हिमाचल। प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर 65.50% वोटिंग हुई। सबसे ज्यादा 69.67% वोटिंग सिरमौर जिले में हुई। दूसरे नंबर पर 68.48% वोटिंग के साथ सोलन जिला है। CM जयराम ठाकुर का गृह जिला मंडी छठवें नंबर पर रहा। यहां 65.59% वोटिंग हुई। सबसे कम 62% वोटिंग किन्नौर जिले में हुई। वहीं कई बूथों पर मतदान का समय खत्म होने के बाद भी मतदाताओं की कतार लगी रही। बता दें कि पूरे हिमाचल से 412 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। राज्य के करीब 56 लाख मतदाता इनकी किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें 28 लाख 54 हजार 945 पुरुष, 27 लाख 37 हजार 845 महिलाएं और 38 थर्ड जेंडर वोटर हैं। मतगणना 8 दिसंबर को होगी। 2017 में राज्य में 75.57% मतदान हुआ था।
हिमाचल प्रदेश में इस बार कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर रही। 68 में से लगभग 24 सीटें ऐसी रहीं, जहां दोनों दलों के बागियों ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाया। इनमें से 10 सीटों पर तो बागी मुख्य मुकाबले में नजर आए। अब प्रदेश की सत्ता किसे मिलेगी? इसका फैसला इन्हीं 10 सीटों के नतीजे करेंगे।
मतदान से 6 दिन पहले यानि 4 नवंबर तक राज्य में कांग्रेस अच्छी स्थिति में दिख रही थी। 5 और 9 नवंबर को हिमाचल के 4 जिलों में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 4 रैलियों के बाद BJP की स्थिति में सुधार हुआ। विपक्ष में होने के नाते कुछ फैक्टर कांग्रेस पार्टी के पक्ष में जरूर गए, लेकिन BJP ने जिस तरह चुनाव-प्रचार का पूरा ताना-बाना PM मोदी के चेहरे के इर्द-गिर्द बुना, उसका फायदा पार्टी को निश्चित तौर पर मिलता दिख रहा है।
5 साल की एंटी इनकमबेंसी, ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) पर ढुलमुल स्टैंड, बेरोजगारी, महंगाई और बड़ी संख्या में बागियों का मैदान में उतरना BJP के खिलाफ जाता दिख रहा है। कांग्रेस के लिए इन्हीं चीजों ने प्लस पॉइंट का काम किया।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बागी BJP को 12 सीटों पर सीधा नुकसान पहुंचा रहे हैं। राज्य की 68 विधानसभा सीटों में से 21 सीटों पर टिकट न मिलने से नाराज होकर BJP के नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। कांग्रेस की स्थिति इस मामले में कुछ बेहतर रही, क्योंकि उसे 7 सीटों पर ही बगावत का सामना करना पड़ा।
यह बात सही है कि कांग्रेस के मुकाबले BJP के बागियों की संख्या अधिक रही, लेकिन अगर यह बागी जीते तो इनके भाजपा में ही वापसी करने के चांस ज्यादा रहेंगे। उस सूरत में BJP की सरकार बनने के चांस बढ़ जाएंगे।
प्राइवेट गाड़ी में EVM भरी होने पर हंगामा
शिमला जिले में रामपुर निर्वाचन क्षेत्र के दत्तनगर में एक प्राइवेट गाड़ी में EVM भरी होने पर हंगामा हो गया। कांग्रेस के कुछ लोगों ने इसे देखा और कार को रोक लिया। इसके तुरंत बाद वहां भीड़ जमा हो गई। सूचना पाकर SDM और DSP मौके पर पहुंचे। विवाद बढ़ने पर पोलिंग पार्टी ने आनन-फानन में EVM को सरकारी गाड़ी में शिफ्ट किया। इस पर कांग्रेसियों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
प्रदेश में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा में है। राज्य की सत्ता में अभी भाजपा है और पार्टी ने 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन के रिवाज को बदलने के लिए पूरी ताकत लगाई है। कांग्रेस के पास अभी 20 विधायक हैं, जबकि BJP के पास 45, 2 निर्दलीय और 1 CPIM का विधायक है।
शनिवार को चुनाव के दौरान शिमला जिले में रामपुर निर्वाचन क्षेत्र के दत्तनगर में एक प्राइवेट गाड़ी में EVM भरी होने पर हंगामा हो गया। कांग्रेस के कुछ लोगों ने इसे देखा और कार को रोक लिया। इसके तुरंत बाद वहां भीड़ जमा हो गई। सूचना पाकर SDM और DSP मौके पर पहुंचे। विवाद बढ़ने पर पोलिंग पार्टी ने आनन-फानन में EVM को सरकारी गाड़ी में शिफ्ट किया। इस पर कांग्रेसियों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
दूसरी तरफ, मतदान के बीच ही हिमाचल कांग्रेस चुनाव आयोग के पास पहुंच गई। उन्होंने शिकायत दी कि भाजपा के IT सेल ने फेक सर्वे रिपोर्ट सर्कुलेट कर दी है। इसमें हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला की तरफ से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम लिखा फर्जी लेटर वायरल किया जा रहा है। जिसमें भाजपा को ज्यादा और कांग्रेस को कम सीटें मिलने की बात लिखी गई है। कांग्रेस ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया।
सोलन की दून विधानसभा क्षेत्र के बिल्लांवाली पोलिंग बूथ पर लंबी कतारों में खड़े लोग बिफर गए थे और उन्होंने रिटर्निंग अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी। लोगों का कहना था कि वह सुबह 9 बजे से वोट डालने के लिए लाइन में खड़े हुए हैं। तब से लेकर अब तक उनका नंबर नहीं आ रहा। पोलिंग बूथ पर हंगामा बढ़ता देखते हुए इलेक्शन ऑब्जर्वर के महेश मौके पर पहुंचे और अधिकारी से बातचीत की।