्रित हो गए। चूक के बाद जिस तरह कांग्रेस ने इसे सियासत से जोड़ा, उसने और भी उसकी ही छीछालेदर की। क्या नरेंद्र मोदी किसी वर्ग और पार्टी के प्रधानमंत्री हैं ? वह पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। इसीलिए उनकी सुरक्षा को सियासी चश्मे से देखना बेहद ही गंभीर मामला है। यह भारत जैसे देश के लिए शर्मनाक तो है ही बल्कि पंजाब के लिए बेहद ही नुकसान पहुंचाने वाला भी साबित हुआ, क्योंकि प्रधानमंत्री फिरोजपुर की जिस रैली में जा रहे थे, वहां वह हजारों करोड़ की योजनाओं की घोषणा करने वाले थे, लेकिन पंजाब सरकार की भारी चूक की कीमत वहां के लोगों को भी चुकानी पड़ी। क्या इन हालातों में स्वयं पंजाब की जनता पंजाब सरकार को माफ कर पाएगी ? बिलकुल भी नहीं। सियासत को पीछे छोड़कर पंजाब सरकार को जब देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा और जनता के हित में की जा रहीं घोषणाओं का तहे दिल से स्वागत करना चाहिए था, वह सरकार न तो देश के प्रधानमंत्री की ठीक से सुरक्षा कर पाई और न ही राज्य के हित में होने वाली घोषणाओं की भागीदार बन पाई।