इंस्टिट्यूट और कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने मनाया राष्ट्रीय किसान दिवस
● सम्मिलित प्रयासों से ही किसानों की आय हो सकती है दोगुनी : कुणाल षाड़ंगी
हर साल 23 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मनाया जाता है। राष्ट्रीय किसान दिवस को मनाने की शुरुआत 2001 से हुई थी। चौधरी चरण सिंह द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। किसानों के कल्याण के लिए उनके द्वारा किए गए अग्रणी कार्यों की वजह से ये दिन उनको समर्पित है। इस मौके पर पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रमों, चर्चाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।
आज इसी कड़ी में कॉस्ट अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया के द्वारा दलमा के तराई में स्थित मम्मा ऑर्गेनिक फार्म में राष्ट्रीय किसान अधिवेशन मनाया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुणाल षंडगी उपस्थित हुए।
इस राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कुणाल षंडगी ने कहा कि सम्मिलित प्रयासों से ही किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है और हम सबको पहले उस मानसिकता से उबरना होगा कि किसान कोई मजबूरी से ही बनता है। कृषि और किसान का विकास तभी संभव है जब हमें अपने आपको किसान कहलाने में गर्व की अनुभूति हो। कॉस्ट अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया के अधिवेशन में आए सुझावों को स्वागत योग्य बताते हुए सरकार से इन पर विचार करने की जरूरत बतायी।
इस मौके पर इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटिंग ऑफ इंडिया के अध्यक्ष विश्वरूप बासु, चितरंजन चट्टोपाध्याय, संतोष शर्मा, ज्योति प्रकाश समेत कई अन्य शिक्षाविद और उद्यमी उपस्थित थे।