राष्ट्र संवाद नजरिया: विधायक जी ! पत्रकारों के बारे में बोलने से पहले अपने गिरेबान में भी झांक लेते, बहरागोड़ा के विधायक समीर महंती का बयान निम्न दर्जे का है….। बहरागोड़ा के विधायक समीर महंती ने पत्रकारों के संबंध में जो बयान दिया है, वह बेहद निंदनीय तो है ही, बल्कि विधायक महोदय पर ही उल्टा सवाल उठाता है कि विधायक को इस तरह का बयान देने से पहले क्या खुद अपने गिरेबान में नहीं झांक लेना चाहिए था ? ये तो वही बात हो गई कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर इस तरह सवाल उठाना बहुत ही चिंताजनक है। वह भी ऐसी नेतागिरी सवाल उठाती है, जो सर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी रहती है। देश के अंदर अभी इस तरह का पैटर्न सा चल निकला है, हर तरफ पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है। क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश नहीं है ? क्या पत्रकारों को टारगेट करने से पहले यह नहीं सोचा जाना चाहिए कि ये वही पत्रकार होते हैं, जो आपके कार्यों की सही जानकारी जनता तक पहुंचाते हैं। जब आपको भी अपनी बात लोगों तक पहुंचानी होती है तो आप पत्रकारों का ही सहारा लेते हैं। मीडिया निष्पक्ष होता है। अगर, काम सही हो रहा है तो उसके पक्ष लिखा जाता है। अगर, काम सही नहीं हो रहा है तो उसके खिलाफ लिखते हैं और पत्रकारिता का यही धर्म भी है। पर नेता नगरी ये सोचती है कि पत्रकार इन्हीं के पक्ष में लिखते रहें। पक्ष में लिखे तो सब ठीक, लेकिन विपक्ष में लिख दिया तो इन्हें ये बात चुभने लगती है और पूरी पत्रकार बिरादरी चुभने लगती है। यह बात किसी भी स्थिति में जायज नहीं कही जा सकती। अगर, पक्ष में लिखी बात नेताओं को अच्छी लगती है तो विपक्ष में लिखी बात भी अच्छी लगनी चाहिए, क्योंकि इससे बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलेगी। बहरागोड़ा के विधायक समीर महंती के बयान से पत्रकारों का गुस्सा होना जायज है, इसीलिए पत्रकारों को भी आगे आकर इसका विरोध करना ही चाहिए। ये सवाल पूछना ही होगा कि विधायक ने बिना किसी प्रमाण के पत्रकारों पर अधिकारियों की चाटुकारिता का आरोप कैसे लगा दिया ? हालांकि पत्रकारों ने इस मामले में मुख्यमंत्री से शिकायत करने की योजना बनाई है। कुल मिलाकर, बिना प्रमाण के आरोप लगाना किसी भी स्थिति में सही नहीं है, इसीलिए विधायक को समय रहते माफी मांग लेनी चाहिए।
बहरागोड़ा के विधायक समीर महंती का बयान निम्न दर्जे का
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