राष्ट्र संवाद संवाददाता
चाकुलिया : जमशेदपुर से सटे 70 किलोमीटर दूर चाकुलिया प्रखंड में कुछ ही महीने में 300 मुस्लिम बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बन गया, गांव के लोगों को पता चला तो गांव के लोग हैरान हो गए, क्योंकि पूरे गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं, कैसे बन गए मुस्लिम बच्चों के प्रमाण पत्र इस गांव के एड्रेस पर, एक बड़ी लापरवाही या कोई साजिश, जिले के उपायुक्त नें जांच के लिए टीम का गठन किया, जल्द से जल्द जांच कर दोषी पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश,
जमशेदपुर से 70 किलोमीटर दूर चाकुलिया प्रखंड के मटियाबांन्धी गांव में एक अजीब कारनामा हुआ है, जहां एक भी मुस्लिम परिवार नहीं उसे गांव के पते पर लगभग 300 बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बना दिया गया, जिला प्रशासन ने जांच शुरू की तो पाया पहले चरण में लगभग 116 बच्चों का फर्जी दस्तावेज बना है, पूरा महकमा सकते में आखिरकार इतने बड़े तादाद में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र एक ही गांव में कैसे बना है, इतना ही नहीं पूरा गांव के लोग हैरान है, जमशेदपुर के चाकुलिया प्रखंड के मटियाबांन्धी गांव जहां अधिकतर महतो और संथाल जाति के लोग रहते हैं, जहां की जनसंख्या लगभग 5000 परिवार कि है, वहां एक विशेष समुदाय मुस्लिम के बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बन जाता है, वह भी एक दो तीन नहीं बल्कि पूरे 300 जिस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार ना हो आखिरकार उसे गांव के नाम पर कैसे मुस्लिम बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बना है, यह एक बड़ा जांच का विषय है कहीं यह सब बांग्लादेशी मुसलमान तो नहीं जिन लोगों का जन्म प्रमाण पत्र बना कर गांव में लाने कि तैयारी है, कई सवाल खड़ा हो रहा है, आखिरकार किसके OTP से यह इतना बड़ा खेल हुआ और एक विशेष समुदाय के बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बन गया जिला प्रशासन के संज्ञान में आते ही जिला प्रशासन ने तुरंत 116 जन्म प्रमाण पत्रों की जांच की और पाया की सभी पर जन्म प्रमाण पत्र फर्जी हैं अब सवाल उठता है कि ग्रामीण इलाकों में किस तरह बनता है यह जन्म प्रमाण पत्र सबसे पहले जब बच्चे का जन्म होता है तो सैया पहले दिन से लेकर 30 दिन तक के रिकॉर्ड को लेकर पंचायत समिति के सदस्य को दी जाती है फिर पंचायत समिति सदस्य उसकी BDO के भेज देते हैं जहां से ओटीपी निर्गत होता है और बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनता है, 30 दिन से अधिक होने पर बच्चों का परम जान प्रमाण पत्र बनने का अधिकार एसडीओ के पास चला जाता है, और इस तरह से बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बन जाता है, आखिरकार सबसे पहले बच्चों का जन्म का प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच पंचायत समिति करती है इस वक्त मटियाबांन्धी गांव मे सुनील महतो पंचायत समिति सदस्य हैं जो इस वक्त नवंबर महीने से बीमार चल रहे हैं जिनकी हालत ऐसे हैं की वह सही से खड़ा भी नहीं हो पाते हैं शारीरिक रूप से पूरी तरह से अक्षम है तो फिर पंचायत समिति का ओटीपी यानी सुनील महतो का ओटीपी किसके पास गया और किसने इतनी बड़ा खेला किया, उसके नाम पर कर दी जिला प्रशासन ने सुनील महतो को शो कोज नोटिस जारी किया है, कि आखिरकार उनके बीमार रहने पर उनका ओटीपी किसने प्रयोग में लाकर इतना बड़ा फर्जी वादा किया सुनील ने इसका जवाब जिला प्रशासन को लिखकर दे दिया है अब सवाल उठता है कि यह ओटीपी का खेल हुआ कहां से और आखिरकार इन मुस्लिम बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बना कैसे जहां एक गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है यह जांच के दायरे में आया कैसे सबसे बड़ा सवाल उठता है, विगत दिनों जमशेदपुर के कई स्कूलो मैं नामांकन की प्रक्रिया चल रही थी, इसी दरमियान कुछ स्कूलों में देखा गया कि जमशेदपुर से 70 किलोमीटर दूर मठिया बंदी पंचायत से कई जन्म प्रमाण पत्र उनके स्कूलों में आए इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन ने सबसे पहले शिक्षा विभाग को दी और जब शिक्षा विभाग ने इसकी जांच के अनुशंसा मटियाबांन्धी के वीडियो को दी तो पता चला कि इसमें बहुत बड़ा रैकेट काम किया है, लगभग 300से ज्यादा बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बना है जिसमें 116 लोगों का प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है, जिला के DC ने बताया है पूरे मामले की जांच चल रही है और जो भी लोग होंगे दोषी उन्हें बक्सर नहीं जाएगा l