झारखंड में झंझट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है सत्ताधारी दल के विधायक मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक असमंजस की स्थिति में है केंद्र और राज्य सरकार के बीच क्या सियासी खिचड़ी पक रही है. खिचड़ी कब पककर तैयार होगी, इसका जवाब सिर्फ मुख्यमंत्री और राजभवन के पास है. परंतु इसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है वैसी स्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं ज्ञात हो कि खनन लीज आवंटन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग से राजभवन पहुंची सिफारिश पर रहस्य का पर्दा उठने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच सत्ताधारी दल के विधायक और मंत्री लतरातू डैम से लेकर रायपुर के मेफेयर रिसोर्ट का आनंद उठा रहे हैं. लेकिन 31 विधायक और मंत्रियों के रायपुर रवानगी के 24 घंटे के भीतर चार मंत्रियों की वापसी के लिए मंत्री सत्यानंद भोक्ता और कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव को भेजे जाने से राजनीति के जानकारों के कान खड़े हो गये हैं.
चर्चा है कि एक सितंबर को अपने सभी 10 मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कैबिनेट की बैठक के बाद या उससे पहले कोई सरप्राइजिंग स्टेप उठा सकते हैं. दरअसल, चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद से अब तक राजभवन ने अपना पता नहीं खोला है. अभी तक राजभवन की तरफ से मुख्यमंत्री के विधानसभा सदस्यता मामले में चुनाव आयोग को आदेश नहीं गया है. लिहाजा, संशय के बादल के बीच सत्ता पक्ष के लिए राजनीति की छतरी को लंबे समय तक खोले रखना आसान नहीं है. जाहिर है कि राजभवन जितना वक्त लेगा, उतनी ही यूपीए की बेसब्री बढ़ेगी. अब इससे बचने का आखिर क्या उपाय है. इस ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद ही इशारा कर चुके हैं
बहरहाल सत्ता पक्ष असमंजस की स्थिति के लिए केंद्र सरकार को दोषी मान रही है तो विपक्षी भाजपा शहर सपाटी का नाम देखकर मुख्यमंत्री को घेरने का काम कर रही है दिलचस्प होगा की कैबिनेट की बैठक से पहले या बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या निर्णय लेते हैं मंत्री आलमगीर आलम ने तो रायपुर में यहां तक कह दिया कि आप जो देख रहे हैं जो पूरे देश में चल रहा है वह भाजपा की देन है भाजपा व्यापारी है