बांग्लादेशी रोहिंग्या की अवैध घुसपैठ का स्थाई समाधान जरूरी
देवानंद सिंह
दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से दिल्ली में रह रहे बांग्लादेशी रोहिंग्याओं की पहचान करने के लिए जांच शुरू कर दी है। भले ही, राज्यपाल ने एक पत्र के बाद यह आदेश दिया हो, लेकिन इसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासकर, जिस तरह बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है, इसी संदर्भ में राज्यपाल को भी इस पर जांच करवाने की मांग की गई है। यह बात उल्लेखनीय है कि बांग्लादेशी रोहिंग्या लगातार देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं, क्योंकि कई बार इन्हें कई गलत गतिविधियों में शामिल पाया गया है। पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दिए जाने के बाद अब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि रोहिंग्याओं के खिलाफ सख्त एक्शन हो सकता है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि भारत में बांग्लादेशी रोहिंग्याओं की घुसपैठ लंबे समय से हो रही है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां यह मानती हैं कि इन अवैध घुसपैठियों की वजह से सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा हो रही हैं। ये चिंताएं तब और बढ़ जाती हैं, जब इनमें से कुछ तत्व आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां यह चिंता जताती रही हैं कि अवैध रूप से रह रहे घुसपैठिए, विशेषकर बांग्लादेशी रोहिंग्याओं के समूह, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इनके बीच से कुछ ऐसे तत्व हैं, जो आतंकवादी संगठन, जैसे कि अल-कायदा और आईएसआईएस से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में, इनकी पहचान करना और इनकी गतिविधियों पर नजर रखना बहुत जरूरी हो जाता है।
बांग्लादेशी रोहिंग्या की बढ़ती संख्या भारतीय शहरों में समाजिक और आर्थिक दबाव का कारण बन रही है, इनके चलते स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास सीमित हो रहे हैं, जिससे मौजूदा नागरिकों को असुविधा होती है।
वहीं, यदि कोई व्यक्ति किसी देश में अवैध रूप से निवास करता है, तो उसे कानून के अनुसार जवाबदेह ठहराना आवश्यक है। भारतीय संविधान और कानूनी प्रावधानों के तहत, अवैध प्रवासियों को पकड़ने और देश से बाहर करने की प्रक्रिया को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
एनसीआर के शहरों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की गहरी जड़ों के कई साक्ष्य सामने आ चुके हैं। आलम यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ने यहां पर अपनी बहन-बेटियों की शादी कर स्थायी ठिकाना तक बना लिया है। वह अन्य बांग्लादेशियों को लाकर पनाह दे रहे हैं। अब दिल्ली से बांग्लादेशी घुसपैठिये खदेड़े जाएंगे, तो वह एनसीआर को अपना ठिकाना बना सकते हैं। उनकी घुसपैठ रोकना स्थानीय पुलिस-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी।
इस मुद्दे का कोई आसान समाधान नहीं दिखता है। एक ओर जहां सुरक्षा के दृष्टिकोण से इनकी पहचान और निष्कासन जरूरी है, वहीं दूसरी ओर मानवीय दृष्टिकोण से इन शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा भी आवश्यक नजर आती है। अवैध प्रवासियों के निष्कासित करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और मानवीय बनाया जा सकता है, जिससे इन शरणार्थियों को अन्य देशों में शरण मिल सके।
भारत को एक समान नीति अपनानी चाहिए, जिसमें इन शरणार्थियों के मानवीय अधिकारों का सम्मान करते हुए, सुरक्षा की चिंता को भी ध्यान में रखा जाए और कोई ऐसा रास्ता सुनिश्चित किया जाए, जिससे रोहिंग्या की अवैध घुसपैठ बंद हो सके। भारत को दक्षिण एशियाई देशों के साथ मिलकर इस मुद्दे का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि शरणार्थियों की समस्या भी खत्म हो और देश की सुरक्षा को खतरा न हों।
वैसे देखा जाए तो बांग्लादेशी रोहिंग्या का भारत में अवैध रूप से रहना एक जटिल मुद्दा है, जिसमें सुरक्षा, मानवाधिकार और सामाजिक-आर्थिक दबावों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। दिल्ली पुलिस की जांच, जो अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी रोहिंग्याओं की पहचान करने के लिए शुरू की गई है, केवल एक कदम है, लेकिन यह केवल तभी सफल हो सकता है, जब इसमें संवेदनशीलता, पारदर्शिता और मानवाधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। भारत को अपनी सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देते हुए एक प्रभावी और न्यायसंगत समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी स्थिति में शरणार्थियों के अधिकारों का भी उल्लंघन न हो और देश के सामने सुरक्षा का खतरा भी ना हो।