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    Home » डीईओ ने सभी निजी विद्यालयों के प्राचार्यों/विद्यालय संचालकों से पूछा स्पष्टीकरण
    Breaking News Headlines झारखंड शिक्षा

    डीईओ ने सभी निजी विद्यालयों के प्राचार्यों/विद्यालय संचालकों से पूछा स्पष्टीकरण

    News DeskBy News DeskMarch 28, 2025Updated:March 28, 2025No Comments5 Mins Read
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    • 07 दिनों में जवाब समर्पित करने का दिया निर्देश, अनुमंडल पदाधिकारी चास की अध्यक्षता में पिछले दिनों आहूत अभिभावक संघ – विद्यालय प्रबंधन के साथ हुई बैठक से जुड़ा मामला
    • विगत तीन शैक्षणिक सत्र की वर्गवार अनुशंसित पुस्तकों की शुल्क सहित सूची तथा संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन संबंधित विवरण उपलब्ध कराने का दिया निर्देश

    राष्ट्र संवाद संवाददाता

    बोकारो : विभिन्न अभिभावक एवं संगठनों द्वारा जिला में संचालित निजी विद्यालय के विरूद्ध विभिन्न बिन्दुओं पर शिकायत किया जा रहा था। जिसको लेकर दिनांक 25.03.2025 को अनुमण्डल पदाधिकारी चास की अध्यक्षता में बैठक आहुत की गई। उक्त बैठक में उपस्थित अभिभावक एवं अभिभावक संगठनों द्वारा निजी विद्यालय द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं से समिति को अवगत कराया गया। जिसका मुख्य बिन्दु निम्नवत हैः-

    मनमाने तरीके से विभिन्न मदों में शुल्क वृद्धि करना

    विद्यालय प्रशासन द्वारा री-एडमिशन (Re-admission) परिवहन शुल्क, डेवलपमेंट शुल्क, मासिक शुल्क विलम्ब होने पर शुल्क तथा छात्र के अनुपस्थित होने पर शुल्क आदि से संबंधित शिकायत किया गया है। जिसके संबंध में विद्यालय प्रशासन अवगत कराएं कि सी०बी०एस०ई०/ संबंधित राज्य के किस नियम/विनियम/अधिनियम / प्रावधान के द्वारा प्रतिमाह अथवा प्रतिवर्ष री-एडमिशन (Re-admission), परिवहन शुल्क, डेवलपमेंट शुल्क, मासिक शुल्क आदि में वृद्धि किया जाता है? आप अवगत है कि झारखण्ड शिक्षा न्यायाधिकरण (संसोधन) अधिनियम 2017 के कंडीक 7 अ (1) में शुल्क के संग्रह का विनियमन हेतु निर्देश दिया गया है जिसके अनुसार प्रत्येक निजी विद्यालय में विद्यालय फीस समिति होगी। क्या वार्षिक शुल्क वृद्धि उपरोक्त समिति के अनुमोदन से किया गया था यदी हाँ तो फीस समिति के द्वारा शुल्क संरचना की स्वीकृति संबंधि समिति की कार्यवाही उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही आप सभी पिछले तीन वर्षों का सभी मदों के कक्षावार शुल्क तालिका उपलब्ध करायेंगे।

    प्रतिवर्ष पोशाक एवं पुस्तकों में परिवर्तन, विद्यालय द्वारा चिन्हित प्रकाशन की पुस्तकों को विशेष दुकानदार से क्रय करने पर विवश करना।

    उक्त बैठक में अभिभावकों एवं संगठनों से शिकायत प्राप्त हुआ कि विद्यालय प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष पोशाक एवं पुस्तकों में परिवर्तन कर दिया जाता है तथा री-एडमिशन (Re-admission) के साथ ही अभिभावकों को एक वर्गवार पुस्तक विवरणी सूची प्राप्त करा दी जाती है। जिसमें पुस्तकों का शुल्क के साथ पुस्तक किस दुकान पर मिलेगी यह भी अंकित रहता है और उक्त पुस्तक किसी अन्य दुकान पर नहीं मिलती है, जिससे अभिभावकों को पुस्तक क्रय में अतिरिक्त आर्थिक बोझ वहन करना पड़ता है।

    उक्त के संबंध में सी०बी०एस०ई० नई दिल्ली के द्वारा निर्गत सर्कुलर संख्या 10/2017 दिनांक 19.04.2017 में स्पष्ट अंकित है कि सी०बी०एस०ई० से संबद्ध विद्यालयों द्वारा किसी भी प्रकार के वाणिज्यिक गतिविधि यथा- पुस्तक, लेखन सामग्री (STATIONERY) पोशाक आदि की बिक्री विद्यालय अपने स्तर अथवा किसी चिन्हित एजेन्सी के माध्यम से नहीं करेगी। उक्त से स्पष्ट होता है कि निजी विद्यालयों द्वारा उपरोक्त सर्कुलर का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है जो आपके मनामाने एवं स्वेच्छाचारिता का द्योतक है। इसी को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) श्री जगरनाथ लोहरा ने सभी निजी विद्यालयों के प्राचार्य/संचालकों से स्पष्टीकरण पूछा है।

    आप सभी विद्यालय विगत तीन शैक्षणिक सत्र की वर्गवार अनुशंसित पुस्तकों की शुल्क सहित सूची तथा संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन संबंधि विवरण उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही विगत तीन वर्षों का आपके द्वारा विद्यालय के वेबसाईट पर वर्षवार निर्धारित पुस्तकों की सूची अपलोड किया गया है अथवा नहीं से संबंधित साक्ष्य भी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

    अतः निदेश है कि उपरोक्त बिन्दु के संबंध में अपना पक्ष प्रतिवेदन पत्र प्राप्ति के सात दिनों के अन्दर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। यह भी स्पष्ट करें कि क्या आपके द्वारा फीस समिति का गठन किया गया है। यदी हाँ तो फीस समिति के द्वारा शुल्क संरचना की स्वीकृति संबंधि समिति की कार्यवाही उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

    जानकारी हो कि, सहायता प्राप्त सम्बद्ध एवं निजी विद्यालयों के शिक्षकों एवं इन संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों के माता-पिता/अभिभावकों के शिकायतों के निवारण हेतु एक अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में वैधानिक न्यायाधिकरण के गठन के लिए प्रावधान बनाने के लिए अधिनिमित किया गया है। विद्यालय द्वारा अधिक शुल्क निर्धारण हेतु शुल्क संग्रहण एवं विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा झारखण्ड शिक्षा न्यायाधीकरण अधिनियम 2005 एवं झारखण्ड शिक्षा न्यायाधीकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 क्रमशः 15.08.2005 एवं 26.10.2018 से लागू है।

    झारखण्ड शिक्षा न्यायाधीकरण अधिनियम (संशोधन) 2017 के अध्याय (ii) का संदर्भ ग्रहण करें। अध्याय (ii) का धारा 7 ‘अ’ (1) के अनुसार सरकार द्वारा निजी विद्यालयों द्वारा लगाये गये शुल्क विनियमित किये जायेगें जिसके तहत प्रत्येक विद्यालय में फीस समिति गठित होगी। इस समिति का कार्यालय तीन शैक्षणिक वर्षों के लिए होगा। समिति द्वारा विद्यालय स्तर पर शुल्क निर्धारण किया जायेगा। शुल्क निर्धारण के कारक भी अध्याय (ii) में दिये गये है, शुल्क संरचना करने के बाद शुल्क समिति, प्रस्तावित शुल्क संरचना की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों की अवधी के भीतर फीस को मंजूरी देगी और लिखित रूप में स्वीकृत शुल्क के विवरणियों को प्राचार्य को संप्रेषित करेगी। शुल्क समिति द्वारा निर्धारित शुल्क दो वर्षों के लिए प्रभावी होगी। यदि समिति द्वारा तय शुल्क में वृद्धि पिछले वर्ष के शुल्क के 10 प्रतिशत से अधिक है, तो मामले को जिला समिति को अनुमोदन के लिए भेजेगी, जिसके अध्यक्ष उपायुक्त होंगे।

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