मुस्लिम भाईयों ने फीकी उत्साह के बीच मुहर्रम पर्व किया समपन्न।
आशीष कुमार
मंसूरचक (बेगूसराय ) शुक्रवार को दसवीं मुहर्रम यौमे आशुरा के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में कोरोना गाईडलाइंस के बीच ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया। जिसमें फिकी उत्साह के साथ ताजिया दारी करने वालों में उत्साह नहीं था। इममवाड़ा के समीप ही अकीदतमंदों ने हज़रत इमाम हुसैन रजिअल्लाहु अन्ह के शैदाई होने तथा उन्हीं की तरह हक वह इंसाफ के लिए, बातिल अगरचे बड़ी तादाद में हों। फिर भी उन बातिल ताकतों के सामने सर झुका कर उनकी हुक्मरानी स्वीकार करने के बजाय अपना सर कटा लेने का संकल्प लिया। अकिदतमंदों ने बताया ताजिया दारी का मजहबे इस्लाम से कोई लेना-देना नही है। बल्कि ताजिया दारी एक पुरानी परंपरा है, जो वर्षो से पुर्वजों के द्वारा किए गए अमल को दोहराया जाता रहा है। तथा इसके जरिये नवासे रसूल (सअव) के मजलुमाना शहादत, जो उन्होंने मजहबे इस्लाम की हिफाजत के लिए अपने अहले खाना सहित 72 साथियों के साथ बड़ी संख्या मे मौजूद काफिर यजीदी फौजियों के साथ मैदाने करबला मे लड़ते हुए अपनी जान का नजराना पेश किया था। उस याद को जिन्दा जावेद बनाते हुए अपने दीन व ईमान के साथ इस्लाम की हिफाज़त का अज्म़ करते हैं। इस अवसर पर समसा , कस्टोली,आगापुर, नवटोल, सरायनुरनगर, बहरामपुर, मसकनदरगाह, गणपतौल, मंसूरचक, फाटक चौक, आलमचक,गुरूदासपुर, छबिलापुर, मिल्की, साठा सहित अन्य गांवों में शांतिपूर्ण तरीके से मुहर्रम मनाया गया। वहीं जुलूस नहीं निकले इस बात को लेकर बीडीओ शत्रुघ्न रजक, सीओ ममता, थानाध्यक्ष पवन कुमार सिंह व पुलिस बल के साथ आदि मुस्तैद दिखें।