बिजली विभाग की निंदा क्यों?
धीरज कुमार
कल राष्ट्र संवाद के पास बिजली से संबंधित जानकारी लेने के लिए बहुत फोन आया तब हमने सोचा आखिर बिजली की इतनी समस्या क्यों बिजली की समस्या को लेकर कुछ जानकारी हासिल करने का मन में आया और हमने बिरसानगर क्षेत्र का भ्रमण करने का मन बना लिया सच्चाई जाने का प्रयत्न करने लगा कल रात आंधी और बारिश के कारण जगह जगह पर बिजली के खंभे पर टूट कर गिर जाना उस जगह को खोज कर फिर ठीक करना ठीक करना होने के बाद दूसरी जगह फिर कहीं खराब होना उस जगह को खोज कर ठीक करना बिजली विभाग के कर्मचारी अपनी मेहनत से सुचारू रूप से बिजली बहाल करने का पूरा प्रयास किया और सफल रहा एक
जगह नाला के बीच बिजली का खंभा गिरा हुआ था नाला में घुसकर उसको ठीक कर बिजली बहाल करना इस गर्मी में ना खाने का ठीक ना पानी सिर्फ यह सोचना किसी तरीका से पब्लिक को बिजली मिलना चाहिए और बिजली विभाग के कर्मचारी ने पूरी इमानदारी से काम को अंजाम देकर अंततः बिजली सुचारू रूप से देने का काम किया बिजली विभाग का काम निंदा का पात्र नहीं हो सकता है उनकी मेहनत की सराहना होनी चाहिए किसी भी क्षेत्र का कर्मचारी का शरीर होता है किसी भी क्षेत्र का कर्मचारी हो उनकी काम का सम्मान होनी चाहिए ना की निंदा
इसी बीच में देखा गया कि कुछ घर इस तरीका से बनाया गया है कि बिजली का खंभा तक जाने का रास्ता भी कठिन है जनता को भी और जनप्रतिनिधि को भी सोचनी चाहिए विशेष रूप से देखा गया एसडीओ आर बी महतो जेईई गुप्ता जी एवं विद्युत कर्मचारी नीरज कुमार शंभू लोहार सुमित तिवारी राजू अनजान रिंकू पार्थो अन्य कर्मचारी पूरी इमानदारी से लगकर बिजली बहाल करने का काम किया इतनी समस्या को समाधान करते हो इसलिए बिजली विभाग निंदा का पात्र नहीं सराहना योग्य है