विश्व को जगाने का काम करेगा प्रधानमंत्री मोदी का डोज
विश्व मंच पर विश्व गुरु का शब्दों से करारा प्रहार, भारत लोकतंत्र की जननी है
देवानंद सिंह
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया गया संबोधन कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। जिस तरह उन्होंने हर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी बात रखी और दुनिया के देशों से बेहतरी के लिए एकजुट होने की अपील की, उसने दुनिया के सामने भारत की विश्वगुरु होने की भूमिका भी स्पष्ट की। वह बिना लाग लपेट के वह सब कुछ बोले, जिस पर बोलने की सख्त जरूरत थी। आतंकवाद पर न केवल उन्होंने ट्रिपल स्ट्राइक की, बल्कि संयुक्त राष्ट्र को भी आईना दिखाया। भले ही, उन्होंने आतंतकवाद के मुद्दे पर केवल अफगानिस्तान का नाम लिया हो, लेकिन अफगानितान के बहाने, जिस तरह उन्होंने पाकिस्तान और चीन की तरफ इशारा किया, वह अफगानिस्तान के साथ साथ चीन और पाकिस्तान के लिए भी बेहद ही सख्त संदेश था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दुनिया में चरमपंथ का खतरा बढ़ गया है। जो देश आतंकवाद का पॉलीटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी खतरनाक है और अफगानिस्तान को लेकर भी सुनिश्चित करना होगा कि अफगान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए ना हो। दूसरा उन्होंने, जिस तरह अफगानिस्तान की महिलाओं और बच्चों की पीड़ा का जिक्र करते हुए और उनकी विश्व समुदाय की तरफ से मदद की जरूरत बताई, उसने दुनिया भर को भारत की तरफ से मानवता का पाठ भी पढ़ाया गया। इतना ही नहीं, उन्होंने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी जोर दिया। निश्चित ही, भारतीय प्रधानमंत्री के इस बयान का असर होगा और अफगानिस्तान में तालिबान के डर के साए में जी रही महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर जोर दिया जाएगा। दूसरी तरफ झारखंड जमशेदपुर की बेटी स्नेहा दुबे ने जिस तरह पाकिस्तानी झूठ का करारा जवाब दिया उससे पाकिस्तान की बोलती बंद हो गई पाक के हर झूठ का जवाब स्नेहा दुबे ने बारी बारी से दी जिसकी तारीफ पूरे विश्व में हो रही है
भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र को आईना दिखाया। उन्होंने कहा, दुनिया के कई हिस्सों में प्रॉक्सी वार चल रहा है, लिहाजा संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपनी भूमिका को समझना होगा। उन्होंने हर उस मुद्दे का जिक्र भी किया, जिन मुद्दों को लेकर हाल ही में यूएन की खूब छीछालेदर हुई है। पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा कि चाहे कोरोना की बात हो, आतंकवाद की बात हो, तालिबान का मुद्दा रहा हो, इन सभी मुद्दों पर यूएन की भूमिका पर सवाल खड़े हुए हैं। दुनिया यूएन को भरोसे की नजर से देखती है, लिहाजा, उसे अपनी भूमिका को समझते हुए अपनी विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा। जिस तरह दुनिया में और भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा सवाल उठाया गया है, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि यूएन अपनी साख की मजबूत करेगा। पीएम मोदी ने जिस तरह ग्लोबल वैल्यू चेन के विस्तार पर जोर दिया, वह भी विश्व की बेहतरी का एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकता है। पीएम मोदी ने कहा, इसमें भारत विश्व का लोकतांत्रिक-भरोसेमंद पार्टनर है। वैक्सीन निर्माता भारत आएं औऱ वैक्सीन बनाएं, क्योंकि आज तकनीकी का मैदान खुला हुआ है। हमें दुनिया की बेहतरी के लिए वह सब करने की जरूरत है, जिससे विकास का रास्ता प्रशस्त हो सके, क्योंकि हमें आने वाली पीढ़ियों को जवाब देना है। उन्होंने दुनिया को भारत के लोकतंत्र की ताकत भी बताई।और भारत को लोकतंत्र की जननी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की लोकतंत्र की ताकत यह है कि कभी चाय बेचने वाला बच्चा आज संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है। उन्होंने सेवा परमो धर्म: की बात करते हुए भी दुनिया के सामने कोरोना से लड़ाई में भारत की स्थिति को साफ किया, उन्होंने कहा, भारत वैक्सीन बनाने में जुटा हुआ है और दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन भी भारत ने बना ली है और यह सब संभव हुआ है, भारत के वैज्ञानिकों की अपार मेहनत से। यही वजह भी है कि भारत जरुरतमंद देशों को वैक्सीन फिर देने लगा है। जिस तरह उन्होंने दूसरे देशों को भारत में आकर वैक्सीन बनाने का आमंत्रण दिया, उसने भी भारत की मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दर्शाया, क्योंकि ऐसे कदम उठाने से कोरोना या फिर अन्य किसी भी महामारी से निपटने में आसानी होगी।
उन्होंने एक और जो महत्वपूर्ण बात कही, वह यह थी कि किस तरह से भारत की तरक्की के साथ दुनिया की तरक्की जुड़ीं हुई है। बकायदा, उन्होंने इसका उल्लेख करते हुए कहा, आज विश्व का हर छठा इंसान भारतीय है। जब भारतीय की प्रगति होती है, तब दुनिया की प्रगति होती है। भारत में हो रहे तकनीकी विकास विश्व की बहुत मदद कर सकते हैं यानि भारत विकास करता है तो दुनिया आगे बढ़ती है। प्रधानमंत्री आजादी के अमृत महोत्सव को भी याद करना भी नहीं भूले। कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद सफल रहा, क्योंकि जिस तरह पिछले एक दो वर्षों के दौरान दुनिया में कोरोना और तालिबान जैसे बड़े घटनाक्रम सामने आए, और उसमें अलग अलग देशों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं, ऐसी परिस्थिति में दुनिया को डोज देना बहुत जरूरी था। जिससे दुनिया एकजुटता का पाठ सीख सके। और भारत ने जिस तरह विश्वगुरु के तौर पर यह संदेश दिया है, निश्चित ही दुनिया उससे जागने का काम करेगी।