कोर्ट के फैसले का होना चाहिए सम्मान
देवानंद सिंह
झानवापी मस्जिद परिसर के वाजुखाने में 12.8 फीट व्यास का विशाल शिवलिंग मिलने से यहां चल रहे दावों-प्रतिदावों का दौर लगभग खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई है, क्योंकि कोर्ट ने सीधेतौर पर इस जगह को सील करने का आदेश दिया है। वाराणसी कोर्ट ने जिलाधिकारी को आदेश देते हुए कहा है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस जगह को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए और वहां किसी भी व्यक्ति को जाने की इजाजत नहीं दी जाए। इसकी पूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन के अलावा सीआरपीएफ को दे दी गई है। व्यक्तिगत तौर पर भी कोर्ट ने जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को आदेशित किया है कि यहां शांति बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है। कोर्ट का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिस तरह से इस स्थान को लेकर हिंदू और मुसलमान पक्ष अपना-अपना दावा कर रहे थे, उससे विवाद बढ़ने की संभावना लग रही थी। हिंदू पक्ष का मानना था कि यह जगह उनकी आस्था का स्थल है, जबकि मुसलमान पक्ष हिंदू पक्ष के इस दावे से इंकार कर रहा था। अपने इसी दावे के तहत मुसलमान पक्ष के बहुत सारे लोग वहां नमाज अता कर रहे थे। फिलहाल, कोर्ट ने केवल 20 लोगों को ही नमाज अता करने की अनुमति दी है। अगर, तात्कालिक कोर्ट का फैसला नहीं आता तो शायद यहां विवाद भी हो सकता था। ऐसे मामलों पर विवाद के कई उदाहरण हमारे सामने हैं। अन्य मामलों की तरह ही इस मामले की खास बात यह रही कि अब इस मामले में विवाद की गुंजाइश बिलकुल भी नहीं बचती है क्योंकि जहां कोर्ट ने सख्त लहजे में अपना आदेश दिया है बल्कि वाजूखाने से पानी निकालने के दौरान 12.8 फीट व्यास का शिवलिंग भी वहां मौजूद था। यह तथ्य तब सामने आया है, जब यहां तीन दिन तक सर्वे का काम चला। लिहाजा, तथ्य सामने आने के बाद विवाद को बढ़ाना भी नहीं चाहिए। भले ही, तथ्य किसी के भी पक्ष में आए हों, दूसरे पक्ष को उसका पूर्णतः सम्मान करना चाहिए। यह बात भी सामने आई है कि मुस्लिम पक्ष अभी भी मान रहा है कि वहां कुछ नहीं मिला है। यह दावा इस अनुरूप बिलकुल भी सही नहीं लगता है, जब मौके का सर्वे किया जा चुका है, जिसमें नंदी की मूर्ति के ठीक सामने मिले शिवलिंग का व्यास 12 फीट 08 इंच का है और कोर्ट भी सारे तथ्यों को देख चुका है, उसी के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, ऐसे में मुस्लिम पक्ष के लिए सर्वे के दावों को खारिज नहीं करना चाहिए।
इन सब से निपटने के लिए डीपी आर ओ स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करने की जरूरत है
*प्रोपेगेंडा पर रोक लगाने के लिए जरूरी है आरएनआई द्वारा जारी गाइडलाइंस को पालन करवाने की हो पहल*
*बिना वेरीफाई टाइटल और बिना रजिस्ट्रेशन के न्यूज़पेपर के द्वारा फैलाया जाता है प्रोपगंडा*
*इनसे आम आदमी के साथ अधिकारी भी रहते हैं परेशान*