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    Home » अभी हेमंत सोरेन का सियासी सरगर्मी से नहीं छूटने वाला है पाला
    Breaking News Headlines झारखंड राजनीति राष्ट्रीय संपादकीय संवाद विशेष

    अभी हेमंत सोरेन का सियासी सरगर्मी से नहीं छूटने वाला है पाला

    Devanand SinghBy Devanand SinghApril 1, 2022No Comments4 Mins Read
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    देवानंद सिंह

    भाजपा में रघुवर दास का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं, बन्ना गुप्ता जननायक के तौर पर पूरे झारखंड में खुद का स्थापित कर चुके हैं

    कई दिनों से सियासी सरगर्मी से जूझ रहे झारखंड का सियासी पारा नीचे उतरता नहीं दिख रहा है। झामुमो पार्टी विधायक सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम पर भाजपा के संपर्क में होने के आरोप लगने की बात सामने आने से एक तरह से राजनीति भूचाल आ गया है। इन दोनों ही विधायकों की शिकायत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से की गई है। पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोनों विधायकों की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई है। ऐसी बात सामने आई है कि दोनों ही विधायक पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और लगातार संगठन विरोधी काम कर रहे हैं। पार्टी नेताओं को बताया गया है कि सरकार गिराने की मुहिम में ये दोनों विधायक पार्टी के निष्कासित पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल के संपर्क में भी हैं, इनके साथ दोनों की विधायकों की सांठगांठ हैं। अब ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान दोनों विधायकों के खिलाफ एक्शन ले सकता है। वैसे, हेमंत सोरेन सरकार में चल रही यह उथल-पुथल नई नहीं है, पहले भी इस तरह की बातें सामने आती रही हैं। और इस तरह का सियासी समीकरण काफी दिनों से बन रहा था। अभी केवल इन दो विधायकों के नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सूत्रों के हवाले से यह बात भी सामने आ रही है कि झामुमो के आधा दर्जन से अधिक विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। वहीं, कांग्रेस के कुछ विधायक भी इसी जुगत में लगे हैं। लिहाजा, हेमंत सोरेन सरकार पर खतरा बढ़ता ही जा रहा है। वैसे तो झामुमो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही है, लेकिन जिस तरह पार्टी के खुद के विधायक सरकार के कामकाज से नाखुश हैं और उन्होंने बगावती तेवर अपनाए हुए हैं, उससे सरकार कभी भी अल्पमत में आ सकती हैं, अब देखने वाली बात यह होगी कि किस तरह झामुमो इस सारी स्थिति को मैनेज करती है, क्योंकि यह पहला मौका नहीं है, जब सरकार के उपर खतरे के बादल मंडराए हुए हैं, बल्कि पहले भी हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने के प्रयास हो चुके हैं, जब राजधानी के एक होटल में पिछले साल जुलाई में छापेमारी हुई थी। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। कांग्रेस के विधायक अनूप सिंह ने इस मामले में कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जांच में सरकार गिराने की साजिश में शामिल लोगों के पास से कई जानकारियां सामने आईं थीं।

    राज्य की सियासी पारे की गरमी के बीच कोल्हान की राजनीति भी भी चरम में दिख रही है।

    दरअसल, पूर्वी सिंहभूम प्रभारी सिविल सर्जन डा. एके लाल की बर्खास्तगी के बहाने विधायक सरयू राय स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर हमलावर नजर आ रहे हैं। सरयू राय ने मांग की है कि या तो स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए या फिर उनका विभाग बदला जाए। सरयू राय के इस तरह के बयान सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी अपना बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि झारखंड में कुछ ऐसे नेता है, जिन्हें यह पच नहीं रहा है कि एक गरीब का बेटा मंत्री बन गया है। यह सच भी है कि बन्ना गुप्ता की आम जनता के बीच संघर्ष किसी से छुपा नहीं है। जननायक के तौर पर उनका ग्रॉफ लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण हमने गत दिनों कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान भी देखा। वैसे तो, वह एक कार्यकर्ता सम्मेलन था, लेकिन सम्मेलन में भीड़ इतनी थी कि जैसे वह कोई बड़ी जनसभा हो। इस कमाल के पीछे बन्ना गुप्ता का ही व्यक्तित्व था, क्योंकि जो शख्स आम आदमी के बीच से उठकर जाता है, उसकी छवि जनता के बीच जननायक की ही होती है। आज बन्ना गुप्ता की छवि ऐसी बन गई है कि भीड़ उनके कार्यक्रमों में अपने-आप ही जुटने लगती है। इसीलिए सरयू राय के बयानों को कोई असर दिखेगा नहीं है, क्योंकि जब से बीजेपी से बगावत वह मोर्चे बनाकर सरकार और बीजेपी नेताओं को घेरने में लगे हैं, तब से वह अपने कार्यों के बल पर कम, अपनी बयानबाजी से ज्यादा चर्चित रहते हैं। उनकी राजनीति समाजहित के इर्द-गिर्द कम द्बेष की भावना से ज्यादा ओत-प्रोत दिखती है! राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ भी उनका यही रवैया रहा है, जिस तरह का रवैया अभी वह बन्ना गुप्ता के खिलाफ दिख रहा है, लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर नहीं दिखने वाला है, जहां बीजेपी में रघुवर दास का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं, बन्ना गुप्ता जननायक के तौर पर पूरे झारखंड में खुद का स्थापित कर चुके हैं।

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