रेलवे द्वारा आखिर टाटा नगर के लोगों की अनदेखी क्यों….?
देवानंद सिंह
एक अक्टूबर को दक्षिण पूर्व रेलवे ने अपनी नई समय सारिणी जारी कर दी है, जो लागू भी हो गई है, लेकिन इस सारणी को देखकर टाटानगर के लोगों के हाथ मायूसी लगी है। दरअसल, नई समय सारिणी में इस बार भी टाटानगर को कोई ट्रेन नही मिली है।
मजे की बात यह है कि पुराने ट्रेनों का फेरा को कम कर दिया गया है। फिलहाल, नई समय सारणी के मुताबिक टाटा से खुलने वाली गाड़ी संख्या 20815 टाटा – विशाखापत्तनम एक्सप्रेस का समय में बदलाव किया गया है। अब यह ट्रेन सुबह 7.20 मिनट में टाटा से प्रस्थान करेगी, जबकि गाड़ी संख्या 18601 टाटा – हटिया एक्सप्रेस टाटानगर से 12.05 में प्रस्थान करेगी। इसके अलावा गाड़ी संख्या 13511 टाटा –आसनसोल एक्सप्रेस दोपहर 1.25 मिनट में टाटानगर से प्रस्थान करेगी, वहीं गाड़ी संख्या 13302 टाटा –घनबाद स्वर्णरेखा एक्सप्रेस टाटानगर से 1.40 मिनट पर प्रस्थान करेगी। टाटा-एलेप्पी लिंक एक्सप्रेस को बंद कर दिया गया है। उसके स्थान पर टाटा –एर्णाकुलम के लिए जरुर एक ट्रेन को हरी झंडी मिली है। फिलहाल, यह ट्रेन सप्ताह में दो दिन चल रही है, लेकिन रेल इस ट्रेन को प्रतिदीन चलाने की योजना है।
दूसरी तरफ, रांची टाटा –रांची इंटरसिटी और टाटा- लोकमान्य अंत्योदय एक्सप्रेस के चलने को लेकर रेलवे की नई समय सारिणी में कोई जानकारी नही दी गई है। यही स्थिति अन्य ट्रेनों को लेकर भी है। बताया जा रहा है कि टाटा –रांची इंटरसिटी के रैक को टाटा-विलासपूर एक्सप्रेस में उपयोग किया जा रहा है। नई समय सारिणी के मुताबिक टाटा नगर के लोगों को जो एक और नुकसान हुआ है, उसके तहत टाटा से प्रस्थान करने वाली कई गाड़ियों को एक्सप्रेस कर दिया गया है, यहां के यात्रियों को इसका नुकसान यह होगा कि यात्रियों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। इस मार्ग की महत्वपूर्ण गाड़ियां, जिनमें टाटा-इतवारी, टाटा- विलासपुर, टाटा-हटिया, हावड़ा-चक्रधरपुर,झारखंड –धनबाद,हावड़ा – घाटशिला,गोमो –चक्रधरपुर,महत्वपूर्ण पैसेंजर ट्रेन शामिल हैं, इनको एक्सप्रेस में रद्द कर दिया गया है।
टाटा-गोड़डा की प्रस्तावित नई ट्रेन के सबंध में कोई चर्चा नही की गई है, यह भी बड़ी चौंकाने वाली बात है। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि हाल के दिनों में गोड़डा के सांसद ने टवीट कर जानकारी दी थी कि गोड़डा से टाटा के लिए नई ट्रेन चलेगी, लेकिन इस पर भी कोई चर्चा नहीं की गई है। इससे जाहिर होता है कि जनप्रतिनिधि भी अपने दिए आश्वासन को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं, लेकिन सच तो यह है कि इसका नुकसान जनप्रतिनिधियों को तो उठाना नहीं पड़ेगा, बल्कि आम लोगों को उठाना पड़ेगा। दूसरा जो लोग बिहार जाते हैं या फिर बिहार से टाटा नगर आते हैं, उनके लिए भी कोई ट्रेन नहीं है।
दरअसल, पहले बिहार के यात्रियों के लिए टाटा–छपरा के साथ लिंक कटिहार जाती थी, लेकिन इस ट्रेन में रेलवे ने कटौती कर दी है। टाटा–छपरा एक्सप्रेस को थावे तक कर दिया गया हैं, लेकिन यह सप्ताह में सिर्फ चार दिन चल रही है। वहीं, टाटा –कटिहार एक्सप्रेस का लिंक ट्रेन को बंद कर इसे सप्ताह में तीन दिन कर दिया गया है। अब टाटा – कटिहार एक्सप्रेस बरौनी नहीं जाती है। इसका कारण बरौनी से आगे जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। वहीं, प्रतिदिन चलने वाली टाटा –जम्मूतवी एक्सप्रेस के फेरों में भी कटौती कर दी गई है।यह ट्रेन भी प्रतिदिन की जगह सप्ताह में तीन दिन चल रही है।
कुल मिलाकर, नई सारिणी को देखकर यही लगता है कि दक्षिण रेलवे ने टाटा नगर के लोगों की खुलकर अनदेखी की है। यह बात समझ से परे है कि आखिर क्यों दक्षिण पूर्व रेलवे ने टाटानगर के लोगों अनदेखी की। टाटा नगर एक बड़ा और विकसित शहर है, जो हर लिहाज से महत्पूर्ण है, खासकर बिजनेस ऑफ प्वाइंट ऑफ व्यू से, इसीलिए इस शहर में लोगों की आवाजाही बहुत अधिक रहती है, लिहाजा दक्षिण पूर्व रेलवे को इस पर गंभीरता के साथ विचार करने की आवश्यकता थी, जिससे टाटा नगर के लोगों को बड़ी राहत मिलती।