राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गरिमामय स्थान की संस्था अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन के बाइसवें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर संस्था की संरक्षक औ प्रदेश प्रभारी डॉ आशा गुप्ता जी के निवास स्थान पर उनकी अध्यक्षता में संस्था के सम्मानित सदस्यों द्वारा स्त्री और कविता के तहत सुंदर सफल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। डाँ अनिल कुमार गुप्ता संस्था के संरक्षक की उपस्थिति में कवयित्रियों ने विभिन्न विषयों में काव्य पाठ किया।
पद्मा प्रसाद जी द्वारा केमिस्ट्री
केमेस्ट्री परीक्षा थी ज़िस दिन,
डर-डर के मन बेहाल था ,
सारी रात जगा ,फिर भी !
चिंता से हृदय धड़कता था ।
सरिता सिंह ने
चुप्पी पर अपनी
मेरी और तुम्हारी चुप्पी
साथ साथ रहकर ,
फिर भी अलग,
सरिता सिंह
अर्पणा संत सिंह जी ने नये प्रयोग की कविता सुनायी “अपने हर pain को, stress को
Strength मे transform किएँ जाती हूँ
हाँ! मैं स्त्री हूँ …. यूं ही empowered हुये जाती हूँ।
सुनों अफगान की स्त्रियों
सुनों
हम महसूस कर रहे हैं
वो आतंक का साया
वो कैदी से भी बदतर जिंदगी का दर्द
गोलियों के शोर से गुंज रहा है संसार
आनंदबाला जी ने स्त्री पर
मैं स्त्री हूंँ
स्त्रीदेह है मेरी
नहीं चाहिए मुझे
कोई सम्मान
स्त्रीत्व के नाम पर
दे सकते हो तो दो
चेतना के नाम पर
जाँचो मुझे
बोध के नाम पर
आँको मुझे
मेरे मन की उँचाई
को जान कर
या पहचानों केवल
इंसान के तौर पर।
डॉ अनिता शर्मा जी संतान द्वारा अपने नव जीवन के लिए घर से दूर जाने की माँ की पीड़ा व्यक्त करती कविता ने सबके आँखें छलका दी।
बस एक बूंद आंख की कोर को नम कर जाती है
बिखरा बिखरा मन समेटूँ
की बिखरा बिखरा तुम्हारा समान समेटूँ
प्रतिभा प्रसाद जी द्वारा
राजनीतिक या जीवन के
*समीकरण*पर ज्वलंत कटाक्ष
जीवन के इस समीकरण में ।
जोड़ घटाव और गुणा भाग में ।
समय कदाचित खेल खेलता ।
किससे किसका समीकरण है ।
कौन किसका उत्प्रेरक कण है ।
कौन छल प्रपंच रचा है ।
चौसर का पासा फेका है ।।
डॉ आशा गुप्ता जी ने
नियति साकार हो जाती जो
और
गर धरा ना होती तो कविता द्वारा मानव जीवन में धरा की अहमियत को बताया ।
ए आई पी सी संस्था के हमारे देश भारत के हर प्रांत और विदेशों से पंद्रह हजार से अधिक कवयित्री सदस्य हैं । नारी चेतना के संघर्ष के उजागर करने के लिए संस्था की स्थापना प्रोफेसर डॉ लारी आजाद जी द्वारा 2000 में की गई । अमृता प्रीतम, माया गोविंद पद्मा सचदेव संग अनेक विशिष्ट कवयित्रीयाँ ,डॉ विंदेश्वर पाठक, डॉ विश्वनाथ कराड जैसे विद्वत जन इसके संरक्षक बने । इसका उद्देश्य नारियों की जागरूकता उनके गुणों को उजागर करना और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है।