मिलिए अरविंद पांडे से जिन्होनें किया 50 बार रक्तदान
रक्तदान से जो खुशी मिलती है उसकी बराबरी नहीं: अरविंद पांडे
रक्तदान जीवनदान है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं।
हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसी शख्सियत से जिसने दस पन्द्रह बार नहीं बल्कि 50 बार अपना रक्त दान किया है और यह सिलसिला अब भी लगातार जारी है। समाज के लिए आइडल बन चुके अरविंद पांडे के पिता एसडी पांडे मूलत: उत्तर प्रदेश बलिया के रहने वाले हैं और यहां टाटा स्टील एकाउंट डिपार्टमेंट से रिटायर्ड हुए हैं पिता की देखरेख में बारीडीह हाई स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद अरविंद पांडे डिप्लोमा करने के लिए मणिपाल गए फिर 1995 में टाटा स्टील मैनेजमेंट में इन्होंने नौकरी ज्वाइन की और फिर 2001 में सीआरएम लैब में कार्यरत हैं . बचपन से ही क्लब के माध्यम से और समाज सेवा में इनकी रुचि जगजाहिर थी इनकी समाज सेवा को देखते हुए पहली बार instution of engineer’s के technician चेप्टर में ऑल इंडिया का सेक्रेटरी बनाया
इसके बाद 2004 में सेंट्रल पीस कमिटी जमशेदपुर ने इन्हें इनके काम को देखते हुए कमेटी में जगह दी वर्तमान में यह सिदगोड़ा शांति समिति के कोऑर्डिनेटर रहते तथा जीव कोपार्जन के लिए टाटा स्टील में नौकरी करते हुए समाज सेवा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहते हैं
कैसे मिली प्रेरणा
एक समय था जब बीमार आदमी को खून के लिए दर-दर भटकना पड़ता था उनकी परेशानी को देखते हुए उन्होंने प्रण किया कि मैं समय-समय पर रक्तदान करता रहूंगा और आज इनका रक्तदान का अर्धशतक पूरा हुआ
इन्होंने प्रण लिया कि वह अब समय-समय पर लोगों की जान बचाने के लिए रक्त दान करते रहेंगे उन्होनें राष्ट्र संवाद से बात करते हुए कहा कि रक्तदान से जो खुशी मिलती है उसकी बराबरी नहीं 50 बार रक्तदान करने के बाद भी पांडेय पुरी तरह खुद को स्वस्थ महसूस करते हैं। लोगों से अपील करते हैं कि किसी की जान बचाने के लिए समय-समय पर रक्तदान करें