झारखंड में शराब का नियंत्रण निज़ी हाथों में देने के फ़ैसले पर भाजपा का तंज, कुणाल षाड़ंगी ने कहा- ‘पोंटी चड्ढा मॉडल स्थापित करना चाहती है झारखंड सरकार’
झारखंड में शराब की बिक्री और नियंत्रण निज़ी एजेंसी के हवाले करने के फ़ैसले को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सूबे की हेमंत सरकार पर बड़ा हमला बोला है। राज्य सरकार के इस निर्णय की तुलना देश के चर्चित ‘लिकर किंग’ पोंटी चड्ढा के शराब कारोबार मॉडल से करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए विरोध जताया है। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने सरकार के इस निर्णय और मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कड़ा ऐतराज जताया है। कहा की किसी ख़ास शराब कारोबारी को पोंटी चड्ढा बनाने के मॉडल पर झारखंड सरकार काम कर रही है। कहीं न कहीं ये निज़ी हाथ कोलकाता की ओर इशारा कर रहे हैं। जाँच होनी चाहिए कि किन कारणों से सरकार को अपनी व्यवस्था पर कम विश्वास और चंद शराब कारोबारियों की मोनोपोली पर ज्यादा भरोसा है जहाँ तक राज्य के उत्पाद राजस्व का सवाल है। झारखंड सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि शराब बिक्री को निज़ी हाथों में देने से कितना लक्षित राजस्व हासिल करने की कार्ययोजना है अगले वित्तीय वर्ष को लेकर। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि स्पष्ट रूप से चंद शराब कारोबारियों के हाथ में और उनकी गोद मे खेलने की तैयारी राज्य सरकार कर चुकी है। निज़ी हाथों में शराब की व्यवस्था देने से सरकारी व्यवस्था का जो नियंत्रण रहता था एक ही परमिट के बार बार इस्तेमाल को लेकर, उत्पाद शुल्क की चोरी को लेकर, वह नियंत्रण सरकार के हाथों से निकल जायेगा। भाजपा ने चिंता जताया कि सरकार के इस हल्के निर्णय से राज्य की जनता को बड़ा नुक्सान होने की आशंका है। सरकारी नियंत्रण हटने से नकली शराब के उद्योग पूरे उफ़ान पर पनपेंगे, इससे अप्रिय घटनाओं में वृद्धि की गुंजाइश रहेगी।
भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी के अनुसार सरकार के मैन्युफैक्चरर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स और रिटेलर्स के बीच में जो सरकार व्यवस्था रहती थी नियंत्रित करने के लिए वह कन्ट्रोलिंग पॉवर अब सरकार के हाथ से समाप्त हो जायेगी। भाजपा ने कहा कि चंद ब्रांड को प्रमोट करने और चिन्हित शराब माफियाओं को लाभांवित करने के उद्देश्य से झारखंड सरकार ने अपरिपक्व निर्णय लिया है। इससे शराब वितरक सप्लाई करने वालों से कमीशनखोरी करेंगे और पहले से चुने ब्रांड को ही बढ़ावा दिया जाएगा । जिससे सप्लाई करने वालों के बीच स्वस्थ स्पर्धा नहीं होगी और राजस्व में घटोत्तरी होगी। डिमांड के आधार पर आपूर्ति की जो कार्यप्रणाली विभाग द्वारा लागू की गई थी वह निर्णय सीधे तौर पर प्रभावित होगी और कमीशन के आधार पर आपुर्ति की व्यवस्था उसकी जगह ले लेगी। शराब मैन्युफैक्चरर्स के हिस्से से 45 से 50 प्रतिशत का राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त होने का प्रावधान था वह निजीकरण के निर्णय से विशेष रूप से प्रभावित होगी और एक्ससाईज चोरी की कार्ययोजना मूर्त रूप देने को लेकर झारखंड सरकार ने शराब बिक्री के निजीकरण पर ज़ोर दिया हैं। भाजपा ने कहा कि कोरोना प्रबंधन के मसले पर पूरी तरह से विफल रही झारखंड सरकार की प्राथमिकता स्वास्थ्य ना होकर ‘शराब’ है, यह अत्यंत चिंताकारक है। कहा कि सरकारी अस्पतालों में जो मृत्यु के डरावने आँकड़ें है उन्हें सुधारने की कार्ययोजना पर पहल की गई होती, तो भाजपा स्वागत करती। किंतु राज्य सरकार की मंशा केवल और केवल लाभार्जन और मुनाफ़ाखोरी तक सीमित रह गई है।