कोल्हान में नक्सल बड़ी चुनौती,उन्मूलन की दिशा में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है पुलिस : कोल्हान डीआईजी राजीव रंजन सिंह
हेमंत सरकार कोरोना संक्रमण से मुक्ति के साथ-साथ अपराधियों नक्सलियों और संगठित अपराध से भी झारखंड को मुक्त कराने के लिए सतत प्रयास कर रही है उसी के तहत कोल्हान के डीआईजी के पद पर राजीव रंजन सिंह की पदस्थापना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है दूसरी तरफ पहली बार कोल्हान की पुलिस जश्न के मूड में भी है चुकी कोल्हान के डीआईजी राजीव रंजन सिंह को कोल्हान के भौगोलिक, आर्थिक और अपराधिक गतिविधियों की पूरी जानकारी है और तीनों जिला के पुलिस कप्तान टीम भावना के साथ इसका लाभ उठाने के लिए आतुर दिख रहे हैं आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन सिंह की पुलिसिंग का जवाब नहीं चाहे वह जमशेदपुर के ग्रामीण एसपी अथवा सिटी एसपी के तौर पर ही काम क्यों ना किया हो साहिबगंज के अलावा पाकुड़ में भी वह बतौर एसपी बेहतर पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा चुके हैं. उनके नाम बड़े बड़े अपराधियों के एनकाउंटर भी दर्ज हैं . यही वजह है कि उन्हें लगातार गैलंट्री के आधार पर प्रमोशन मिलता गया . वर्तमान में कोल्हान के डीआईजी के रूप में पदस्थापित राजीव रंजन सिंह के निर्देशन में चाईबासा सरायकेला और जमशेदपुर में पुलिस द्वारा बेहतर काम किए जा रहे हैं. नक्सलियों के खिलाफ काम हो रहे हैं और विधि व्यवस्था पर भी नियंत्रण स्थापित करने में पुलिस को अहम कामयाबी मिली है. राष्ट्र संवाद की ओर से उप संपादक राम कंडे मिश्र ने उनका एक संक्षिप्त साक्षात्कार लिया है, जिसमें उन्होंने बड़ी बेबाकी से सवालों के जवाब दिए
कोल्हान की सबसे बड़ी समस्या अथवा यूं कहें की सबसे बड़ी चुनौती नक्सल समस्या है.नक्सलियों के खिलाफ काम किए जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से चाईबासा और सरायकेला क्षेत्र में उनकी गतिविधियां बड़ी हैं. पुलिस उनकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए हैं.जगह-जगह कार्रवाई भी की गई है. हथियार बरामद किए गए हैं. वांटेड नक्सलियों की गिरफ्तारी भी की गई है . उक्त जानकारी कोल्हान के डीआईजी राजीव रंजन सिंह ने राष्ट्र संवाद से बातचीत करते हुए दी . एक सवाल के जवाब में डीआईजी ने बताया किस सरायकेला और चाईबासा जिले में नक्सल बड़ी समस्या है. जबकि जमशेदपुर की अगर बात की जाए तो नक्सल लगभग समाप्त हो गया है . जमशेदपुर में विधि व्यवस्था और क्राइम कंट्रोल चुनौती है. जिस पर पुलिस काम कर रही है.
डीआईजी ने बताया की प्रभार संभालने के बाद से उन्होंने नक्सल समस्या से निजात पाने की दिशा में सतत प्रयास किए हैं, और उसे एक चुनौती के रूप में लिया है . हालांकि चाईबासा और सरायकेला में नक्सल कोई नई समस्या नहीं है. यह पुरानी समस्या है . पिछले दिनों चाईबासा के किरीबुरू में नक्सल गतिविधियों की जानकारी के बाद वह स्वयं दल बल के साथ किरीबुरू गए थे . वस्तु स्थिति से अवगत होने के बाद यह पाया कि नक्सलियों का क्षेत्र में आना जाना तो जरूर है लेकिन ग्रामीणों को उनके प्रति कोई सहानुभूति नहीं है. यही वजह है कि नक्सली क्षेत्र के गांव में अपना प्रभाव नहीं बना पा रहे हैं हालांकि उनकी ओर से प्रयास जरूर किए जा रहे हैं . डीआईजी ने माना कि अभी भी किरीबुरू एरिया में ग्राउंड लेवल पर विकास की जरूरत है. क्षेत्र पिछड़ा है. सरकार द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए कार्य भी किए जा रहे हैं . सुधार भी हुआ है , लेकिन अपेक्षित नहीं . डीआईजी ने आगे बताया कि ग्रामीणों के कमजोर पक्ष का नक्सली अध्ययन करते हैं और उसे इन कैश कराने की पूरी कोशिश करते हैं. एक सवाल के जवाब में डीआईजी ने बताया कि ग्रामीण दिल से नक्सलियों को नहीं चाहते हैं. हथियार का भय दिखाकर वह ग्रामीणों को अपने पक्ष में मिला लेते हैं , और जरूरत के हिसाब से उनसे मदद ले लेते हैं . पिछले दिनों ग्रामीणों को समझते देर नहीं लगी कि नक्सलियों का समर्थन करके उन्हें कोई फायदा नहीं है, बल्कि नुकसान है . जब झारखंड की स्थापना के पूर्व विकास की गति धीमी थी. लेकिन झारखंड के गठन के बाद से विकास में उत्तरोत्तर प्रगति हुई . ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण हुआ है. आवागमन की सुविधाएं बढी है . ग्रामीणों का शहर से जुड़ाव हुआ है . जरूरत पर पुलिस भी बहुत जल्द पहुंच जाती है . इसलिए ग्रामीणों का पुलिस के बीच भरोसा बढ़ा है . आज की तिथि में ग्रामीण पुलिस की मदद करते हैं .अब नक्सलियों का प्रलोभन भी ग्रामीणों को डिगा नहीं पाता है . दरअसल नक्सलियों के समर्थन से ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है . डीआईजी ने बताया कि नक्सलियों का कोई सिद्धांत नहीं है . उनका एकमात्र उद्देश्य ग्रामीणों में भय पैदा कर व्यापारियों को डरा धमका कर और ठेकेदारों को भैया क्रांत कर लेवी वसूलना रह गया है. जिसकी वजह से समाज के किसी वर्ग का उन्हें समर्थन नहीं मिल पाया. बिना सिद्धांत के लंबा संघर्ष कठिन है . पूरे झारखंड में पुलिस महानिदेशक की ओर से क्षेत्र के नक्सलियों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए गए . जिसकी वजह से पुलिस को नक्सल मूवमेंट पर नियंत्रण में कामयाबी मिली. जहां तक जमशेदपुर की बात है, नक्सल लगभग समाप्त हो चुका है. थोड़ा बहुत चाकुलिया के ग्रामीण क्षेत्रों और दलमा के तराई क्षेत्रों में नक्सल गतिविधियों की सूचना मिलती है . लेकिन उनकी स्थिति भी मजबूत नहीं है . पुलिस के भय से वे कोई बड़ा क्राइम करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. डीआईजी ने माना कि पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांधा और डुमरिया क्षेत्रों में नक्सलियों की सक्रियता काफी थी. यह क्षेत्र उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से जुड़ता है . उस क्षेत्र के नक्सली डुमरिया और गुड़ाबांधा में अपनी पैठ बनाने में सफल रहे थे. लेकिन पुलिस द्वारा किए गए लगातार ऑपरेशन के बाद इस क्षेत्र से नक्सलियों के पांव उखड़ गये. डीआईजी ने बताया कि पूर्वी सिंहभूम जिले के क्षेत्रों का विकास हुआ है. ग्रामीणों में जागरूकता आई है.वे समझदार बने हैं. शिक्षा के स्तर में भी काफी सुधार हुआ है. जिसकी वजह से ग्रामीणों में अच्छा और बुरा का ज्ञान बड़ा है . वे लोग नक्सलियों को कभी तरजीह नहीं दे रहे हैं. जमशेदपुर क्षेत्र में विधि व्यवस्था और अपराध नियंत्रण की समस्या रहती है. जिस पर वर्तमान सीनियर एसपी डॉक्टर तमिल वानन और सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट के साथ-साथ डीएसपी लेवल के अधिकारियों ने भी लॉ एण्ड ऑर्डर और क्राइम कंट्रोल पर अच्छा काम किया है . स्थिति काफी बेहतर है. कुछ घटनाएं हुई है. जिसका पुलिस ने उद्भेदन कर अपराधियों की गिरफ्तारी की. जहां तक सरायकेला और चाईबासा की बात है, तो इन क्षेत्रों में लॉ एंड आर्डर की कोई बड़ी समस्या नहीं है. पुलिस अपने सतत प्रयास से इन क्षेत्रों के लॉ एण्ड ऑर्डर को मेंटेन करके रखती है.