बार एसोसिएशनो से दक्ष और अनुभवी अधिवक्ताओं को पूर्व की तरह पी पी, ए पी पी बनाया जाय: राजेश शुक्ल
अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी अधिवक्ता कल्याण की योजनाओं में राज्य सरकार निधि का आवंटन करे
झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन को ई मेल भेजकर राज्य में पूर्व की तरह ही लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजक राज्य के सभी बार एसोसिएशन के अनुभवी और दक्ष अधिवक्ताओं के बीच से बनाने का आग्रह किया है।
श्री शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री भी है ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि पूर्व में ऐसी व्यवस्था थी जिसे मधु कोड़ा सरकार ने इसे समाप्त कर दिया ,उसके बाद आज तक पुनः वह व्यवस्था बहाल नही हो पाया। जिससे अधिवक्ताओं में असंतोष व्याप्त है।
श्री शुक्ल ने लिखा है कि पूर्व की रघुवर दास सरकार ने इस पर कदम बढ़ाया था लेकिन वह मूर्त रूप नही ले पाया। बिहार और अन्य राज्यों में कैडर के साथ अधिवक्ताओं के बीच से भी लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजक बनाने का प्रावधान है लेकिन झारखंड में इसे प्रभावी नही बनाया जा रहा है। पूर्व की सरकारों ने 50 प्रतिशत पी पी ,ए पी पी बार एसोसिएशन से बनाने पर सहमति जताई थी। वह भी धरातल पर नही उतर पाया।
श्री शुक्ल ने मुख्यमंत्री को भेजे ई मेल में लिखा है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी अधिवक्ताओं को सरकार से कोई मदद नही मिल पाई जबकि दूसरे राज्यों में वहा कि सरकारों ने कई प्रकार से मदद किया।
श्री शुक्ल ने लिखा है कि राजस्थान में राज्य सरकार ने अधिवक्ता निवास बनाने में जहाँ आर्थिक रूप से सहयोग कराया ,वही दिल्ली, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात मे अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने में वहा की सरकारों ने सहयोग दिया , बजटीय प्रावधान स्थापित किया। झारखंड में भी झारखंड स्टेट बार कौंसिल ने मुख्यमंत्री को बजटीय प्रावधान के लिए पूर्व में ज्ञापन सौंपा था। जिसमे एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की भी मांग शामिल थी लेकिन सरकार ने अभी कोई निर्णय नही लिया है जिससे झारखंड में अधिवक्ताओं में असंतोष है।
श्री शुक्ल ने लिखा है कि अधिवक्ता कठिन से कठिन परिस्थितियों में हर चुनौती का सामना करते हुए भी अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे है। राष्ट्रहित में लोंगो को सजग करने और कानूनी रूप से जागरूक बनाने का भी काम अधिवक्ता करते है। लेकिन सरकार का सकारात्मक रुख नही रहने से उन्हें वह मदद नही मिल पाता है जिसके वे हकदार है। इसलिए राज्य सरकार को अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं के लिए बजट के प्रावधान बनाना चाहिए ताकि अन्य राज्यों की तरह झारखंड भी अधिवक्ताओं के हित प्रति सजग राज्य की भूमिका में रहे।
श्री शुक्ल ने कहा है कि जल्द ही कौंसिल के सदस्य मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से मिलकर इन सारे बिंदुओं से अवगत कराते हुए सभी मांगो को पुनः रखेंगे।