जयपुर. राजस्थान में करीब 15 नेताओं द्वारा पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी गई एक चिट्ठी सामने आई है जिसमें प्रदेश के सियासी हालातों का जिक्र किया गया है. पत्र लिखने वाले इन 15 नेताओं में चुनाव हारे पार्टी प्रत्याशियों के साथ ही दूसरे नेता शामिल हैं. पत्र में लिखा गया है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने महज 21 सीट से प्रदेश नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से 101 सीटें प्राप्त की और राजस्थान में सरकार बनाई. निर्दलीय और बसपा विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया. लेकिन सरकार के स्तर पर हमारे क्षेत्रों में कांग्रेस सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल में अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर नगरपालिका में पार्षदों के मनोनयन तक इन्हीं निर्दलीय और बसपा विधायकों की भागीदारी रही जबकि हम कांग्रेस प्रत्याशियों की भागीदारी नाम मात्र भी नहीं रही. इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और मतदाताओं जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी को वोट दिया उनकी सुनवाई सरकार में नहीं हो पाई.
चिट्ठी में लिखा गया है कि कांग्रेस के मतदाताओं पर इन निर्दलीय और बसपा विधायकों द्वारा भेदभावपूर्ण और दमनात्मक रवैया अपनाया जाता रहा है. चिट्ठी में आगे लिखा है कि प्रदेश में सरकार चलाने के लिये स्पष्ट बहुमत है और कांग्रेस को निर्दलीय और बसपा विधायकों की बैशाखी की जरूरत नहीं है. बाजवूद इसके प्रदेश में इन विधानसभा क्षेत्रों के हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं को और पार्टी संगठन के ढांचे को खत्म करने का काम किया जा रहा है. इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इन निर्दलीय और बसपा विधायकों की मनमानी के चलते प्रदेश कांग्रेस संगठन भी इनके आगे झुक चुका है. पिछले दिनों हुए नगरपालिका और पंचायत चुनावों में टिकट वितरण में इनकी शत-प्रतिशत भागीदारी रही जबकि कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने के बावजूद हमारी भागीदारी शून्य रही. ऐसी परिस्थितियों में हमारे कार्यकर्त्ता और मतदाता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं