60 वर्षीय किसटू मंडल किसानों के लिए बने प्रेरक
नारायणपुर/जामताड़ा: यदि दिल में कुछ करने की जज्बा हो तो कठिन परिस्थिति भी कोई अच्छे काम को करने से कोई रोक नहीं सकता है । ऐसी ही एक कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है किस्टू मंडल ने । जी हां जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र के पोस्ता पंचायत के पतरोडीह ग्राम के 60 वर्षीय बुजुर्ग किसान किस्टू मंडल गांव के बेकार पड़े बंजर भूमि में कड़ी मेहनत से हरियाली लाने का काम किया । करीब आठ एकड़ भूमि में कभी पत्थर ही पत्थर निखरे हुए रहते थे । अब इतने बड़े भूभाग में सब्जी के रंग-बिरंगे पौधे फल दिखाई पड़ते हैं । क्या सुबह, क्या शाम, क्या दोपहर किस्टू मंडल अपने पुत्र दिलीप मंडल के साथ खेत में बड़ी ही लगन से लगे रहते हैं । अभी इनके खेत में तीस हजार टमाटर के पौधे तथा 5 हजार गोभी के पौधे लहलहा रहे हैं । किस्टू मंडल ने बातचीत के क्रम में बताया कि मैंने खेती का गुर पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर के एक किसान से सीखा । एक समय था जब मुझे परिवार के सदस्यों के भोजन की व्यवस्था के लिए दूसरे किसान के यहां मजदूरी का काम करना पड़ता था । जब रोजगार की तलाश में में बंगाल पहुंचा तो मुझे कोलकाता के किसान से संपर्क हुई । उन्होंने मुझे सलाह दिया कर्माटांड़ में खेती योग्य भूमि में मैं सब्जी का खेती करता हूं । मेरे यहां काम करो । बस उनके यहां मैं सात वर्षों तक काम किया । मुझे 40 रुपया प्रतिदिन मजदूरी मिलता था । छह से सात वर्ष तक मुझे परिवार के भरण-पोषण के लिए जो मजदूरी मिलता था उससे मैं गुजर बसर कर लेता था । इसी दौरान मुझे सब्जी की खेती कैसे करनी है। इसकी पूरी जानकारी उक्त मालिक के बदौलत मिल गया। उन्होंने अच्छे-अच्छे प्रजातियों के सब्जी के बीज का नाम से लेकर लगाने के तरीके से अवगत कराया । कहा जब मैने बारीकी से सब्जी की खेती करना सीख लिया । फिर क्या था मैंने इसका प्रयोग अपने गांव में आकर शुरू किया और पहली बार महज 10 कट्ठे में टमाटर की खेती की । फिर धीरे-धीरे अगल-बगल के लोगों का जमीन लीज पर लेकर अभी आठ एकड़ भूमि में टमाटर गोभी सहित अन्य प्रकार की सब्जी की खेती कर रहा हूं । इस वर्ष की सब्जी की खेती में मेरी लागत तीन लाख बीस हजार है । अभी तीन दिन में सात से आठ क्विंटल टमाटर टूटता है । किसान ने बताया अभी जिस टमाटर को मैं तोड़ता हूं । उसे पश्चिम बंगाल भेजने का काम करता हूं । वहां प्रति क्विंटल एक हजार रुपए हमें प्राप्त होता है । बहुत ही विशेष परिस्थिति में मैं इस खेती को आगे बढ़ा रहा हूं । सिंचाई के पर्याप्त संसाधन अभी मौजूद नहीं है। अभी तो ऐसी स्थिति है कि मुझे दूसरे के तालाब से पानी लाने के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं । उन्होंने बताया एक समय था जब मैं अकेले इस काम को करता था । अब इस काम में हमारे परिवार के अन्य सदस्य भी सक्रिय रहते हैं । मुझे छह से दस आदमी प्रतिदिन खेत में मजदूरी पर लगाना पड़ता है ।
कृषि विशेषज्ञ के रूप में क्षेत्र के किसानों को देते हैं सीख :बुजुर्ग किसान किस टू मंडल क्षेत्र के लोगों के लिए कृषि विशेषज्ञ से कम नहीं है । किस भूमि में कौन सी फसल होगी । कैसे किस्म का बीज का प्रयोग किया जाए । कितने मात्रा में खाद पानी आदि का उपयोग किया जाए । इसकी पूरी विस्तृत जानकारी इनके पास मौजूद है । सब्जी की खेती को अच्छी तरह से करने का ललक रखने वाले किसान वर्तमान में इनसे खेती का गुर सीखते हैं । अब तक इन्होंने दर्जनों किसानों को टमाटर ,गोभी बैगन सहित अन्य प्रकार के सब्जी की खेती का जानकारी दिया है ।
आठ एकड़ भूमि में सिंचाई के पर्याप्त संसाधन नहीं : किस्टू मंडल ने बताया जितने बड़े भूभाग में मैं खेती कर रहा हूं । उसके फसल के सिंचाई के लिए मेरे पास संसाधन मौजूद नहीं है । महज दो कुप हमारे इस परिसर में है । बेहतर सिंचाई संसाधन के लिए बृहद गहराई वाला डीप बोरिंग यदि हो जाए तो सोने पर सुहागा होगा|