बोकारो: विकास परियोजना ने बड़ी संख्या में पेड़ो को लीला
विकास की परियोजनाओं ने बड़ी संख्या में पेड़ों को लीला है, जंगलों को तबाह किया है और पे़ड़ लगाने के प्रति हमारी बेपरवाही ने हमें खुद के लिए खतरा पैदा कर दिया है। हालात यह हो गये हैं कि हर साल सीजन अपनी कारामात दिखाने लगा है। गरमी जहां तांडव कर रही है। ठंड लोगों को बेमौसम परेशान करने लगी है, वहीे बरसात अपनी मर्जी की मालिक हो गयी है। क्लाईमेट के ऐसे हालात ने हमें चिन्ता में डाल कर यह संकेत देना शुरू कर दिया है कि अगर हम अब भी नहीे चेते तो फिर हमारा तो भगवान ही मालिक होगा।
अब तो भगवान ही मालिक है। गरमी ने इस साल जो तेवर तरेरे हैं उसने सबके होश ठंडा कर दिए है। सबको समझ में आने लगी है कि अब पेड़ों के प्रति हमारी लापरवाही हमारा संकट और बढ़ायेगी। अब तो चेतना होगा। वैसे सीजन का प्रभाव हर चीजो पर पड़ा है और उसके प्रभाव से पेड़ रोपण भी प्रभावित हुआ है। खुद जिला फारेस्ट अधिकारी भी मानते हैं कि क्लाईमेट बदलाव का असर सबको प्रभावित कर रहा है। उनकी माने तो बोकारो जिले में बन भूमि पर कब्जा ने वनों को प्रभावित किया है, लेकिन वन भूमि पर कब्जा हटाने की काररवाई की जा रही है ताकि वनों का रोपण हो सके।
बोकारो के डी एफ ओ रजनीश कुमार की मानें तो बड़ी बड़ी परियोजनाओं में सघन बनों ने अपनी कुर्बानी दी है। और इसे एवज में लगाए गए बन क्वालिटी के हिसाब से काफी उम्दा नहीे हो पाए हैं। उनकी माने तो अब सघन वनों को नयी तकनीक से विकसति करने की जरूरत है। उ नकी माने तो जंगलो को बचाना व जंगलो का विस्तार ही मौसम की बेरूखी का सबसे बढिया इलाज हो सकता है। इसे घ्यान में रखकर ही वन विभाग ने सधन बन क्षेत्र मंे नयी तकनीक से जंगलो को घना बनाने का काम तेज किया है।
आनेवाला समय औश्र भयावह हो सकता है। इसकी कल्पना करके ही रूहें कांप जाती है। हमें अपने लिए और आनेवाली पीढ़ी की चिन्ता करते हुए पर्यावरण की रक्षा, पेड़ों की सुरक्षा व वृक्षारोपण करने की जरूरत है। अगर हमने ऐसा नहीे किया तो आनेवाली पीढी हमें माफ नहीे करेगी। और हम अपना वर्तमान तबाह करेंगे सो अलग।