झारखंड में सत्ता साज़िश और सैर सपाटा के बीच असमंजस
क्या सीएम हेमंत सोरेन को सता रहा हॉर्स ट्रेडिंग का डर ?
देवानंद सिंह
झारखंड में शह और मात का खेल चल रहा है सत्ता साज़िश और सैर सपाटा के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों का कुनबा कड़ी सुरक्षा के बीच रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट पहुंच गया है झारखंड में चर्चाओं का बाजार गर्म है की कुनवे में सभी विधायक मंत्री नहीं है पिछले 5 दिनों से चल रहे उठापटक के बीच 30 अगस्त को अचानक सत्ताधारी दल के विधायक और मंत्रियों की रायपुर जाने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं रायपुर जाने वालों में कुल 31 विधायक और मंत्री शामिल हैं. इनमें कांग्रेस के चार मंत्री मसलन, रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख समेत कुल 12 विधायक रायपुर गये हैं झामुमो के कुल 19 विधायक रायपुर गए हैं.
इस तरह रायपुर जाने वाले सत्ताधारी दल के विधायकों की कुल संख्या 31 है. इनमें झामुमो के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा मंत्री मिथिलेश ठाकुर, जगरनाथ महतो, जोबा मांझी, चंपई सोरेन और हफिज उल हसन रायपुर नहीं गए हैं. इसके अलावा झामुमो विधायक सवीता महतो, लोबिन हेंब्रम, दीपक बिरुआ और बसंत सोरेन भी नहीं गये हैं. झामुमो विधायक रविंद्र नाथ महतो स्पीकर हैं इसलिए उनका जाना संभव ही नहीं है. इस तरह झामुमो के 30 विधायकों में 19 विधायक रायपुर गए हैं यूपीए ने यह कदम भाजपा की ओर से हॉर्सट्रेडिंग की आशंकाओं को देखते हुए किया गया है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बातचीत में केंद्र की भाजपा सरकार पर सभी गैर भाजपाई सरकारों को परेशान करने और विधायकों की खरीद-फरोख्त के साजिश का आरोप लगाया
क्या सीएम हेमंत सोरेन को सता रहा हॉर्स ट्रेडिंग का डर ?
प्रचुर संसाधनों से लैस झारखंड को न जाने किसकी नजर लग गई है। एक तरफ अंकिता की पेट्रोल डालकर हत्या का मामला तूल पकड़े हुए है तो चतरा में एक बच्ची के ऊपर एसिड अटैक हुआ है और तीसरा मामला सियासी मोर्चे का है। हेमंत सोरेन पर विधायकी जाने की तलवार लटकी हुई है, जिसके चलते राज्य में सियासी हालात बेहद ही नाजुक दिख रहे हैं। झारखंड महागठबंधन सरकार के विधायक मंगलवार को रांची से रायपुर शिफ्ट किए गए हैं। सीएम आवास से हेमंत सोरेन विधायकों को 2 बसों में लेकर एयरपोर्ट पहुंचे थे, जहां से सभी विधायक रायपुर गए, हालांकि सीएम रायपुर नहीं गए हैं। वे विधायकों के साथ केवल एयरपोर्ट तक आए थे। इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि, “हम हर मुश्किल का सामना करेंगे। कोई अप्रत्याशित घटना नहीं घटने वाली है। हम हर चीज के लिए तैयार हैं, स्थिति हमारे नियंत्रण में है।
सभी विधायकों को रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में रखा गया है, यह रिसॉर्ट बहुत ही खूबसूरत होने के साथ ही महंगा भी है। बताया जा रहा है कि यहां का प्रतिदिन का किराया 3500 से लेकर 35 हजार तक है। इस रिसॉर्ट में सभी 47 कमरों को भी बुक किया गया है। रिसॉर्ट के बाहर पुलिस की तैनाती का भी आदेश दिया गया है। इसी बीच आगामी 1 सितंबर को शाम 4 बजे रांची में कैबिनेट की बैठक भी बुलाई गई है। इससे पहले राज्य में राजनीतिक उथलपुथल के बीच बीती 27 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अन्य विधायकों को लेकर रांची में अपने आवास पर पहुंचे थे। चर्चा है कि चुनाव आयोग द्वारा सीएम हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की गई है, जिसके बाद ये राजनीतिक उठापटक शुरू हुई, हालांकि झारखंड के राज्यपाल द्वारा अब तक चुनाव आयोग का फैसला नहीं बताया गया है। जिस तरह के राजनीतिक हालात बने हुए हैं, उसमें कुछ भी नहीं कहा जा सकता है कि क्या होगा ?
जहां, सत्ता पक्ष हालात अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए हर जतन कर रहा है, वहीं विपक्ष भी तांक पर बैठा हुआ है। बता दें कि झारखंड में महागठबंधन की सरकार है, जिसमें हेमंत सोरेन की झामुमो, कांग्रेस और राजद शामिल हैं। महागठबंधन का दावा है कि उनके पास 50 से ज्यादा नंबर हैं। चुनाव आयोग की सिफारिश के तुंरत बाद विधायक मुख्यमंत्री के आवास पर इकट्ठा किए गए थे और बाद में खूंटी जिले में एक गेस्ट हाउस में पिकनिक पर चले गए थे। इसके बाद सभी रांची लौटे थे। जेएमएम की ओर से बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग करने का आरोप लगाया गया है।
इस सियासी हलचल को लेकर बीते दिन सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था कि केंद्र सरकार अन्य राज्यों की चुनी हुई सरकारों को गिराने में लगी है। ऐसे में, देश का भविष्य क्या हो सकता है अंदाजा लगा सकते हैं ? मेरी कुर्सी से दिल्लगी नहीं है, बल्कि राज्य की सवा तीन करोड़ जनता से है, राज्य के आदिवासियों से है। सरकार की नजर हर घटनाक्रम पर है, हम भी जवाब देंगे और जनता भी जवाब देगी, लेकिन जिस तरह सीएम हेमंत सोरेन ने विधायकों को रिसॉर्ट में शिफ्ट किया है, उससे लगता है कि उन्हें हॉर्स ट्रेडिंग डर सता रहा है। अन्य कई राज्यों में जिस तरह से एकाएक सरकारें बदलीं हैं, उससे झारखंड में यह स्थिति नहीं हो सकती है, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। इसीलिए मुख्यमंत्री भी अपनी तरफ से सरकार बचाने में कोई चूक नहीं छोड़ना चाहते हैं, लेकिन जो राज्य में सियासी हालात बने हुए हैं, उसमें कुछ भी हो सकता है।
बरहाल सत्ताधारी दल ने अपने कुनबे को सलामत रखने के लिए रायपुर रवाना किया है परंतु जो चर्चाओं का बाजार है वह यूपीए खेमा में दरार की तरफ इशारा कर रहा है देखना है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के साथ राजेश ठाकुर कुनवे को बरकरार रखने में सफल रहते हैं या नहीं