जमशेदपुर के गौरवशाली ब्रह्मर्षियों के इतिहास को धूमिल करने की साजिश ?
संस्था एक अध्यक्ष दो दोषी कौन?
देवानंद सिंह
लुटे सियासत की मंडी में और झूठी रुसवाई में
जाने कितना वक़्त लगेगा रिश्तों की तुरपाई में
ब्रह्मर्षि समाज का पूरे देश के साथ-साथ जमशेदपुर का इतिहास जितना गौरवशाली है उतना भविष्य सोचनीय, कभी बिहार की राजनीतिक दिशा और दशा तय करने वाला समाज वर्तमान में अपने गौरवशाली अतीत की ओर लौटने के लिए जीत और कोशिश में जुटा है वही कुछ राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी या यह कह सकते हैं कि राजनीति के सौदागर एक गहरी साजिश के तहत समाज को चौराहे पर लाने का प्रयास कर रहे हैं हम जमशेदपुर के बात करें तो ब्रह्मर्षि विकास मंच के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय कौशल किशोर सिंह ने शिक्षित अनुशासित और कर्मठ लोगों की टीम बनाकर समाज के रुतबे और प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाया था आज वही ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर के कुछ महत्वाकांक्षी लोगों के कारण समाज दो भागों में बट गया है
ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर को इस तरह चौराहे पर खड़ा करने में तत्कालीन अध्यक्ष के साथ-साथ कुछ राजनीतिक लोगों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है पूर्व में हुए राजधानी के महासम्मेलन की कड़वाहट को उन्होंने समाज को टुकड़ों में बांटकर अपनी भड़ास निकालने का काम किया है ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर के एक समूह ने इन 2 वर्षों में ऐसे दर्जनों काम किए हैं जिनके चलते समाज के बुद्धिजीवियों के जुबान पर ब्रह्मर्षि विकास मंच का नाम आ चुका है अब समाज के तटस्थ लोगों के जुबान पर यह बात आने लगी है कि समाज को बांटने वाले लोगों ने जो प्रक्रिया अपनाई थी वह प्रक्रिया ही गलत थी राजनीति करने वाले लोगों के हाथों में गठन की प्रक्रिया एक साजिश के तहत दिया गया था समाज के चारों तरफ से यह आवाज आने लगी है कि पूर्व अध्यक्ष की अदूरदर्शिता और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण जिस ब्रह्मर्षि विकास मंच का पूरे देश में नाम था उसे धूमिल करने का काम जमशेदपुर के सात लोगों ने किया है
गौरवशाली ब्रह्मर्षियों के इतिहास को धूमिल करनेवालों की हो पहचान
संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय के के सिंह ने शिक्षित अनुशासित और कर्मठ लोगों की टीम बनाकर समाज के रूतवे और प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाया था उस रूतवे और प्रतिष्ठा को किसने किया धूमिल?समाज को बांटने का काम किसने किया?
जब एक अध्यक्ष पूरी टीम के साथ समाज हित में त्याग को तैयार तो दूसरा मौन क्यों?
संस्था का नाम एक अध्यक्ष दो क्यों?
पहले हम होगें एक फिर बात करेंगें रैली का
अब जबकि एक बार फिर झारखंड की राजधानी रांची में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए एक महासम्मेलन का आयोजन किया है ऐसे में जमशेदपुर के ब्रह्मर्षि घर में आग लगाकर राजधानी में दिवाली मनायेगें? जमशेदपुर के ब्रह्मर्षि समाज की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने का अधिकार किसी को नहीं ?व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए समाज की प्रतिष्ठा गांव पर नहीं लगाएं!
जारी…………