मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने आज हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ स्थित बनासो में कोनार सिंचाई परियोजना के टनल, मुख्य नहर और अन्य सिंचाई योजनाएं राज्य की जनता को किया समर्पित
खत्म हुआ चार दशक का इंतजार, कोनार सिंचाई परियोजना के खेतों में पानी पहुंचने का सपना हुआ साकार
किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम
गांवों के विकास से ही राज्य और देश की समृद्धि:रघुवर दास, मुख्यमंत्री
कोनार सिंचाई परियोजना के उद्घाटन के साथ ही विकास को नया आयाम मिला है. यह एक नए युग की शुरुआत है . इस सिंचाई परियोजना से हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो में विकास की धारा बहेगी. यह इन इलाकों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड स्थित बनासो में आज कोनार सिंचाई परियोजना के टनेल मुख्य नहर और अन्य सिंचाई योजनाएं राज्यवासियों को समर्पित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इससे खेतों के पैदावार में व्यापक वृद्धि होगी। इस इलाके में समृद्धि आएगी और किसान खुशहाल होंगे. इससे वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के सरकार के इरादे को बल भी मिलेगा.
*11 सिंचाई योजनाओं का आनलाइन उद्घाटन*
श्री रघुवर दास ने इस मौके पर 11 सिंचाई योजनाओं का आनलाइन उद्घाटन किया. इसके अलावा जल संसाधन विभाग के परियोजना पद्धति अनुश्रवण प्रणाली एप्प को भी लांच किया. इस एप्प के जरिए यह पता चल सकेगा कि जल संसाधन विभाग की क्या-क्या उपलब्धियां हैं. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने विभाग को कहा कि कोनार सिंचाई परियोजना के टनल पर सोलर पावर प्लांट लगाएं, ताकि आसपास के इलाकों को भी बिजली मिल सके.
गांवों के विकास से ही राज्य और देश की समृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि जबतक गांव समृद्ध नही होंगे, राज्य और देश में समृद्धि नहीं आ सकती है इसी को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाकर राज्य सरकार काम कर रही है. इसी का नतीजा है कि झारखंड आज तेज़ी से विकास के रस्ते पर आगे बढ़ रहा है मुख्यमत्री ने कहा कि बहुत जल्द झारखंड वैश्विक मानचित्र पर अपनी पहचान बना लेगा और विश्व के विकसित देशों के समकक्ष खड़ा रहेगा.
*सिंचित भूमि में तीन गुना इजाफा*
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 तक झारखंड में मात्र चार लाख हेक्टयर भूमि सिंचित थी वहीं पिछले पांच सालों में बारह लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. इस तरह सिंचित इलाके में तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई हैं. उन्होंने कहा कि सिंचाई कि छोटी छोटी योजनाओं को प्राथमिकता सरकार दे रही हैं ताकि इसे समय पर पूरा किया जा सके. उन्होंने बताया कि अभी सिंचाई योजनाओं पर हर साल औसतन लगभग 1326 करोड़ खर्च किए जा रहे है.
कृषि के साथ पशुपालन को भी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की ओर से कृषि के साथ पशुपालन को भी प्राथमिकता दी जा रही है. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को 90 प्रतिशत सब्सिडी पर दो-दो गाय दी गई है. उन्होंने कहा कि अगर युवा समूह बनाकर डेयरी फॉर्म खोलेंगे तो सरकार की ओर से 50 परसेंट सरकार द्वारा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पशुपालन के साथ आर्गेनिक कृषि पर भी विशेष जोर है. इसके लिए सरकार की ओर से कृषकों को कई रियायतें व सहूलियतें दी जा रही है.
महिलाओं के सशक्तीकरण पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने पर भी सरकार का विशेष फोकस है. महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2014 में पूरे राज्य में लगभग 43 हजार स्वयं सहायता समूह थे, लेकिन आज सखी मंडलों की संख्या बढ़कर 2.16 लाख पहुंच गई है. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण के साथ रोजगार व स्वरोजगार से भी जोड़ा जा रहा है.
मेरे के शब्दकोष में नामुमकिन शब्द नहीं
श्री रघुवर दास ने कहा कि अगर इरादे नेक हो और काम के प्रति समर्पण और जज्बा होगा कुछ भी नामुमकिन नहीं है. इसी मकसद के साथ केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार काम कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी का नतीजा है कि 42 सालों से अधूरी पड़ी कोनार सिंचाई परियोजना अब पूर्ण हो चुकी है. इसका फायदा ग्रामीणों को मिलेगा.
*हजारीबाग. गिरिडीह और बोकारो की 62,895 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा होगी उपलब्ध*
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत हजारीबाग बोकारो और गिरिडीह के के प्रखंडों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी इसके अंतर्गत हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ गिरिडीह जिले के बगोदर बगोदर और डुमरी और बोकारो जिले के नावाडीह के लगभग 85 गांव के 62,895 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी.
*अब साल में तीन-तीन फसल उपजा सकेंगे किसान*
श्री रघुवर दास ने कहा कि किसानों के विकास के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. उन्हें किस मौसम में किस फसल की खेती करनी चाहिए. उसकी पूरी जानकारी दी जा रही है. किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा हर पंचायत में मिट्टी के डॉक्टर चयनित किए गए हैं. उन्हें एक लाख रुपए का वैज्ञानिक किट प्रदान किया गया है. वे मिट्टी की जांच कर बताएंगे कि किस खेत की मिट्टी किस फसल की खेती के लिए उपयुक्त है. इसके आधार पर किसानों को फसलों को उपजाने में सहूलियत होगी. वह दिन दूर नहीं, जब किसान एक साल में एक नहीं तीन-तीन फसल उपजाएंगे.
35 लाख किसानों को दिसंबर तक मिलेगा मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना का लाभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि 35 लाख किसानों को मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना का लाभ दिया जाना है. अबतक 14 लाख लोगों को इस योजना की पहली किस्त दी जा चुकी है. अब छूटे हुए किसानों की लिस्ट तैयार करने का निर्देश 10 सितंबर तक उपायुक्तों को दिया गया है. इसके उपरांत उन्हें डीबीटी के माध्यम से पहली किस्त दी जाएगी. इसके अलावा सितंबर में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना की अगली किस्त सितंबर में कृषकों को दी जाएगी.
जल संचयन को बनाए जन आंदोलन
मुख्यमंत्री ने लोगों से आह्वान किया कि वे जल संचयन के लिए चल रहे अभियान को जन अभियान बनाएँ, ताकि जल की बर्बादी को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि आज पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है. इससे निजात पाने के लिए जरूरी है कि पानी की बर्बादी को हम रोकें. सभी लोगों को चाहिए कि वे पानी के बचाव के लिए अपने स्तर पर पहल करें.
42 सालों से अधूरी कोनार सिंचाई परियोजना अब हो रही पूरी
कोनार बांध परियजना कोनार नदी पर स्थित है इस परियोजना को 1977 में प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी. इसकी आधारशिला एकीकृत बिहार के राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने रखी थी परियोजना को पांच साल में पूरा करना था। पर हमने इसे अपने कार्यकाल में शुरू कर इसे पूरा किया। इस तरह इसके पूरा होने में 42 साल लग गए। जिसकी लागत 11.43 करोड़ थी वो देर होने से बढ़कर लगभग 2176 करोड हो गई. इस तरह की लागत में करीब लगभग 200 गुना ज्यादा वृद्धि हो गयी.
इस मौके पर जल संसाधन मंत्री श्री रामचंद्र सहिस, सांसद अन्नपूर्णा देवी, सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, विधायक जगन्नाथ महतो, विधायक जय प्रकाश भाई पटेल, विधायक नागेंद्र महतो, विधायक जानकी यादव, विधायक मनीष जायसवाल, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अरुण सिंह, हजारीबाग के उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारी और हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.