अर्णब चैटगेट पर सरकार के खिलाफ कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवाक्ता डॉ अजय कुमार हमलावर
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने कहां कि
हमारे भारत के इतिहास में जर्नलिज्म के लिए एक लांछनास्पद घटना है। इतनी कठिनाई से हम हमारी स्वतंत्रता लाए और वहाँ कुछ सिद्धांत, कुछ कानून बनाए, उसमें से एक बहुत जरुरी कानून जो है “ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट”। जब भी इस देश में क्योंकि लड़ाई का निर्णय लेना पड़ता है, इंटेलिजेंस का सहारा लेकर अपने देश की रक्षा के लिए कुछ काम करना पड़ता है, तो उसमें प्रमुख चार लोग रहते हैं, चार मिनिस्टर रहते हैं, जो सीक्रेसी की बात कहते हैं, इंक्लूडिंग एनएसए, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर। तो जो अर्नब गोस्वामी ने किया, वो केवल देश के लिए नहीं, वो पूरे जर्नलिज्म के लिए एक लांछनास्पद चीज है। ऐसे इतने साल में किसी जर्नलिस्ट ने, किसी संस्था ने इस तरह का नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के बारे में उल्लंघन नहीं किया है, ऐसी घटना इस देश में नहीं हुई थी। हमने 2-3 युद्ध भी देखे, अलग-अलग पार्टी की सरकारें देखी, उसमें भी इस तरह की बात, ऑफिशियल सीक्रेट डिस्क्लोज करने की बात नहीं हुई। डिफेंस मिनिस्टर थे और क्या सिस्टम होता है, वो भी कहा, तो विशेषतः बालाकोट के बारे में और पुलवामा पर खुशियां मना रहे थे, लेकिन देश के 40 लोग, हमारे जवानों की मृत्यु हो गई थी, दुख में थे, दुख मना रहे थे और कई लोग फोन पर बात कर रहे थे कि हमारे देश का भी भला हो जाएगा। कैसा भला हो जाएगा और कौन भला करेगा, ये भी संभाषण है उसमें। तो ये एंटनी जी ने जो कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए, पर्टिकुलर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के बारे में, जो ये लीकआउट हो गया है, ये हमारे देश के लिए और अगली आने वाली सरकारों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण बात है। तो पार्लियामेंट में तो इसको उठाएंगे, लेकिन सरकार ने जो इस पर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के बारे में जो करना है, जो अभी तक नहीं किया है और ये सभी कहीं मुंबई के रिकोर्ड में डिस्क्लोज हो रहे हैं, कहीं यहाँ के रिकोर्ड में डिस्क्लोज हो रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि इतना सब होने के बाद तुरंत वो इसकी जांच करेंगे और देश को बताएंगे कि किस तरह का काम किया है। लेकिन हम तो चाहते हैं कि जो गुनाह किया है उन्होंने, उसकी सजा मिलनी चाहिए।
डॉ अजय कुमार ने कहा कि मैं आपकी आज्ञा से जो न्यायिक व्यवस्था है, उसके संदर्भ में जो कुछ सामने आया है, उस पर कुछ शब्द बोलना चाहूंगा। आप सब भली भांति जानते हैं कि न्यायपालिका का क्या महत्व है हमारे गवनेंस में, हमारे संविधान और हमारी व्यवस्था में और हम सभी लोग इस देश में, जहाँ एक तरफ पार्लियामेंट पर निर्भर हैं, संसद पर अपना विश्वास रखते हैं। दूसरी तरफ न्यायपालिका पर हमारा विश्वास है कि जहाँ कभी कोई ऐसी बात उठती है, जिस पर हम समझते हैं कि हमें कष्ट है, खेद है, तो हम न्यायपालिका के सामने जाया करते हैं, हमें विश्वास है न्यायपालिका में। समय-समय पर बहुत सारी बातें उठती हैं, अफवाहें उठती हैं, लेकिन हमेशा हमारा ये मत रहा है कि न्यायपालिका में अगर विश्वास खो दिया हमने, तो फिर कुछ बचेगा नहीं। संविधान की सुरक्षा न्यायपालिका से होती है और हम न्यायपालिका का आदर करते हैं, हम सम्मान करते हैं और पूरा विश्वास न्यायपालिका में रखते हैं।
इसी संदर्भ में ये कहते हुए बड़ा कष्ट हो रहा है, बड़ा खेद है, बड़ा दर्द है कि ऐसी गैर जिम्मेदाराना बात हुई है, जहाँ पर न्यायपालिका में जो कुछ चल रहा है, कोई केस चल रहा है, जिसमें ये लोग संबंधित हैं, उसके बारे में जो टिप्पणियां आई हैं, वो टिप्पणी बहुत कष्टदायक है और इसलिए कुछ प्रश्न उठते हैं और वो प्रश्न ये हैं –
क्या जो बात हुई है, उससे ये स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका पर दबाव डालने का प्रयास या उन पर इन्फ्लुएंस डालने का प्रयास किया गया है, जो अवैध है और क्या इस प्रयास से कोई गलत निर्णय न्यायपालिका से लेने में ये लोग सफल रहे, कामयाब रहे? एक बहुत बड़ा प्रश्न है।
डॉ अजय कुमार ने कहा कि ये कहते हैं कि मैं 18 घंटे काम करता हूं। आप समझ रहे होंगे कि कौन कहता है। क्या काम करते हैं, ये इन चैट से मालूम पड़ जाता है। ये प्रधानमंत्री हैं, इस विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं। उनके पास इतना समय है कि अर्नब गोस्वामी, बार्क, टीआरएआई, ये सारे मुद्दे उनके दरवाजे पर ले जाते हैं। जरा मुसीबत आई, राइवल चैनल से, पहुंच गए प्रधानमंत्री का नाम लेने। ये प्रधानमंत्री का नाम लेने की जुर्रत एक बिजनेसमैन, एक लॉबिस्ट माफ कीजिएगा, को कैसे आ जाती है?
तुम मुझे फर्जी टीआरपी करने दो, मैं आपको फर्जी पब्लिक अपोनियन बना कर दूंगा। क्या था क्विड प्रो को (Quid pro quo), ये हो क्या रहा था? होम मिनिस्टर तो अब बने, लेकिन इससे पहले 2019 तक अमित शाह का नाम इस देश के सबसे second most important man called अमित शाह और उनके जो चैट्स आए हैं, अर्नब गोस्वामी और पार्था दास गुप्ता के, अमित शाह के विषय में, चौंका देते हैं। पार्टी के प्रसिडेंट हैं आप, आपका क्या हक बनता है कि टीआरएआई, जो कि एक अटॉनोमस एजेंसी है, उसकी गतिविधियों में आप हस्तक्षेप कर रहे हैं, उसको इन्फ्लुएंस कर रहे हैं, उस पर दबाव डाल रहे हैं क्योंकि अर्नब गोस्वामी चाहता है आप उस पर दवाब डालें। ये किसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का काम है? पार्था दास गुप्ता को मिलवाने ले जाया रहा है अमित शाह से, क्यों साहब, क्या बात हुई वहाँ? आप अपने राइवल को फिक्स कर रहे हैं। अलग-अलग चैनल के बारे में जिक्र है कि उनको फिक्स करिए। पार्थ को, टीआरएआई को फिक्स करिए, उस पर दबाव डालिए।