रांची. सम्मेद शिखर विवाद के बीच अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम नेे दावा किया है कि पार्श्वनाथ पर्वत शुरू से आदिवासियों की भूमि रही है. अगर जैन समुदाय सम्मेद शिखर पर अपना मालिकाना हक जताता है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. पूरे देश के आदिवासी इसका विरोध करेंगे.
उन्होंने कहा कि हम पार्श्वनाथ की पहाडिय़ों में आदिवासियों के अधिकारों को बहाल करने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री को 25 जनवरी तक का समय देंगे, अन्यथा हम 30 जनवरी को उलिहातु और 2 फरवरी को भोगनाडीह जाएंगे और अपने अधिकारों की मांग के लिए उपवास रखेंगे. इस मुद्दे पर राज्य और केंद्र सरकारों का ध्यान आकर्षित करने के लिए 10 जनवरी को हम पाश्र्वनाथ में इक_ा होंगे.
गौरतलब है कि झारखंड के पार्श्वनाथ पर्वत पर स्थित जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर के मुद्दे पर जैन समुदाय के देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने 5 जनवरी को बड़ा फैसला लेते हुए यहां पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी थी और 3 साल पहले जारी अपना आदेश वापस ले लिया. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी हो गया और एक समिति बनाई है. इसमें जैन समुदाय के 2 और स्थानीय जनजातीय समुदाय के 1 सदस्य को शामिल किया जाएगा.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 5 जनवरी को दिल्ली में जैन समाज के प्रतिनिधियों से मीटिंग करने के बाद सरकार के निर्णय के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी थी. भूपेंद्र यादव ने कहा था कि जैन समाज को आश्वासन दिया गया है कि मोदी सरकार सम्मेद शिखर सहित उनके सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.
इससे पहले 5 जनवरी को ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. दरअसल, झारखंड सरकार सम्मेद शिखर यानी पार्श्वनाथ (पारसनाथ) पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने पर विचार कर रही थी. इसके पीछे का मकसद ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना था.