हर मुख्यमंत्री को गंवानी पड़ी सीट
बिशन पपोला
झारखंड विधानसभा चुनाव 2०19 का परिणाम घोषित चुका है। सत्तारूढ़ बीजेपी को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ा झटका स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास को झेलना पड़ा है, क्योंकि वह न तो सत्ता बचा पाए और न ही अपनी सीट। अपनी सीट हारने के साथ ही वह भी उस सूची में शामिल हो गए हैं, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री शामिल रहे हैं। यानि राज्य में जो भी मौजूदा मुख्यमंत्री रहा, उसे अपनी सीट गंवानी पड़ी। रघुवर दास के पांच साल के कार्यकाल को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था, लेकिन वह भी उस अपवाद को समा’ करने में सफल नहीं रह पाए। इसी अपवाद की वजह से महज 19 साल की उम्र में झारखंड ने छह मुख्यमंत्रियों को देखा है। उ“ेखनीय है कि मौजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। यह बीजेपी के लिए हमेशा ही महत्वपूर्ण सीट रही है, लेकिन इस बार सरयू राय के चुनाव मैदान में आ जाने से इस सीट को रघुवर दास के लिए बचाना मुश्किल हो गया था। नतीजतन हुआ भी ऐसा ही, बागी नेता सरयू राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सीट निकालने में सफल रहे।
रघुवर दास से पहले के इतिहास पर नजर डालें तो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में साल 2००० में बिहार से अलग होकर झारखंड नया राज्य बना था। नया राज्य बनने के साथ ही वहां बीजेपी ने सरकार बनाई थी, जिसके मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बने। जब अगली बार चुनाव हुए तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाबूलाल मरांडी के बाद अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहे, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री रहने के बाद अगले चुनाव में कोई भी अपनी सीट बचाने में सफल नहीं रहा। बस थोड़ा-सा अंतर 2०14 में हेमंत सोरेन के साथ यह हुआ कि वह बरहेट सीट से जीत गए थे, लेकिन दुमका सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा और उनकी सीएम पद पर दोबारा वापसी भी नहीं हुई।
मधु कोड़ा ने 28 अगस्त 2००8 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा-जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। बशर्ते, वह उस समय विधायक नहीं थे, ऐसे में उन्हें छह महीने के भीतर चुनाव लड़कर विधायक बनना जरूरी था। तमाड़ सीट के उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन झारखंड पार्टी के प्रत्याशी राजा पीटर से करीब 9 हजार वोटों के अंतर से हार गए थे। लिहाजा, हार के बाद शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। उसके बाद साल 2०14 में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी धनवार और गिरिडीह दो सीटों से चुनाव लड़े, लेकिन दोनों सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी चाइबासा की मझगांव सीट से जेवीएम प्रत्याशी से हार गए थे।
वहीं, झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा भी 2०14 में जेवीएम प्रत्याशी से खरसावां सीट पर हार गए थे। इस प्रकार झारखंड को बिहार से अलग हुए 19 साल हो चुके हैं और अब तक राज्य में छह मुख्यमंत्री हो चुके हैं। हेमंत सोरेन दूसरी बार प्रदेश की कमान संभालने जा रहे हैं। इसीलिए अगली बार वह इस अपवाद को तोड़ पाएंगे या नहीं यह देखना महत्वपूर्ण होगा। फिलहाल, वह शानदार जीत के साथ प्रदेश के सातवें मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
हर मुख्यमंत्री को गंवानी पड़ी सीट
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