‘छंदमाल्य कवि मण्डपम् जमशेदपुर, झारखन्ड एवं सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन,तुलसी भवन के संयुक्त तत्वावधान में छंदमाल्य -4 का भव्य आयोजन
छंदबद्ध रचनाओं की गीतमय प्रस्तुतियों के साथ छंदमाल्य भाग-4 का आयोजन बिष्टुपुर स्थित सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में छंदमाल्य कवि मण्डपम् एवं सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन तुलसी भवन के संयुक्त तत्वावधान में, जमशेदपुर झारखण्ड द्वारा किया गया ।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता छंदाचार्य डॉ रागिणी भूषण ने किया । मुख्य अतिथि के रूप में रामनन्दन प्रसाद (तुलसी भवन उपाध्यक्ष) विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसेनजीत तिवारी (तुलसी भवन के मानद सचिव), तथा श्रीमती मंजू ठाकुर जी उपस्थित रहीं । कार्यक्रम के चिंतक परिकल्पना प्रतिभा प्रसाद ‘कुमकुम’ के चिंतन से किया गया । इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ रजनी रंजन एवं रीना सिन्हा ‘सलोनी’ द्वय के द्वारा किया है ।
कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं डॉ रागिनी भूषण जी के द्वारा दीप स्तुति के साथ किया गया । सरस्वती वंदना डॉ रजनी रंजन द्वारा रचित छंदोंबद्ध वंदना उन्हीं के स्वर में प्रस्तुत किया गया । यह अद्भुत कार्यक्रम कुछ इस तरह से नियोजित किया गया है जिसमें किसी भी वाक्य को गद्य में उच्चारित नहीं किया गया है, अतिथियों का स्वागत ,मंच पर आमंत्रण, आभार, संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन तक केवल छंदों में ही किया गया है । यहां तक की समीक्षात्मक टिप्पणियां भी छंदों में ही की गई ।
छंदमाल्य कवि मंडपम् छंदमाल्य श्रृंखला की चौथी खूबसूरत प्रस्तुति हुई । कार्यक्रम की सूत्रधार , चिंतक एवं परिकल्पक प्रतिभा प्रसाद ‘कुमकुम’, ने प्रतिभागी के रुप में मनीषा सहाय ‘सुमन, डॉ रजनी रंजन एवं रीना सिन्हा ‘सलोनी’ जी, ‘, आरती श्रीवास्तव ‘विपुला’, किरण कुमारी ‘वर्तनी’, रीना गुप्ता ‘श्रुति’,शिप्रा सैनी ‘मौर्य’, लक्ष्मी सिंह ‘रुबी’एवं पद्मा प्रसाद ‘विंदेश्वरी’ जी हैं। जिनके द्वारा दोहा, चौपाई, घनाक्षरी एवं ताटक छंद में रचनाएं प्रस्तुत की गई ।
संचालन अलग-अलग सत्र में अलग-अलग व्यक्तियों के द्वारा किया गया जिसमें आरंभ में वीणा पांडेय ‘भारती’ , किरण कुमारी ‘वर्तनी’ जी हैं ।
दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के बाद प्रतिभा प्रसाद ‘कुमकुम’ जी के उद्बोधन से कार्यक्रम का आरंभ किया गया । उसके बाद छंदमाल्य ४ की पुस्तक “छंदमाल्य” व “दोहे मन को मोहे” का लोकार्पण किया गया । इस पुस्तक में सभी दस प्रतिभागियों द्वारा लिखित मनहरण घनाक्षरी छंद , चौपाई छंद तथा ताटंक छंद में गीत संकलित हैं । “दोहे मन को मोहे” में छंदाचार्यों व प्रतिभागियों द्वारा रचित दोहे हैं । सभी साहित्यकारों ने सौ-सौ दोहे रचें हैं ।
इसके बाद सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुति हुई जिसमें अपने परिचय तथा रचनाओं को वे बारी-बारी से मनहरण घनाक्षरी छंद , चौपाई छंद एवं ताटंक छंद के माध्यम से प्रस्तुति दी और हर प्रस्तुति के बाद कार्यक्रम के अध्यक्षा डॉ रागिणी भीषण द्वारा बारी-बारी सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों की समीक्षा भी की गई । प्रस्तुति के साथ ही उन्हें छंदोंबद्ध आमंत्रण, सम्मान एवं आभार सहित अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया । स्मृति चिन्ह में छंद में ही सम्मान का दोहा लिखकर दिया गया ।
विशिष्ट अतिथि डॉ प्रसेनजीत तिवारी एवं मंजू ठाकुर ने अपना वक्तव्य दिया, दोहे मन को मोहे की समीक्षात्मक बातें दोहे में दीपक वर्मा ‘दीप’ जी ने अपनी बात रखी। सत्र का संचालन रीना सिन्हा ‘सलोनी’ जी एवं डाॅ. रजनी रंजन जी के द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम के खुले मंच में बसंत जमशेदपुरी, उदय हयात, निवेदिता श्रीवास्तव ‘गार्गी’, उषा झा, सविता सिंह ‘मीरा’, नीलम पेड़ीवाल, वीणा पाण्डेय ‘भारती’, आदि साहित्यकारों ने भी रचना सुनाईं ।